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एक नादान प्रेम कहानी : Young Love Story In Hindi

एक नादान प्रेम कहानी Young Love Story In Hindi

इस संसार में हर किसी को अपने जीवन में किसी न किसी से एक बार प्यार जरूर होता है। कोई प्यार में सफल ( Success in Love ) हो जाता है तो कोई असफल हो जाता है। किसी किसी का प्यार एक तरफा होकर एक अधूरी प्रेम कहानी रह जाती है। यहां इस लेख में आपको एक ऐसी ” एक नादान प्रेम कहानी : Young Love Story In Hindi ” के बारे में बताया जा रहा है।

प्यार एक एहसास है, जो दिमाग से नहीं दिल से होता है। इसमें कई भावनाओं और अलग अलग विचारो का समावेश होता है। कहते है कि प्यार इंसान को धीरे धीरे खुशियों की तरफ लेकर जाता है। प्यार का अहसास ( Feeling of Love ) हीमीठा होता है। प्यार में दो लोगो के बीच एक मज़बूत आकर्षण होता है। साथ ही निजी भावनाओ का जुड़ाव होता है।

सच्चा प्यार वह होता है जो सभी हालातो में आप के साथ हो अर्थात जो आपके सुख-दुःख में साथ हो। जब इंसान को किसी से प्यार होता है, तो उसकी ज़िन्दगी बदल जाती है। हालाँकि जिन्दगी बदलती है या नही, यह उस इंसान के उपर निर्भर करता है। पर प्यार इंसान को जरूर बदल देता है। प्यार एक ऐसा अहसास है, जिसमे जरुरी नहीं है कि हम अपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ रहे।

प्यार तो एक-दूसरे से दूर रहने पर भी खत्म नहीं होना चाहिए। प्यार में दुरी कितनी भी हो, लेकिन दोनों के बीच में प्यार का अहसास ( Love Feeling ) व वफ़ादारी हमेशा पास का होना चाहिए। आज के समय में किसी से सच्चा प्यार करने वाले बहुत कम लोग हैं। लोग प्यार में कुछ भी कर गुजर जाते है। प्यार का जूनून होता ही ऐसा है। आजकल का प्यार शारीरिक सम्बन्धो से होकर गुजरता है।

एक नादान प्रेम कहानी : Young Love Story In Hindi

मैं आपको इस लेख में ” एक नादान प्रेम कहानी : Young Love Story In Hindi ” के बारे में बताऊंगा। यह कहानी रोहन और दीपिका की प्रेम कहानी ( Rohan and Deepika Love Story in Hindi ) है। दीपिका को पहली ही मुलाकात में रोहन से प्यार हो जाता है। लेकिन जब तक रोहन को इस बात का पता लगता है, वह इस दुनिया को अलविदा कह चुकी होती है। रोहन और दीपिका का प्यार एक प्रेम कहानी बनकर रह गई। यह कहानी केवल प्यार का मीठा अहसास बन के रह गई।

रोहन और दीपिका की प्रेम कहानी – Rohan and Deepika Love Story in Hindi

यह बात उन दिनों की है जब रोहन अपनी 12 कक्षा पास करके कॉलेज की पढ़ाई के लिए शहर गया। 12 कक्षा तक की पढ़ाई उसने अपने गांव से ही पूरी की थी। 12 कक्षा में रोहन के आर्ट्स स्ट्रीम में 85 % मार्क्स आये थे। वह पढ़ने में बहुत होशियार था। शहर में किसी रिश्तेदार का एक कमरे का मकान था। वह उस मकान में रहने लगा।

अपने रिश्तेदार का मकान होने की वजह से उसे किराया नहीं देना पड़ता था। वह घर उसे बिना किराये के मिल गया था। आस-पास सब गरीब लोगो के घर थे। अर्थात शहर में रोहन कच्ची बस्ती में रहने लगा था। रोहन उस घर में अकेला ही रहता था। घर के सारे काम उसे ही करने पड़ते थे। वह खुद सुबह- शाम का खाना बनाता था और घर की सफाई भी खुद ही करता था।

साथ ही उसे अपने कपड़े भी धोने होते थे। इतना काम करने के बाद वह कॉलेज भी जाता था और रात में देर तक पढ़ाई करता था। वह काफी व्यस्त रहने लगा था। एक महीने बाद तक वह अपने आपको शहरी जीवन में ढाल चूका था। रोहन शुरू से ही मेहनती था। वह किसी भी काम को करने में पीछे नहीं हटता था।

