आज हम चर्चा करेंगे डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी -Biography of dr. A.P.J. Abdul Kalam in hindi के बारे में। कलाम साहब को कोण नहीं जनता। हिंदुस्तान का बच्चा बच्चा इनके बारे में जानते है। कलाम वे हस्ती थे जिन्होंने अपनी कुशाग्र बुद्धि व अपने सफल परीक्षणों से भारत को परमाणु शक्ति में सम्पन बनाया है। दुनिया कलाम साहब को मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के रूप में भी जानती है। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन देश के लिए समर्पित किया। 1974 में उन्होंने भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद जब दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान में द्वितीय परमाणु परीक्षण किया गया तो उसमें उन्होंने एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई। डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी आइये जानते है ।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक ब्रांड के रूप में
कलाम साहब अपने आप में एक ब्रांड थे। वे किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। उन्होंने सिखाया जीवन में चाहें जैसे भी परिस्थिति क्यों न हो ,अगर आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं। कलाम के विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन (DRDO) व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में अपना योगदान दिया। भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। उन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए ‘मिसाइल मैन’ कहा जाता है।
कलाम साहब को भारतीय गणतंत्र का 11 th राष्ट्रपति चुना गया था। कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वे शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम है जिन्हे संक्षिप्त में एपीजे अब्दुल कलाम कहा जाता है। आइये जानते है डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी।
– Biography of dr. A.P.J. Abdul Kalam in hindi
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन
कलाम साहब का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में हुआ था। वे एक गरीब मुस्लिम परिवार से तालुक रखते थे। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था। और उनकी माता का नाम आशियम्मा था। उनकी माँ एक गृहिणी थीं। उनके पिता जैनुलाब्दीन पढ़े-लिखे नहीं थे। उनके पिता जी एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे। और साथ में एक नाविक भी थी। कलाम के पिता जी मछुआरों को नाव किराये पर भी दिया करते थे। ताकि परिवार की जरूरतों को पूरा किया जा सके। उनका परिवार काफी बड़ा था। वे स्वयं पाँच भाई व पाँच बहन थे। कलाम संयुक्त परिवार में रहा करते थे। उनका परिवार, तीन परिवार के रूप में एक संयुक्त परिवार था।
कलाम के जीवन पर उनके पिता का बहुत प्रभाव रहा था। वे अपने पिता के साथ काम किया करते थे। कलाम के पिता अनपढ़ होने के बाउजूद अपने बेटे कलाम में लगन और संस्कार के बीज बोये। कलाम भी अपने पिता की लगन और उनके द्वारा दिए गए संस्कार से प्रभावित थे। 5 वर्ष की उम्र में रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय में उनका दाखिला हुआ। उनके शिक्षक इयादुराई सोलोमन ने उनसे कहा था कि यदि तुम जीवन मे सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करना चाहते हो तो तीव्र इच्छा,आस्था, अपेक्षा इन तीन शक्तियो को भलीभाँति समझ लेना। साथ में उन पर प्रभुत्व स्थापित करना भी आना चाहिए। you are reading :-डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी – Biography of dr. A.P.J. Abdul Kalam in hindi
एक बार उनके शिक्षक उन्हें पक्षी के उड़ने के तरीके बता रहे थे। शिक्षक 5वीं कक्षा के बच्चो को पक्षी की उड़ान के बारे में पड़ा रहे थे। परन्तु जब बच्चो को कुछ भी समझ नहीं आया तो शिक्षक ने उनको समुद्र के किनारे लेकर गए। तब उन्होंने उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर अच्छे से समझाया। कलाम ने यही से विचार बना लिए थे कि वे भविष्य में विमान विज्ञान में ही जाना चाहेंगे है। कलाम बचपन से ही मेधावी छात्र थे। उन्हें मैथमेटिक्स व फिजिक्स में बहुत ज्यादा रूचि थी। कलाम के मैथमेटिक्स टीचर सुबह ट्यूशन लेते थे, इसलिए वे सुबह 4 बजे मैथ की ट्यूशन पढ़ने जाया करते थे।
कलाम साहब एक गरीब परिवार से थे। इसलिए वे अपनी प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए घर घर जाकर अखबार बाँटा करते थे। सन्न 1950 में कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में gradution की डिग्री हासिल की है। gradution होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। सन्न 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े जहाँ उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उन्होंने यहाँ परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनके सहयोग से जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।
