कल्पना चावला का जीवन परिचय-Kalpana Chawla Biography in Hindi :- आज मैं आपको इस लेख में कल्पना चावला का जीवन संघर्ष, कल्पना चावला की शिक्षा, कल्पना चावला का जन्म व परिवार, कल्पना चावला का करियर और कल्पना चावला को मिले अवार्ड के बारे में बताने वाला हूँ। इस लेख के माध्यम से आप कल्पना चावला की जीवनी (Kalpna chawla ka jiwan parichay) व उसके जीवन से जुड़े तथ्यो के बारे में जानेंगे।
कल्पना चावला पहली भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अन्तरिक्ष में जाने वाली द्वितीय भारतीय और प्रथम भारतीय महिला थी। 1997 में वह अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी। वर्ष 2003 में कोलंबिया अन्तरिक्ष यान दुर्घटना में मारे गये सात यात्रियों के दल में से वह एक थी। कल्पना चावला देश की महिलाओ के लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व की महिलाओ के लिए एक आदर्श महिला है। उन्होंने दो बार अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था।
उन्होंने भारत का नाम गौरव से बढ़ाया है। कल्पना भारत में एक आदर्श,सफल और प्रेरणास्पद महिला के रूप में देखी जाती हैं। कल्पना ने अपनी पहली उड़ान के बाद कहा था कि रात के समय में, मैं फ्लाइट डेक की लाइट कम कर देती हूँ और बाहर गैलेक्सी और तारों को देखती हूँ। उस समय मुझे ऐसा महसूस होता हैं कि आप धरती से या धरती के कोई विशेष टुकड़े से नहीं आते हो, बल्कि आप इस सूर्यमंडल का ही एक भाग हो।
कल्पना चावला का जीवन परिचय एक नजर में
पूरा नाम (Full name) | कल्पना चावला |
जन्म (Birth) | 17 मार्च 1962 |
जन्म स्थान (Birth place) | करनाल (हरियाणा) |
पिता का नाम (Father’s name) | बनारसी लाल चावला |
माता का नाम (Mother’s name) | संज्योथी चावला |
पति का नाम (Husband’s name) | जीन पिएरे हैरिसन |
पेशा (profession) | इंजिनियर,टेक्नोलॉजिस्ट |
प्राथमिक शिक्षा | करनाल से |
B.sc | पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज |
M.S | टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग |
PHD | एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कोलोराडो यूनिवर्सिटी से |
पहली अन्तरिक्ष की यात्रा | 1996 में STS-87 |
दूसरी और अंतिम अन्तरिक्ष यात्रा | 2003 में STS-107 फ्लाइट |
मृत्यु (Death) | 1 फरवरी 2003 |
कल्पना चावला का जन्म व परिवार
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 में करनाल, हरियाणा, भारत में हुआ था। कल्पना के पिताजी का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माताजी का नाम संजयोती देवी था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनो में सबसे छोटी थी। घर में सब उसे प्यार से मोंटू कहते थे। कल्पना को घर में सब बहुत लाढ-प्यार करते थे।
वह बचपन से ही बहुत चंचल स्वभाव की थी। वह शुरू से ही लगनशील और जुझार प्रवृति वाली लड़की थी। कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी। वह न तो काम करने में आलसी थी और न ही असफलताओं से घबराने वाली थी। कल्पना की दो अन्य बहनों का नाम सुनीता और दीपा है और उनके भाई का नाम संजय है। कल्पना परिवार में सबसे लाड़ली थी।
कल्पना चावला की शिक्षा
कल्पना चावला ने प्रारंभिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की थी। कल्पना ने चंड़ीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया और वर्ष 1982 में उन्होनें एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी कर ली। उसी साल कल्पना चावला अमेरिका चलीं गईं। उन्होनें 1982 में आर्लिंगटन में टेक्सास विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स करने के लिए एडमिशन लिया इसके बाद कल्पना चावला ने इसे 1984 में सफलतापूर्वक पूरा किया।
उन्होंने 1986 में ‘’एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’’ में दूसरा मास्टर्स भी किया उसके बाद कोलराडो यूनिवर्सिटी से उन्होनें ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’’ विषय में PHD की पढ़ाई पूरी की। कल्पना को हवाईजहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वह एक सुप्रसिद्ध नासा की वैज्ञानिक थी।
कल्पना चावला का करियर