एक महीने बाद एक गरीब लडकी अपने छोटे भाई के साथ रोहन के घर पर आई। उसने रोहन से पूछा – क्या तुम मेरे भाई को ट्यूशन दे सकते हो क्या ? हालाँकि उस लड़की ने रोहन को कई बार घर का काम करते हुए देखा था। एक नादान प्रेम कहानी : Young Love Story In Hindi

रोहन ने कुछ देर सोचा फिर कहा – मैं नहीं पढ़ा सकता। रोहन के मुँह से ना सुनकर दीपिका ने पूछा – आप क्यों नहीं पढ़ा सकते है। फिर रोहन ने कहा कि मेरे पास आपके भाई को पढ़ाने के लिए समय नहीं है। यदि मैं आपके भाई को ट्यूशन देता हूँ तो मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी।

दीपिका ने कहा कि मेरा भाई पढ़ने में ठीक है। आपको उसे पढ़ाने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। वह जल्दी चीजों को समझ जाता है। यदि आप मेरे भाई को पढ़ाते हो तो मैं आपके लिए खाना बना दूँगी। उसे पहले से ही इस बात का पता था कि मैं अपना खाना खुद बनता हूँ। मैंने दीपिका की बात का कोई जवाब नही दिया तो वह ओर लालच दे कर बोली, मैं बर्तन भी साफ़ कर दूंगी।

फिर रोहन सोचने लगा कि जो समय खाना बनाने में ओर बर्तन धोने में लगता है उस समय में, मैं उसके भाई को ट्यूशन दे सकता हूँ। इससे वह भी खुश हो जाएगी और मेरा काम भी आसान हो जायेगा। हालाँकि रोहन के मन में लालच आ गया था। इसलिए रोहन ने दबी आवाज में धीरे से कहा – आप मेरे कपड़े भी धो दो तो पढ़ा दूँगा। फिर दीपिका ने एक मंद मुस्कान के साथ हां कर दिया।

इसके बाद दीपिका का रोज घर में आना-जाना होने लगा। दीपिका उसके लिए खाना बनाती रहती थी और वह उसके भाई को पढ़ाता रहता था। शुरू में दीपिका और रोहन की ज्यादा बात नही होती थी। उसका भाई आठवीं कक्षा में था। दीपिका के बताये अनुसार उसका भाई सच में काफी होशियार था। इस कारण रोहन को ज्यादा माथा-पच्ची नहीं करनी पड़ती थी। कभी-कभी दीपिका उसके घर की सफाई भी कर दिया करती थी।

धीरे धीरे दिन गुजरने लगे। कई दिनों तक मैं उसके भाई को पढ़ाता रहा। एक दिन शाम को वह मेरे घर आई। उसके हाथ में एक बड़ी सी कुल्फी थी। उसने वह कुल्फी मुझे देने के लिए मेरी तरफ बढ़ायी, तो मैंने पूछ लिया, कहाँ से लाई हो ? दीपिका ने कहा – मैं घर से लायी हूँ। आज बारिश की वजह से कुल्फी बिकी नहीं। यह कह कर वह उदास हो गयी।

फिर मैंने कहा – आपके पापा तो कचोरी-समोसे का ठेला लगाते हैं ? उसने कहा- वो सर्दियों में कचोरी-समोसे और गर्मियों में कुल्फी का ठेला लगाते हैं। आज बारिश हो गई, इसलिए कुल्फी नही बिकी l मतलब ठण्ड की वजह से लोग कुल्फी नही खाते है। “ओह” मैंने गहरी साँस छोड़ी। मैंने आज उसे पहली बार गौर से देखा था। वह गम्भीर मुद्रा में उम्र से बडी लगी। दीपिका काफी समझदार और मासूम थी।

धीरे-धीरे काफी वक़्त गुजर गया था। मैं अब कभी कभी उसके घर भी जाने लगा था। खासकर त्यौहार या उत्सव पर। कई बार दीपिका से मेरी नजरें मिलती तो मिली ही रह जाती। पता नही क्यूँ ? , धीरे धीरे मैं दीपिका के बारे में जानने लगा है। उसे ओढ़नी या चुनरी पर धागे से गोल-गोल बिंदु बनाना आता है। इसे बूंदी बाँधने का काम भी कहते है। बिंदु बनाने के बाद चुनरी की रंगाई करने पर डिजाइन तैयार हो जाती है।