Biography of dr. A.P.J. Abdul Kalam in hindi
डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम का वैज्ञानिक जीवन सफर
सन्न 1972 में कलाम साहब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़कर अपने वैज्ञानिक जीवन की यात्रा शुरू की। यहाँ पर कलाम साहब को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह एस.एल.वी. तृतीय (प्रक्षेपास्त्र) बनाने का श्रेय प्राप्त हुआ। सन्न 1980 में उन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।
इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को ऊँचाई पर चढ़ाने का श्रेय भी कलाम साहब को दिया जाता है। उन्होंने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। उन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। उन्होंने जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया।अतः भारत ने परमाणु हथियारो के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता हासिल की।
उन्होंने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट विचार दिया। वे भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे थे। सन्न 1982 में उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर पद ग्रहण किया और उन्होंने अपना सारा ध्यान “गाइडेड मिसाइल” के विकास पर केन्द्रित किया। अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण करने का श्रेय कलाम साहब को ही जाता है। जुलाई 1992 में उन्हें भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी निगरानी में ही भारत ने सन्न 1998 में पोखरण में दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया। इस तरह परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
कलाम साहब का राष्ट्रपति कार्यकाल
भारतीय जनता पार्टी समर्थित NDA दाल ने कलाम को राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में चुना। जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को कलाम साहब को 90 प्रतिशत बहुमत के साथ भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए। उन्होंने 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका राष्ट्रपति कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हो गया था। कलाम साहब ने अपने जीवनकाल में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये।
कलाम साहब राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे। वें राजनीति में आना भी नहीं चाहते थे लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण कारी नीतियों के कारण उन्हें थोड़ा सा राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न देखा जा सकता है। उन्होंने अपनी पुस्तक इण्डिया 2020 में अपना नजरिया स्पष्ट किया है। वें भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते थे। इस कार्य के लिए उनके पास एक योजना भी थी। कलाम साहब परमाणु हथियारों के क्षेत्र में भारत को सुपर पॉवर बनाना चाहते थे। और हमेशा अपने मन अनेक योजना बनाते थे।
साथ ही वें विज्ञान के हर क्षेत्र में तकनीकी विकास चाहते थे। कलाम का कहना था कि ‘सॉफ़्टवेयर’ का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसकी उपयोगिता से लाभांवित हो सकें। ऐसे में सूचना तकनीक का तीव्र गति से विकास हो सकेगा।
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद का जीवन सफर
राष्ट्रपति कार्यालय समाप्त होने के बाद कलाम साहब भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर व भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के मानद फैलो व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए। भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत के कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक के रूप में कार्य किया। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पढ़ाया। और युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन भी किया।
मई 2012 में उन्होंने भारत के युवाओं के लिए एक कार्यक्रम भ्रष्टाचार को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ- “मैं आंदोलन को क्या दे सकता हूँ” का आरम्भ किया। उन्होंने यहाँ पर तमिल भाषा में कविता लिखने व वेन्नई नामक दक्षिण भारतीय स्ट्रिंग वाद्य यंत्र को बजाने का भी मनोरंजनात्म आनंद लिया। वें कर्नाटक भक्ति संगीत हर दिन सुनते थे और हिंदू संस्कृति में विश्वास करते थे। उन्हें 2003 व 2006 में “एमटीवी यूथ आइकन ऑफ़ द इयर” के लिए चुना गया था।
