अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय-Rakesh Sharma biography in hindi : आज हम भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की जीवनी (Rakesh sharma ka jiwan parichay) के बारे में जानेंगे। राकेश शर्मा का जन्म व परिवार, राकेश शर्मा की शिक्षा, राकेश शर्मा का करियर, राकेश शर्मा को मिले पुरुस्कार व उपलब्धियाँ।
अंतरिक्ष की यात्रा करना विज्ञान के क्षेत्र में इंसान के लिए क्रांतिकारी कदम माना गया है। अमेरिका और सोवियत संघ ने अंतरिक्ष में उड़ान कई वर्षो पहले शुरू कर दी थी। उसके कई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष की सफल यात्रा कर चुके थे। भारत को भी अंतरिक्ष की यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष की यात्रा कर एक नया इतिहास रचा। 2 अप्रैल 1984 का वह ऐतिहासिक दिन था। जब राकेश शर्मा दो अन्य सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्षयान सोयुज T-11 में अंतरिक्ष यात्रा पर निकले थे।
इस यात्रा के दौरान वे सब 8 दिनों तक अंतरिक्ष में सोवियत रूस द्वारा स्थापित अंतरिक्ष केंद्र सोल्युज-7 में रहे। उन्होंने अंतरिक्ष से उत्तरी भारत के हिस्से के चित्र लिए और वहाँ पर गुरुत्वाकर्षण-हीन उड़ान भरने के साथ योगाभ्यास भी किया। इस तरह अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले राकेश शर्मा विश्व के 138th और भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री बने थे। (Rakesh sharma ka jiwan parichay)
राकेश शर्मा का जीवन परिचय एक नजर में
पूरा नाम (Full Name) | राकेश शर्मा |
जन्म (Birth) | 13 जनवरी 1949 |
जन्म स्थान (Birth Place) | पटियाला पंजाब |
गृहनगर (Hometown) | हैदराबाद |
जाति (Caste) | ब्राह्मण |
पिता का नाम (Father’s Name) | देवेन्द्रनाथ शर्मा |
माता का नाम (Mother’s Name) | तृप्ता शर्मा |
पत्नी का नाम (Wife’s Name) | मधु शर्मा |
बेटा (Son) | कपिल शर्मा (फिल्म डायरेक्टर) |
बेटी (Daughter) | स्वर्गीय मानसी, कृतिका शर्मा |
पेशा (Profession) | अंतरिक्ष यात्री, भारतीय एयर फ़ोर्स पायलट |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
पसंद (Hobbies) | घूमना, रीडिंग, योग |
अवार्ड (Award) | अशोक चक्र, हीरो ऑफ़ दी सोवियत संघ |
अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म व परिवार
राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पटियाला, पंजाब (भारत) में हुआ था। वह एक हिंदू गौड़ ब्राह्मण परिवार से तलूक रखते है। इनके पिताजी का नाम देवेन्द्र शर्मा और माताजी का नाम तृप्ता शर्मा था। राकेश के जन्म के बाद उनके माता-पिता आन्ध्र प्रदेश के हैदराबाद शहर में रहने के लिए चले गए। इनकी पत्नी का नाम मधु शर्मा है। इनके एक बेटा कपिल शर्मा है जो फिल्म डायरेक्टर है। इन दोनों से दो बेटियाँ है – स्वर्गीय मानसी व कृतिका शर्मा। दोनों (कपिल शर्मा व कृतिका शर्मा) मीडिया के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। राकेश शर्मा शुरू से ही सरल और सौम्य प्रवृति के व्यक्ति रहे हैं। उनकी शादी कर्नल पी एन शर्मा की बेटी मधु शर्मा से हुआ था। ये दोनों रुसी भाषा के भी ज्ञाता हैं।
राकेश बचपन से ही विज्ञान में काफी रूचि रखते थें। बिगड़ी चीजों को बनाना और इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर बारीकी से नजर रखना उनकी आदत थी। राकेश जब बड़े हुए तो आसमान में उड़ते हवाई जहाज को तब तक देखा करते थे जब तक वह उनकी आंखो से ओझल ना हो जाए। राकेश के मन में आसमान में उड़ने की तमन्ना जाग गई। ऐसे में उन्होंने इस दिशा में अपनी रूचि उत्पन करके सफलता हासिल की।
राकेश शर्मा की शिक्षा
राकेश शर्मा ने सेंट जॉर्जेस ग्रामर स्कूल, हैदराबाद में पढ़ाई की और निज़ाम कॉलेज, हैदराबाद से ग्रेजुएशन किया। जुलाई 1966 में उनका वायु सेना में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में सिलेक्शन हुआ था और 1970 में पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना में नियुक्त किये गए थे। इसके बाद वह अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने। 20 सितम्बर 1982 को ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) ने उन्हें सोवियत संघ (उस वक्त) की अंतरिक्ष एजेंसी इंटरकॉस्मोस के अभियान के लिए चुन लिया।
अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का करियर