कल्पना चावला ने वर्ष 1988 में नासा एम्स अनुसंधान केंद्र के लिए ओवेर्सेट मेथड्स इंक के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करना शुरू किया। कल्पना ने नासा में रहकर अपने जीवन में बहुत सारे रिसर्च भी किए। कल्पना की लगन और मेहनत को देखते हुए बाद में उन्हें अंतरिक्ष मिशन की Top 15 की टीम में शामिल कर लिया गया और देखते ही देखते उन 6 लोगो की टीम में भी कल्पना चावला का नाम शामिल हो गया, जिनको अंतरिक्ष में भेजा जाना था। इस तरह अब कल्पना के सपनों को पँख लग चुके थे। उन्हें अपने सपने साकार होते हुए देखने लगे थे।
कल्पना चावला का पहला अंतरिक्ष मिशन
अप्रैल 1991 में कल्पना चावला को अमेरिका की नागरिकता मिली और मार्च 1995 में उन्होंने नासा एस्ट्रोनौट कोर्प के लिए आवेदन किया। सन 1996 में उन्हें पहली उड़ान के लिए चुना गया। उनका पहला अन्तरिक्ष मिशन 19 नवम्बर 1997 को छह-अन्तरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अन्तरिक्ष शटल कोलंबिया की उडान STS-87 से शुरू हुआ।
कल्पना अन्तरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारतीय महिला थी और अन्तरिक्ष में उड़ने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थी। राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत (Soyuz T-11) अन्तरिक्ष यान में उडान भरी थी। कल्पना ने अपने पहले मिशन में अन्तरिक्ष में 372 घंटे बिताए। उन्होंने 10.4 मिलियन किमी (1 करोड़ मील) की अंतरिक्ष यात्रा की। यह लगभग पृथ्वी के चारों ओर 252 चक्कर लगाने के बराबर था।
इस यात्रा के दौरान उन्हें स्पार्टन उपग्रह को स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। परन्तु इस उपग्रह ने ठीक से कार्य नहीं किया। जिसके कारण इस उपग्रह को पकड़ने के लिए दो अंतरिक्ष यात्रियों विंस्टन स्कॉट व तकाओ दोई को अंतरिक्ष वाक करना पड़ा था। बाद में इस गड़बड़ी की वजह जानने के लिए नासा ने 5 महीने तक जांच की थी। जिसमे पाया गया था कि यह गड़बड़ी कल्पना के वजह से नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर इंटरफ़ेस व फ्लाइट क्रू और ग्राउंड कण्ट्रोल के कार्यप्रणाली में कमियों की वजह से हुई थी। कल्पना को अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा (STS-87) से जुड़ी गतिविधियाँ पूरी करने के बाद उन्हें एस्ट्रोनॉट कार्यालय में ‘स्पेस स्टेशन’ पर कार्य करने की तकनीकी की जिम्मेदारी सौंपी गयी।
कल्पना चावला का दूसरा अंतरिक्ष मिशन
सन 2000 में कल्पना चावला को उनके दूसरे अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया। उन्हें कोलंबिया अंतरिक्ष यान के STS-107 उड़ान के दल में शामिल किया गया। कुछ तकनीकी और अन्य कारणों से यह अभियान लगातार पीछे सरकता जा रहा था। अंततः 16 जनवरी 2003 को कल्पना चावला ने कोलंबिया पर चढ़ कर STS-107 मिशन की शुरुआत की। यह 16 दिन का मिशन था। इस मिशन पर कल्पना चावला ने अपनी टीम के सभी साथियों के साथ मिलकर 80 परीक्षण किए थे।
कल्पना चावला की मृत्यु
हाथों में फूल और गुलदस्ते लिए स्वागत के लिए खड़े विज्ञानिक और अंतरिक्ष प्रेमी सहित पूरा विश्व उस दुर्घटना को देखकर शौक में डूब गया। अंतरिक्ष यान को धरती पर उतरने में मात्र 16 मिनट रह गए थे। तभी अचानक शटल ब्लास्ट हो गया और कल्पना चावला के साथ सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए। अंतरिक्ष में पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई।नासा तथा विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी। उस समय उस अंतरिक्ष यान की गति 20 हजार km प्रति घंटा थी।
1 February 2003 को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास नामक शहर पर बरसने लगे। ये अंतरिक्ष यात्री तो सितारों की दुनिया में विलीन हो गए लेकिन इनके अनुसंधानों का लाभ पूरे विश्व को अवश्य मिलेगा। इस तरह कल्पना चावला के यह शब्द सत्य हो गए,” मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ। प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए ही मरूँगी।
कल्पना चावला के रिकॉर्ड व अवार्ड