मैंने बूंदी बाँधने का काम करते हुए उसे कई बार देखा था। एक दिन मैंने दीपिका से ऐसे ही पूछ लिया – आप ये काम क्यों करती हो। उसने कहा, इस काम के पैसे मिलते है और मुझे यह काम पसंद भी है। मैंने उससे एक मंद मुस्कान के साथ पूछा – आप पैसों का क्या करोगी। दीपिका ने कहा – मैं पैसे इकठ्ठे करती हूँ ताकि जरूरत के समय काम आ सके।

मैंने दीपिका से पूछा, अभी आपके पास कितने पैसे है। उसने कहा – लगभग 6 – 7 हजार रुपये होंगे। मैंने उससे 1 हजार रुपये उधर मांगे और कहा, मैं जल्दी ही आपके पैसे लोटा दूंगा। दीपिका ने पूछा – किस काम के लिए चाहिए। फिर मैंने मायूसी के साथ उससे कहा, यदि आपको कारण जानना है तो आप मत दो।

दीपिका बोली, मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया। उसने एक अलग ही अंदाज में कहा- आप माँगो तो सारे दे दूँ। यह कुछ अलग था लेकिन मुझे पैसे मिल रहे थे, इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मैंने उससे कहा – एक दोस्त से उधार लिए थे। कमबख्त दो – तीन बार माँग चुका है। उसी को देना है। घर से पैसे आते ही मैं आपको दे दूंगा।

एक दिन मेरी शर्ट की जेब में गुलाब की टूटी हुई पंखुड़ियाँ निकली। लेकिन मैं यही सोचकर रह गया कि कॉलेज के किसी दोस्त ने चुपके से डाल दी होगी। उस समय मुझमे इतनी समझ भी नही थी। एक दिन कॉलेज की दोस्त तनु मेरे घर पर कुछ नोट्स लेने के लिए आयी। मैंने उसे अपने नोट्स दे दिए और चाय पिलाकर उसे अपने घर से भेज दिया।

ये सब मेरे घर के बाहर खडी होकर दीपिका देख रही थी। वह मेरी दोस्त तनु को देख के बाहर से ही चली गई। अगले दिन वह दोपहर में आयी और कहा – कल से मैं आपका कोई काम नहीं करुँगी। यह सुनकर मैं थोड़ा चौंक गया और उससे पूछा – क्यों नहीं करोगी ? काफी देर तक तो उसने जवाब नही दिया। लेकिन फिर धोने के लिए मेरे बिखरे हुए कपड़े समेटने लगी।

मैंने फिर से उससे पूछा – आप कही जा रही हो ? उसने कहा – नही, बस कल से काम नही करूंगी और हाँ कल से मेरे भाई को भी मत पढ़ाना। मुझे संदेह हुआ कि कही ये पैसो को लेकर तो नाराज नहीं है। फिर मैने कहा – अरे, आपके एक हजार रूपये कल दे दूंगा। कल घर से पैसे आ रहे हैं। लेकिन उसने कहा कि मुझे पैसे नहीं चाहिए।

मैंने दीपिका की तरफ ध्यान से देखा और उसकी आँखों में झांकर देखा तो लगा हजारों प्रश्न है उसकी आँखों में। लेकिन ये सब मेरे सब्र से बाहर था। उसने मेरी बातों का सही से जवाब नहीं दिया था। वह मेरे कपड़े लेकर चली गयी। वह मेरे कपड़े घर से ही धोकर लाती थी। अगले दिन वह सच में नहीं आयी और न ही उसका भाई आया।

मैंने जैसे-तैसे खाना बनाया और खाना खाकर कॉलेज चला गया। दोपहर को कॉलेज से आने के बाद सीधा उसके घर ही चला गया। मुझे जानना था कि वह किस वजह से काम नहीं करना चाहती है। यही सोचकर मैं उसके घर गया। एक नादान प्रेम कहानी : Young Love Story In Hindi

उसके घर पहुँचने पर पता चला कि वह सच में बीमार है। वह एक छप्पर में चारपाई पर अकेली ही लेटी थी। घर में उसकी मम्मी थी जो काम में लगी थी। जब मैं उसके पास पहुँचा तो उसने करवट लेकर मुँह फेर लिया। मैंने उससे पूछा – अपने दवाई ली क्या ? उसने बिना मेरी तरफ देखे ही बोला – नहीं।