राकेश शर्मा को बचपन से ही विज्ञान विषय से लगाव था। बचपन में वह आसमान में उड़ते हुए हवाई-जहाज को देखा करते थे और तब तक देखते थे जब तक वे आँखों से ओझल न जाते थे। स्कूल के दिनों से ही उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स में बहुत रुचि थी। वर्ष 1966 में एनडीए की परीक्षा करने के बाद इंडियन एयर फोर्स कैडेट के रूप में वह चुने गए। राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें वर्ष 1970 में भारतीय वायु सेना में टेस्ट पायलट के पद पर भर्ती किया गया। यहाँ से उनकी जिंदगी बदलना शुरू हो गयी थी।
मात्र 21 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना में शामिल होने का बाद राकेश आगे बढ़ते गए। भारतीय वायु सेना में लड़ाकू विमान उड़ाने अवसर उन्हें जल्दी ही मिल गया। 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान राकेश शर्मा ने अपने विमान “मिग एअर क्रॉफ्ट” से महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। इस युद्ध के बाद से राकेश शर्मा चर्चा में आए और लोगों ने उनकी योग्यता की जमकर तारीफ की। उन्होंने साबित कर दिया था कि कठिन परिस्थितियों में भी शानदार कार्य किया जा सकता है।
20 सितम्बर 1982 को राकेश शर्मा का चयन भारतीय नागरिक रवीश मल्होत्रा के साथ भारत और सोवियत संघ के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के लिए किया गया। इस अभियान के तहत दोनों में से किसी एक को अंतरिक्ष यात्रा का अवसर मिलने वाला था। उन्होंने अपनी योग्यता की बदौलत वर्ष 1984 में भारतीय वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर का पद हासिल किया।
राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा
भारत के अंतरिक्ष विज्ञान संगठन ‘इसरो’ और सोवियत संघ के ‘इन्टरकॉसमॉस’ के इस संयुक्त अभियान में अंतरिक्ष का अध्ययन करने के लिए दोनों देशों के तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्षयान द्वारा अंतरिक्ष में जाना था। तीन अंतरिक्ष यात्रियों में से दो सोवियत संघ से और एक भारत से चुना जाना था। भारत से नामित राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा को अंतरिक्ष यात्रा पूर्व प्रशिक्षण के लिए सोवियत संघ के कज़ाकिस्तान स्थित अंतरिक्ष स्टेशन बैंकानूर में भेजा गया। इस प्रशिक्षण में राकेश शर्मा टॉप रहे और अंतिम रूप से उनका चुनाव अंतरिक्ष यात्रा के लिए कर लिया गया।
फिर 3 अप्रैल 1984 को वह ऐतिहासिक दिन आया जिसका सभी भारतीयों को इंताजर था। राकेश शर्मा ने दो सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों कमांडर वाई वी मलिशेव और फ्लाइट इंजीनियर जी एम स्त्रोक्लोफ़ के साथ अंतरिक्ष-यान सोयुज T-11 में अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। उड़ान भरने के बाद तीनों अंतरिक्ष यात्री सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में सोवियत संघ द्वारा स्थापित ऑर्बिटल स्टेशन सोल्युज-7 में पहुँच गए। इस ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन के साथ भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला विश्व का 14th देश बना।
राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में लगभग 8 दिन (7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट) बिताए थे। इस दौरान इस अंतरिक्ष दल ने वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन से संबंधित 43 प्रयोग किए थे। राकेश शर्मा को विशेष तौर पर बायो-मेडिसिन और रिमोट सेंसिंग के संबंध में अध्ययन करने की जिम्मेदारी मिली थी। इस उड़ान में और साल्युत 7 अंतरिक्ष केंद्र में उन्होंने उत्तरी भारत की फोटोग्राफी की और गुरूत्वाकर्षण-हीन योगाभ्यास किया। राकेश शर्मा अंतरिक्ष मे जाने वाले भारत के पहले और विश्व के 138th व्यक्ति थे।
अंतरिक्ष यात्रा के समय संयुक्त अंतरिक्ष दल ने मास्को के सोवियत संघ के अधिकारीयों के साथ मिलकर देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के साथ एक संयुक्त वार्तालाप भी की। इस वार्तालाप में इंदिरा गाँधी ने राकेश शर्मा से एक दिलचस्प सवाल पूछा था – ‘अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?’ राकेश शर्मा ने बड़े दिलचस्प अंदाज में इंदिरा जी के सवाल का जवाब दिया – ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा” उस समय देश के अख़बारों में इंदिरा गाँधी और राकेश शर्मा के बीच का यह वार्तालाप काफी चर्चा का विषय बन गया था।