2011 में एक हिंदी फिल्म ”आई एम कलाम” में एक गरीब बच्चे पर कलाम के सकारात्मक प्रभाव को चित्रित किया गया। उनके सम्मान में वह बच्चा छोटू (जो एक राजस्थानी लड़का है) खुद का नाम बदल कर कलाम रख लेता है। कलाम की कुडनकुलम परमाणु संयंत्र पर अपने रुख से कुछ नागरिक समूहों द्वारा आलोचना की गई। उन्होंने ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया। कलाम पर स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं करने का आरोप लगाया गया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को एक समर्थ व सफल परमाणु वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है परन्तु संयंत्र की सुरक्षा सुविधाओं के बारे में उनके द्वारा दिए गए आश्वासनों से नाखुश प्रदर्शनकारी इनके प्रति शत्रुतापूर्ण थे।
कलाम साहब का व्यक्तिगत जीवन (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी)
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। वें मुस्लिम होते हुए भी शाकाहारी थे। कलाम साहब क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। कलाम साहब ने कई स्थानों पर उल्लेख किया है कि वे तिरुक्कुरल का भी अनुसरण करते हैं। उनके भाषणों में कम से कम एक कुरल का उल्लेख अवश्य रहता था। राजनीतिक स्तर पर वें चाहते थे कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका का विस्तार हो और भारत ज्यादा से ज्यादा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये। भारत का नाम पूरी दुनिया में सर्वोच्च हो। भारत हर तरह से एक संपन्न राष्ट्र हो , ऐसे विचारो वाले थे कलाम साहब।
वें भारत को महाशक्ति बनते हुए देखना चाहते थे। कलाम साहब ने कई प्रेरणादायक पुस्तकों की रचना की। वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक पहुँचाने की हमेशा बात किया करते थे। बच्चों और युवाओं के बीच कलाम साहब अत्यधिक लोकप्रिय थे। वें भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलपति भी थे। वे सदाय स्मित करते थे, फिर चाहे वो दफतर का नौकर ही क्यूँ न हो। उन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ़ फायर भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन देने के लिए लिखी है। कलाम साहब की दूसरी पुस्तक ‘गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ’ आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है। उन्होंने तमिल भाषा में अनेक कविताऐं लिखी है।
डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का निधन
27 जुलाई 2015 को शाम के समय में अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान दे रहे थे। तभी उन्हें एक खतरनाक हार्ट अटैक आया। वे बेहोश हो कर गिर पड़े। लगभग शाम के 6:30 बजे गंभीर हालत में उन्हें बेथानी हॉस्पिटल के आईसीयू वार्ड में ले जाया गया और दो घंटे के बाद डॉक्टर की टीम के द्वारा कलम की मृत्यु की पुष्टि कर दी गई। डॉक्टर्स ने कलम को बचाने की बहुत कोशिश की थी पर वे बच नहीं पाए। हॉस्पिटल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि जब कलाम को अस्पताल लाया गया तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर साथ बंद हो चूका था। उन्होंने अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही twite करके बताया था कि वे शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 15 अक्टूबर 2015 को 84 साल के होने वाले थे। मेघालय के राज्यपाल वी॰ षडमुखनाथन कलाम के हार्ट अटैक वाली खबर सुनकर वे सीधे ही हॉस्पिटल पहुँच गए। षडमुखनाथन ने बताया कि कलाम को बचाने की डॉक्टर्स की टीम ने बहुत कोशिश की। परन्तु शाम 7:45 बजे उनका निधन हो गया।
राजकीय सम्मान के साथ कलाम का अंतिम संस्कार
हॉस्पिटल में मृत्यु के तुरंत बाद अब्दुल कलाम के पार्थिव शरीर को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर के द्वारा शिलांग से गुवाहाटी लाया गया। अगले दिन 28 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर मंगलवार दोपहर को वायुसेना के विमान सी-130 जे हरक्यूलिस से दिल्ली लाया गया। लगभग 12:15 बजे विमान पालम एयरपोर्ट पर उतरा। सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इसकी अगवानी की और कलाम के पार्थिव शरीर पर पुष्पहार अर्पित किये।
उसके बाद तिरंगे में लिपटे हुए कलाम के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ एक गन कैरिज में रख कर उनके आवास 10 राजाजी मार्ग पर ले जाया गया। यहाँ पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित अनेक गणमान्य लोगों ने इन्हें श्रद्धांजलि दी। भारत सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक कलाम के निधन पर उनके सम्मान के रूप में 7 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी ।