कल्पना को मरणोपरांत काफी पुरूस्कार और सम्मान मिला। उन्होंने अपनी मेहनत से कई रिकॉर्ड बनाये। कल्पना चावला को भारत का गौरव कहा जाता है। इसके साथ ही वह अन्य लड़कियों के लिए भी एक आदर्श थी। वह 372 घंटे में अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली पहली भारतीय महिला थीं और उन्होनें पृथ्वी के चारों ओर 252 चक्कर पूरे किए थे। उनकी उपलब्धियां भारत और विदेशों में कई अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा रही हैं। उसके नाम पर कई विज्ञान संस्थान हैं। कल्पना को मिले हुए अवार्ड –
- कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ ऑनर
- नासा अन्तरिक्ष उडान पदक
- नासा विशिष्ट सेवा पदक
सन 2003 में कल्पना के देहांत के बाद भारत के प्रधानमंत्री ने मौसमी सेटेलाईट का नाम कल्पना के नाम पर रखने की घोषणा की। जिस कारण MetSat-1 नाम के सेटेलाइट का नाम कल्पना के नाम पर रखा गया। MetSat-1 को 12 सितम्बर 2002 लांच किया गया था। इसी समय सन 2004 में कर्नाटक सरकार द्वारा जवान महिला वैज्ञानिको के लिए कल्पना चावला अवार्ड भी स्थापित किया गया। नासा ने कल्पना चावला की याद में उन्हें सुपरकंप्यूटर भी समर्पित किया।
कल्पना चावला का जीवन घटनाक्रम
वर्ष | घटनाएँ |
1961 | 1 जुलाई को हरियाणा के करनाल में जन्म हुआ |
1982 | पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से एरोनौटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की |
1982 | आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका गयी |
1983 | उड़ान प्रशिक्षक जीन पिएर्र हैरिसन से विवाह किया |
1984 | टेक्सास विश्वविद्यलय से ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में मास्टर ऑफ़ साइंस किया |
1988 | ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ विषय में शोध किया और PHD की और नासा के लिए कार्य करने लगी |
1993 | ओवरसेट मेथड्स इंक में बतौर उपाध्यक्ष तथा अनुसन्धान वैज्ञानिक शामिल हुईं |
1995 | नासा के एस्ट्रोनॉट कोर्प में शामिल हुईं |
1996 | कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-87 पर वे मिस्सिओना स्पेशलिस्ट के तौर पर गयीं थी |
1997 | कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-87 के द्वारा उन्होंने अंतरिक्ष में अपनी पहली उड़ान भरी |
2000 | कल्पना को उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा यानि कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-107 यात्रा के लिए चुना गया |
2003 | 1 फरवरी को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी के परिमंडल में प्रवेश करते समय टेक्सास के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे यान में सवार सभी 6 अंतरिक्ष यात्री मारे गए |
आशा करता हूँ आपको कल्पना चावला का जीवन परिचय (Kalpna chawla ka jiwan parichay) वाला लेख अच्छा लगा होगा। यदि इस पोस्ट (Kalpana Chawla Biography in Hindi) में किसी प्रकार की त्रुटि हो तो संसोधन के लिए कमेंट बॉक्स में अपने विचार रखे। मैं उन त्रुटियों को सही करने की कोशिश अवश्य करूँगा।
FAQ
Q : कल्पना चावला की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ पर हुई थी ?
Ans : करनाल, हरियाणा में
Q : कल्पना चावला कहाँ की रहने वाली थी
Ans : भारत के करनाल की
Q : कल्पना की मृत्यु कब हुई?
Ans : 1 February 2003
Q : अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला कौन थी?
Ans : कल्पना चावला
Q : कल्पना चावला का जन्म कब हुआ?
Ans : 17 मार्च 1962 में करनाल, हरियाणा,
Q : कल्पना चावला के ऊपर कौन सी बुक लिखी गई?
Ans : Kalpana Chawla: A Life पेपरबैक
Q : कल्पना चावला के हस्बैंड का क्या नाम है?
जीन-पियेर हैरिसन
Q : कल्पना चावला प्रथम बार अंतरिक्ष में कब गई?
Ans : 19 नवम्बर 1997
Q : कल्पना चावला की मृत्यु कैसे हुई और कब हुई?
Ans : 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से वापस लौटते समय अंतरिक्ष यान की दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गयी थी।
Q : कल्पना ने कितनी बार अंतरिक्ष यात्रा की थी?
Ans : 2 बार
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मेरा नाम गोविन्द प्रजापत है। मैं talentkiduniya.com का फाउंडर हूँ। मुझे स्कूल के समय से ही हिंदी में लेख लिखने और अपने अनुभव को लोगो से शेयर करने में रूचि रही है। मैं इस ब्लॉग के माध्यम से अपनी नॉलेज को हिंदी में लोगो के साथ शेयर करता हूँ।