इस महत्वपूर्ण पल को लाखों भारतवासियों ने टेलीविज़न पर देखा था। धरती से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का यह सवाल और अंतरिक्ष में रूसी अंतरिक्ष यान से भारत के अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के इस जवाब ने हर हिन्दुस्तानी को रोमांचित कर दिया था
इसके बाद राकेश शर्मा भारतीय वायु सेना से विंग कमाडर के पद से सेवानिवृत्त हो गए और ‘हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’ में टेस्ट पायलट के तौर पर कार्य करने लगे। उन्होंने सन 1992 तक ‘हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’ के नाशिक मंडल में मुख्य टेस्ट पायलट के रूप कार्य किया। राकेश शर्मा लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) ‘तेजस’ के विकास से भी जुड़े रहे।
राकेश शर्मा को मिले पुरस्कार व उपलब्धियाँ
राकेश शर्मा को उनके उत्कृष्ट कार्यो के लिए भारत व रूस से पुरुस्कार व सम्मान मिला है। अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद भारत में राकेश शर्मा का जबरदस्त स्वागत हुआ।
- भारत सरकार ने राकेश शर्मा को शांतिकाल में बहादुरी के लिए दिए जाने वाले सबसे बड़े पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया।
- सोवियत संघ ने राकेश शर्मा को ‘हीरो ऑफ़ सोवियत यूनियन’ के पुरस्कार से सम्मानित किया।
- वर्ष 1987 में राकेश शर्मा भारतीय वायु सेना से विंग कमांडर के पद से सेवा के लिए नियुक्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने ‘हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) में टेस्ट पायलट के तौर पर कुछ समय के लिए अपनी सेवाएं दी।
- वर्ष 2006 में राकेश शर्मा को ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) के बोर्ड में नामित किया गया।
- बाद में वह एक कंपनी ‘’ऑटोमेटेड वोर्कफलोर’’ के चेयरमैन भी नियुक्त हुए।
राकेश शर्मा का जीवन घटनाक्रम
वर्ष | घटनाएँ |
1949 | पंजाब के पटियाला में एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में जन्म |
1966 | राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) के लिए चयनित |
1970 | भारतीय वायुसेना में टेस्ट पायलट के पद पर नियुक्ति |
1971 | रूस में निर्मित लड़ाकू विमान मिकोयाँ गुरेविच को उड़ाने का गौरव प्राप्त हुआ |
1982 | राकेश शर्मा का चयन भारत-रूस संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए हुआ, इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा का गौरव प्राप्त होना था |
1984 | 3 अप्रैल को राकेश शर्मा ने दो रुसी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी, यह गौरव प्राप्त करने वाले वे पहले भारतीय बने |
1987 | विंग कमांडर के पद से भारतीय वायुसेना से सेवा में नियुक्त हुए |
1987 | टेस्ट पायलट के तौर पर ‘’हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’’ को अपनी सेवाएं दी |
2006 | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बोर्ड में सदस्य नामित हुए |
आशा करता हूँ आपको भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जीवन परिचय (Rakesh sharma ka jiwan parichay) अच्छा लगा होगा। दोस्तों राकेश शर्मा का जीवन परिचय-Rakesh Sharma biography in hindi लेख में किसी प्रकार की त्रुटि होने पर आप कमेंट बॉक्स में बताये। मैं उसमे संशोधन करने की कोशिश करूँगा। राकेश शर्मा ने यह मिशन सफलतापूर्वक पूरा करके भारत का गौरव समूचे विश्व में बढ़ाया है। राकेश शर्मा का जीवन कई छात्रों के लिए आदर्श है।
FAQ
Q : राकेश शर्मा के अंतरिक्ष यान का नाम क्या है?
Ans : सोयुज टी-11
Q : भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री कौन थे?
Ans : राकेश शर्मा
Q : राकेश शर्मा का जन्म कब और कहां हुआ था?
Ans : 13 जनवरी 1949 को पटियाला, पंजाब में
Q : भारत के अंतरिक्ष केंद्र का नाम क्या है?
Ans : इसरो सैटेलाइट सेंटर
Q : स्पेस में जाने वाले व्यक्ति को क्या कहते हैं?
Ans : खगोल यात्री या अंतरिक्ष यात्री या खगोल बाज़
Q : राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष की उड़न कब भरी थी ?
Ans : 3 अप्रैल 1984
Q : राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में कितने दिन बिताये थे ?
Ans : 8 दिन (7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट) बिताए थे
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