मैने कहा – क्यों नही ली ? उसने कहा – मेरी मर्ज़ी। तुम्हें क्या मतलब है ? मैंने उससे पूछा – आप मुझसे नाराज क्यों हो ? केवल इतना बता दो। उसने कहा – तुम सब समझते हो, इतने भी भोले मत बनो। वह बिना मेरी तरफ देखे ही जवाब दे रही थी।

मैंने उससे वापिस पूछा – अपने दवाई क्यों नहीं ली ? उसने जवाब दिया – मेरी मर्ज़ी, तुम्हें क्या ? मैंने वापिस पूछा मुझसे नाराज़ क्यूँ हो ये तो बता दो। उसने पुनः कहा – तुम सब समझते हो, फिर मैं क्यूँ बताऊँ ? मैंने उससे कहा – कुछ नही पता। तुम्हारी कसम। सुबह से परेशान हूँ। बता दो।

उसने कहा – मैं नही बताउंगी। आप यहाँ से चले जाओ। उसने यह रोती हुई आवाज में कहा। मुझे जरा घबराहट सी हुई। डरते-डरते उसके हाथ को छूकर देखा तो मैं आश्चर्यचकित रह गया। वह बहुत गर्म थी। उसे बहुत तेज बुखार था। मैंने उसकी मम्मी को पास बुलाकर बताया। फिर हम दोनों दीपिका को हॉस्पिटल ले गए।

डॉक्टर ने उसकी हालत देखर एडमिट कर लिया और कुछ जरुरी टेस्ट किये। साथ ही दवा भी दी। उस समय शहर में एक दो डेंगू के मामले आ चुके थे। अब मुझे चिंता सी होने लगी थी। उसकी माँ उसके पापा को बुलाने के लिए घर चली गई। मैं उसके पास अकेला था।

डॉक्टर ने जो दवा दी थी उससे बुखार थोड़ा कम हो गया था। वह गुमसुम सी लेटी हुई थी। वह एकटक दीवार को घूर रही थी। मैंने उसके चैहरे को सहलाया तो उसकी आँखों में आँसू आ गए और साथ में मेरे भी। मैंने भरे गले से पूछा – बताओगी नही ? उसने आँखों में आँसू लिए मुस्कराकर कहा – अब मुझे बताने की जरूरत नही है। मुझे पता चल गया है कि तुम्हें मेरी परवाह है। है ना ?

मेरे होठों से अपने आप ही एक अल्फ़ाज़ निकला – “बहुत है ” उसने मेरे हाथ को कसकर दबाते हुए कहा – बस ! अब मैं मर भी जाऊँ तो कोई गिला नही। उसके इस वाक्य का कोई जवाब मेरे लबों से नही निकला। लेकिन आँखे थी जो जवाब को संभाल न सकी और बरस पड़ी। वह उठ कर बैठ गई और बोली रोता क्यूँ है पागल ?

मैने जिस दिन पहली बार तुम्हारे लिए रोटी बनाई थी, उसी दिन से मैं तुम्हें चाहती हूँ। एक तुम थे पागल, जो यह सब समझने में इतना वक़्त ले लिया। फिर उसने अपने हाथ से मेरे आँसू भी पूछे। फिर थोडी देर बाद उसके घर वाले आ गए। रात हो गई थी, लेकिन उस दवा का असर ज्यादा देर तक नहीं रहा। उसकी हालत में कोई सुधार नही हुआ।

फिर रात्रि के 11 बजे के लगभग उसकी बीमारी की रिपोर्ट आ गई। डॉक्टर ने रिपोर्ट में डेंगू बताया। यह सुनकर मेरे सीने में आग सी लग गयी। दीपिका के शरीर में खून की कमी हो गयी थी। मेरा ब्लड ग्रुप दीपिका के ब्लड ग्रुप से मैच हो गया था।

इसलिए मैंने उसे दो बोतल खून दिया और मेरे दिल को थोड़ा सुकून मिला। दीपिका उस रात अचेत सी रही, मानो जैसे उसने सुधबुध ही खो दी है। रात में कई बार उसने उल्टियाँ की। मैं पूरी रात-भर एक मिनट भी नही सोया। एक नादान प्रेम कहानी : Young Love Story In Hindi

डॉक्टर ने दूसरे दिन बताया कि रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम हो रही है। खून ओर देना होगा। डेंगू का वायरस खून का थक्का बनाने वाली प्लेटलेट्स पर हमला करता हैं। अगर प्लेटलेट्स खत्म हो गए तो पुरे शरीर के अंदरुनी अंगों से ख़ून का रिसाव शुरू हो जाता है। फिर बचने का कोई चांस नही।