29 जुलाई की सुबह वायुसेना के विमान सी-130 जे हरक्यूलिस से तिरंगे में लिपटे हुए कलाम के पार्थिव शरीर को पालम एयर बेस पर ले जाया गया। जहाँ से उन्हें मदुरै भेजा गया। विमान दोपहर तक मदुरै एयरपोर्ट पर पहुंचा। उनके पार्थिव शरीर को तीनों सेनाओं के प्रमुखों और राष्ट्रीय व राज्य के गणमान्य व्यक्तियों, कैबिनेट मंत्री मनोहर पर्रीकर, वेंकैया नायडू, पॉन राधाकृष्णनऔर तमिलनाडु और मेघालय के राज्यपाल के॰ रोसैया और वी॰ षडमुखनाथन ने एयरपोर्ट पर प्राप्त किया। एक छोटे से समारोह के बाद कलाम के शरीर को एक वायु सेना के हेलिकॉप्टर में मंडपम भेजा गया। मंडपम से कलाम के शरीर को उनके गृह नगर रामेश्वरम में एक आर्मी ट्रक में भेजा गया। अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए उनके शरीर को स्थानीय बस स्टेशन के सामने एक खुले क्षेत्र में प्रदर्शित किया गया ताकि जनता उन्हें आखिरी श्रद्धांजलि दे सके। 30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक कलाम के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में दफ़ना दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित 3,50,000 से भी ज्यादा लोगों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया।
डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलम के निधन के बाद दुनिया की प्रतिक्रिया
1. भारत की प्रतिक्रिया
कलाम के निधन के बाद भारत के साथ साथ दुनिया के अनेक देशो ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। भारत के वैज्ञानिक जगत के एक प्रतिभाशाली मिसाइल मैन के जाने से पूरा भारत दुःख में था। लोगो ने अपने अपने तरीके से उन्हें श्रद्धांजलि दी और कलाम के निधन से देश भर में और सोशल मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिये अनेक कार्य किये गए। लोगो ने फेसबुक, व्हाट्सप्प,ट्विटर आदि के माध्यम से अपना दुःख जाहिर किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। भारत सरकार ने कलाम को सम्मान देने के लिए 7 दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया।
वर्त्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ” कलाम का निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने भारत को महान ऊंचाइयों तक पहुंचने का काम किया है। उन्होंने हमें मार्ग दिखाया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिन्होंने कलाम के साथ प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की थी। मनमोहन सिंह ने कहा, “उनकी मृत्यु के साथ हमारे देश ने एक महान प्रतिभाशाली मनुष्य को खोया है। जिन्होंने हमारे देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है। मैंने प्रधानमंत्री के रूप में कलाम के साथ बहुत निकटता से काम किया है। मुझे हमारे देश के राष्ट्रपति के रूप में उनकी सलाह से लाभ हुआ। उनका जीवन और काम आने वाली पीढ़ियों तक याद किया जाएगा।
2. दलाई लामा की प्रतिक्रिया
दलाई लामा ने अपनी संवेदना और प्रार्थना व्यक्त की और कलाम की मौत को “एक अपूरणीय क्षति” कह कर अपना दुख प्रकट किया। उन्होंने कहा, मुझे कई अवसरों पर कलाम के साथ बातचीत करने का मौका मिला। वह एक महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद और राजनेता ही नहीं बल्कि वे एक वास्तविक सज्जन थे। हमेशा मैंने उनकी सादगी और विनम्रता की प्रशंसा की है। मैंने सामान्य हितों के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर हमारी चर्चाओं का आनंद लिया लेकिन विज्ञान,अध्यात्म और शिक्षा के साथ मुख्य रूप से हमारे बीच चिंतन किया जाता था।
3. भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे की प्रतिक्रिया
भूटान एक छोटा सा देश है लेकिन कलाम को पूरा सम्मान दिया। और उनकी मौत पर दुःख प्रकट किया। भूटान सरकार ने कलाम की मौत के शोक के लिए देश के झंडे को आधी ऊंचाई पर फहराने के लिए आदेश दिया। और श्रद्धांजलि में 1000 मक्खन के दीपक की भेंट की । भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने कलाम के प्रति अपना गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “वे एक महान नेता थे जिनकी सभी ने प्रशंसा की विशेषकर भारत के युवाओं के वे प्रशंसनीय नेता थे जिन्हें वे जनता का राष्ट्रपति बुलाते थे।”
4. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कलाम के बारे में कहा, वे एक महान राजनेता प्रशंसित वैज्ञानिक और दक्षिण एशिया के युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत के संयोग थे। उन्होंने कलाम की मृत्यु को भारत के लिए अपूरणीय क्षति से भी ज्यादा बताया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सबसे प्रसिद्ध बेटे, पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर हमें गहरा झटका लगा है। ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम अपने समय के सबसे महान बुद्धिमानो में से एक थे। वह बांग्लादेश में भी बहुत सम्मानित थे। उनकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की वृद्धि करने के लिए अमूल्य योगदान के लिए वे सभी के द्वारा हमेशा याद किये जायेंगे। कलाम दक्षिण एशिया की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत थे। जो युवा पीढ़ी के उनके सपनों को पंख देते थे। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया ने कहा, एक परमाणु वैज्ञानिक के रूप में उन्होंने लोगों के कल्याण में स्वयं को समर्पित किया।
5. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की प्रतिक्रिया
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि कलाम लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणादायक शख्सियत है। उन्होंने कहा कि हमे कलाम के जीवन से बहुत कुछ सीखना है। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी अपने देश की तरफ से दुःख प्रकट किया।
6. नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला की प्रतिक्रिया
नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भारत के लिए कलाम के वैज्ञानिक योगदानों को याद किया। नेपाल ने एक अच्छा दोस्त खो दिया है और मैंने एक सम्मानित और आदर्श व्यक्तित्व को खो दिया है। आपको बता दे नेपाल और भारत दोनों का रिस्ता दो भाइयो की तरह है। भारत नेपाल को कभी भी अपने से अलग नहीं समझता है। प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने कलाम की मृत्यु पर गहरा शोक प्रकट किया।
7. पाकिस्तान की प्रक्रिया
यु तो पाकिस्तान और भारत के रिश्ते को कौन नहीं जनता है। भारत व पाकिस्तान क रिश्तो में हमेसा खटास रही है। लेकिन पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर उनके प्रति दु: ख ,शोक व संवेदना व्यक्त की। परन्तु आपको बता दे पाकिस्तान हमेशा भारत की तरकी से जलाता आया है। भारतीय प्रोद्योगिक व तकनिकी कार्यो में कलाम के योगदान से भी पाकिस्तान को ईर्ष्या होती थी।
8. श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना की प्रतिक्रिया
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा, कलाम दृढ़ विश्वास और अदम्य भावना के आदमी थे। मैंने उन्हें दुनिया के एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में देखा था। उनकी मौत भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने ललाम को श्रद्धांजलि देने के लिए अपना दुःख प्रकट किया।
9. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की प्रतिक्रिया
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि अमेरिकी लोगों की ओर से मैं पूर्व भारतीय राष्ट्रपति डॉ ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम के निधन पर दुःख प्रकट करता हूँ और भारत के लोगों के लिए अपनी गहरी संवेदना का विस्तार करना चाहता हूँ। एक वैज्ञानिक और राजनेता कलाम ने अपनी विनम्रता से घर (देश ) में और विदेशों में सम्मान कमाया और भारत के सबसे महान नेताओं में से एक बने। भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों के लिए डॉ कलाम ने सदैव वकालत की। 1962 में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान नासा के साथ अंतरिक्ष सहयोग को गहरा करने के लिए काम किया। भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में इनके कार्यकाल के दौरान अमेरिका-भारत संबंधों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। उपयुक्त रूप से प्रसिद्ध व नामित “पीपुल्स प्रेसिडेंट” (जनता के राष्ट्रपति) ने सार्वजनिक सेवा, विनम्रता और समर्पण से दुनिया भर के लाखों भारतीयों और प्रशंसकों को एक प्रेरणा प्रदान की।
10. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रक्रिया
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत सरकार व भारत के सभी लोगों के लिए और मृतक नेता के प्रियजनों के लिए अपनी गंभीर संवेदना व्यक्त की। अपनी सहानुभूति और समर्थन से अवगत कराते हुए कहा, कलाम को हमारे देशों के बीच लगातार मैत्रीपूर्ण संबंधों के एक प्रतिपादक के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के लिए व्यक्तिगत योगदान दिया। उन्होंने पारस्परिक रूप से रूसी-भारतीय सहयोग जोड़ने के लिए बहुत कुछ किया।
11. अन्य देशो की प्रतिक्रिया
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुसीलो बम्बनग युधोयोनो, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग , संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नहयान सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय नेताओं और संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक ने भी कलाम को श्रद्धांजलि दी की।
डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार
- जब हम दैनिक समस्याओ से घिरे रहते है तो हम उन अच्छी चीज़ों को भूल जाते है जो की हम में है।
- प्रशन पूछना विधार्थियों की सभी प्रमुख विशेषताओ में से एक है। अतः छात्रों सवाल को सवाल पूछना चाहिए।
- इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी है।
- मेरे लिए नकारात्मक अनुभव जैसी कोई चीज़ नहीं है।
- जो लोग आधे अधूरे मन से कोई काम करते है उन्हें आधी अधूरी, खोकली सफलता मिलती है जो चारो और कड़वाहट भर देती है।
- जिंदगी और समय, विशव के दो सबसे बड़े अध्यापक है। ज़िंदगी हमे समय का सही उपयोग करना सिखाती है जबकि समय हमे ज़िंदगी की उपयोगिता बताता है।
- मैं हमेशा इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता।
- हमे प्रयत्न करना नहीं छोड़ना चाहिए और समस्याओ से नहीं हारना चाहिए।
कलाम को दिए गए पुरस्कार एवं सम्मान
कलाम को अपने कुशल कार्यों के लिए अनेक संस्थाओ के द्वारा अनेक अवार्ड मिले। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने कलाम के 79 वें जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया था। उन्हें लगभग चालीस विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की गयी थीं। भारत सरकार द्वारा उन्हें 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण का सम्मान दिया गया था। यह सम्मान उन्हें इसरो और DRDO में कार्यों के दौरान वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिये तथा भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य हेतु प्रदान किया गया था।
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1997 में अब्दुल कलाम को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था, जो उनके वैज्ञानिक अनुसंधानों और भारत में तकनीकी के विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए दिया गया था। 2005 में स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने कलाम के स्विट्ज़रलैंड आगमन के उपलक्ष्य में 26 मई को विज्ञान दिवस घोषित किया। नेशनल स्पेस सोशायटी ने 2013 में उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान सम्बंधित परियोजनाओं के कुशल संचालन और प्रबंधन के लिये वॉन ब्राउन अवार्ड प्रदान किया गया।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गई प्रमुख किताबे (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी)
कलाम साहब ने साहित्यिक रूप से अपने विचारों को चार पुस्तकों में समाहित किया है। डॉ कलाम ने ‘इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम,’ ‘विंग्स ऑफ फायर,’ ‘द ल्युमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्सेज एंड कलर्स सहित कई निर्देशात्मक और प्रेरणादायक पुस्तकों के लेखक और सह-लेखक थे।
इंडिया: ए विजन ऑफ़ इंडियन यूथ, ” यू आर बर्न टू ब्लॉसम, ” इग्नेस्ड माइंड्स: अनलिशिंग द पॉवर इन इंडिया, ” गाइडिंग सोल्स, ” इंस्पायरिंग थॉट्स, ” टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी विद चैलेंजेस, ” ट्रांसेंडेंस माय स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस, ” बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमॉर्स इंडिया, ”
कलाम साहब की प्रमुख पुस्तकें
चिंतनपरक रचनायें
इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पावर विदीन इंडिया,इंडिया- माय-ड्रीम, एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नालजी फार सोसायटल ट्रांसफारमेशन
आत्मकथात्मक रचनायें
विंग्स ऑफ फायर: एन आटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम : सह लेखक – अरुण तिवारी
साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट,माय जर्नी (मेरी जीवनयात्रा)
निष्कर्ष :- (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी)
यह थी डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी-Biography of dr. A.P.J. Abdul Kalam in hindi । कलाम साहब की जीवनी युवाओ के लिए एक प्रेरणादायक स्रोत है। डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी हर युवा वर्ग को पढ़ना चाहिए। हमें उनके जीवन से विषम परिस्थितियों में भी अपना भविष्य उज्जवल करने की प्रेरणा मिलती है। हमे शिक्षा मिलती है कि कि चुनोतियाँ और गरीबी कितनी भी हो , अगर सच्चे दिल से व पूरी शिद्दत से मेहनत कि जाये तो बड़े से बड़े टारगेट को अचीव किया जा सकता है। इस दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं है। बस जरूरत है तो तन मन से मेहनत करने वाले की। कलाम साहब की जीवनी कैसी लगी , कमेंट करके बताये। अंत में , मै यही कहना चाहूँगा , आपको उनकी रचनाएँ व बुक्स पढ़नी चाहिए।
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