मैंने अपना खून ओर देने का आग्रह किया l लेकिन मैंने रात को ही 2 बोतल दिया था इस कारण डाक्टर ने मना कर दिया।  फिर मैंने मेरे कॉलेज के 3-4 दोस्तों को बुलाया। साले 10 एक साथ आ गए। उन्होंने खून दिया और मेरी हिम्मत बंधाई। पैसों की जरूरत हो तो बताना। हमसे जितना होगा उतनी सहायता करेंगे और चले गए।

उस वक़्त पता चला जिंदगी में दोस्त होना भी कितना जरूरी है। पैसों की कमी नही थी, क्योंकि मेरे घर से आ गए थे। दूसरे दिन की रात को वो कुछ ठीक दिखी और बातें भी करने लगी थी। रात को सब सोए गए थे। मैं उसके पास बैठा जाग रहा था।

उसने मुझसे कहा – पागल बीमार मैं हूँ तुम नही। फिर ऐसी हालत क्यों बना ली है तुमने ?

मैंने कहा – तुम ठीक हो जाओ। मैं तो नहाते ही ठीक हो जाऊंगा।

उसने उदास होकर पूछा – एक बात बताओ ?

मैने कहा – क्या ?

उसने कहा – मैंने एक दिन तुम्हारी जेब में गुलाब डाला था तुम्हें मिला ?

मैने कहा – हाँ, सिर्फ पंखुड़ियाँ मिली थी I

दीपिका ने कहा – कुछ समझे थे ?

मैंने कहा – नहीं, क्यों ? मैंने उससे कहा – शायद कॉलेज के किसी दोस्त ने मज़ाक में दाल दिया होगा

फिर दीपिका ने नजरो से नजरे मिलकर कहा – ओर वो रोटियाँ याद है आपको ?

मैंने कहा – कोनसी रोटियाँ ?

दीपिका ने बताया – दिल के आकार वाली रोटी, अब समझ में आ रहा है कि नहीं, पागल

मैंने सिर्फ अपना सर हिलाते हुए उससे हाँ में जवाब दिया। इसके बाद वह काफी देर तक हँसने लगी। उसकी यह हँसी एकदम निश्छल मासूम थी। दीपका ने पूछा – कल आप सोये थे या नहीं ? मैंने कहा – नहीं ।

उसने कहा – अब सो जाओ। मैं ठीक हूँ, मुझे कुछ न होगा। मुझे उस समय सचमुच में नींद आ रही थीं। लेकिन मैं सोया नही। लेकिन दीपिका सो गयी थी। लेकिन कुछ घंटे बाद वह वापिस जाग गई। उसने मुझे ऊंघते हुए देख लिया था। एक नादान प्रेम कहानी : Young Love Story In Hindi

दीपिका ने कहा – सुनो

मैं नींद में ही बोला – हाँ बोलो

दीपिका ने मुझसे पूछा – ये बताओ ये बीमारी छूने से किसी को लग सकती है क्या ?

मैंने कहा – नही, सिर्फ एडीज मच्छर के काटने से लगती है।

उसने कहा – इधर आओ, मेरे पास। मैं उसके करीब आ गया। दीपिका ने कहा – एक बार गले लग जाओ। अगर मैं मर गई तो ये आरज़ू बाकी न रह जाए।

मैंने कहा – ऐसा मत बोलो प्लीज, आपको कुछ नहीं होगा। मैं कुछ नहीं होने दूंगा। फिर वह मुझसे काफी देर तक लिपटी रही और सो गई। उसके सोने के बाद उसे ढंग से लिटाकर मैं भी एक खाली बेड पर सो गया।

लेकिन यह सुबह मेरे लिए बहुत बेकार थी। सुबह मैं तो उठ गया लेकिन वह सदा के लिए सो गई। डेंगू ने दीपिका की जान ले ली। वह मुझसे प्यार करती थी। लेकिन मैं उसके प्यार को समझ नहीं पाया।यह कहानी केवल प्यार का मीठा अहसास बन के रह गई।

आशा करता हूँ आपको यह कहानी ” रोहन और दीपिका की प्रेम कहानी – Rohan and Deepika Love Story in Hindi ” अच्छी लगी होगी। यह कहानी आपके लिए ” एक नादान प्रेम कहानी : Young Love Story In Hindi ” नामक शीर्षक द्वारा प्रस्तुत की गई। Comment box में कमेंट करके अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें।

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