नाइट्रिक एसिड (Nitric acid in hindi ) रसायन विज्ञान व औद्योगिक क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगिक है। 16वीं शताब्दी से ही भारत में शोरा तथा नाइट्रिक अम्ल का ज्ञान था।प्राचीन काल में कीमियागरों को नाइट्रिक अम्ल का ज्ञान हुआ करता था। वे इसे ऐक्वा फॉर्टिस के नाम से जानते थे। एक प्रसिद्ध कीमियागर जेबर ने नाइटर, कॉपर सल्फेट तथा फिटकरी को गर्म करके इसे प्राप्त किया। प्राचीन समय में इसका उपयोग बारूद बनाने में होता था। साथ में धातुओं विशेष रूप से चाँदी को साफ करने में इसका प्रयोग किया जाता है।
नाइट्रिक एसिड क्या है ? HNO3 के गुण,संरचना, उपयोग, और बनाने की विधि
सन्न 1648 ई॰ में ग्लॉबर (Glauber) ने नाइटर की क्रिया विट्रियल तेल से कराई जिससे उन्हें सांद्र नाइट्रिक अम्ल (Nitric acid in hindi ) प्राप्त हुआ। सन्न 1776 ई में एक अन्य वैज्ञानिक कैवेंडिश ने इसका संघटन ज्ञात किया। वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन व नाइट्रोजन बिजली के कड़कने से नाइट्रिक ऑक्साइड बनाती है जो आगे जल में घुलकर अलप मात्रा में नाइट्रिक अम्ल (Nitric acid in hindi ) का निर्माण करती है। मिट्टी में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण द्वारा भी नाइट्रिक अम्ल बनता है ।यह अम्ल अनेक नाइट्रेट पदार्थों के रूप में मिटटी में उपस्थित रहता है जो पेड़ पौधे के विकास में काम आता है।
नाइट्रिक एसिड क्या हैं ? (Nitric acid in hindi )
नाइट्रिक एसिड एक अत्यन्त संक्षारक खनिज अम्ल तथा प्रबल अम्ल है। यह धातुओं को घोलने में काम आता है। सर्वप्रथम इसे ग्लोबर ने पौटेशियम नाइट्रेट की सांद्र सल्फ्यूरिक एसिड से अभिक्रिया कराकर बनाया था। नाइट्रिक अम्ल रासायनिक सूत्र HNO3 व अणुभार 63.01 g/mol होता है। इसे एक्वा फ्रोटिस और ‘स्पिरिट ऑफ नाइटर’ भी कहते हैं।
नाइट्रिक अम्ल नाइट्रोजन के ऑक्सो अम्लों में से एक है। नाइट्रोजन तीन प्रकार के ऑक्सो अम्ल बनाती है।
- नाइट्रस अम्ल ( HNO2 ) 2. नाइट्रिक अम्ल (HNO3) 3. हाइपोनाइट्रस अम्ल ( H2N2O2 )
नाइट्रिक एसिड के गुणधर्म
नाइट्रिक एसिड के भौतिक गुण व रासायनिक गुण निम्न प्रकार से है।
नाइट्रिक अम्ल के भौतिक गुण
- शुद्ध नाइट्रिक अम्ल रंगहीन द्रव के रूप में होता है। जब इसमें NO2 की अशुद्धि मिल जाती है तो यह पीले या बुरे रंग का हो जाता है।
- गैसीय अवस्था में HNO3 की संरचना समतलीय होती है।
- HNO3 का मोलर द्रव्यमान 63.01 ग्राम / मोल होता है।
- इसका गलनांक -42 डिग्री सेल्सियस या 231 क होता है।
- इसका क्वथनांक 83 डिग्री सेल्सियस या 356 k होता है।
- 232 k ताप पर यह सफ़ेद ठोस के रूप में जम जाता है।
- HNO3 का विशिष्ट घनत्व 1.5129 ग्राम / cm3 होता है।
- यह एक अत्यन्त संक्षारक खनिज अम्ल तथा प्रबल अम्ल है।
- HNO3 का जलीय विलयन हाइड्रोजन आयन (H+) एवं नाइट्रेट आयन (NO-3) देता है।
- HNO3 सामान्य ताप पर धीरे-धीरे विघटित होता रहता है और उच्च ताप पर या तीव्र प्रकाश में इसकी विघटन गति बढ़ जाती है।
नाइट्रिक अम्ल के रासायनिक गुण
- नाइट्रिक अम्ल में ऑक्सीकारक गुण मुख्य रूप से होता है। यह धातुओं तथा अधातुओं को खुद में घोल लेता है।
- HNO3 कुछ उत्कृष्ट धातुओं जैसे स्वर्ण, प्लेटिनम, इरीडियम, रोडियम तथा टैंटेलम को छोड़कर प्रत्येक धातु से यह क्रिया करता है।
- यह धातुओं तथा अधातुओं का ऑक्सीकरण कर नाइट्रोजन के ऑक्साइड, नाइट्रोन, हाइड्रोविसलएैमीन या अमोनिया छोड़ता है।
- सांद्र नाइट्रिक अम्ल लौहा, ताँबा, क्रोमियम को निष्क्रिय कर देते है। जिससे उनकी रासायनिक अभिक्रिया बहुत धीमी हो जाती है। ऐसा धातुओं की सतह पर ऑक्साइड की परत जम जाने के कारण होता है। इस परत को रगड़कर हटाने से उनकी सक्रियता को वापिस लाया जा सकता है।
- यह ठोस हाइड्रेट बनाता है जैसे मोनो हाइड्रेट ( HNO3.H2O) , ट्राई हाइड्रेट (HNO3.3H2O) आदि।
- HNO3 प्रकाश या ऊष्मा के द्वारा अपघटित होकर NO2 व O2 बनाता है। HNO3 की अपघटन अभिक्रिया इस प्रकार सम्पन होती है।
4HNO3 → 2H2O + 4NO2 + O2
नाइट्रिक एसिड के उपयोग
- नाइट्रिक एसिड का उपयोग रसायन उद्योगों में बहुत मात्रा में हो होता है।
- प्रयोगशाला में यह अभिकर्मक के रूप में अनेक कार्बनिक तथा अकार्बनिक अभिक्रियाओं में काम आता है।
- नाइट्रिक एसिड का उपयोग उर्वरक बनाने में बहुत अधिक होता है। जैसे अमोनियम नाइट्रेट।
- नाइट्रिक अम्ल का उपयोग विस्फोटक पदार्थ, दवाइयों के बनाने में, रंजकों में विशेष रूप से होता है।
- यह अनेक लवणों के निर्माण में भी काम आता है।
- यह अम्लराज या ‘ऐक्वारेजिया’ (Aqua regia) के निर्माण में काम आता है जिसमे एक भाग HNO3 व 3 भाग HCl होता है।
- यह स्टेनलेस स्टील के अम्लोपचार, धातु के निक्षारण में और राकेट ईंधनों में ऑक्सीकारको के रूप में होता है।
नाइट्रिक एसिड का निर्माण
1. बर्कलैंड तथा आइड प्रक्रिया
इस प्रक्रिया में वायुमंडल की ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को विद्युत विसर्जन द्वारा संयुक्त कर नाइट्रिक अम्ल बनाया जाता है। यह प्रक्रिया बर्कलैंड तथा आइड प्रक्रिया कहलाती है। इस प्रक्रिया में विद्युत का अधिक व्यय होता है और HNO3 की अलप मात्रा प्राप्त होती है जिससे यह विधि अब काम में नहीं ली जाती है।
2.प्रयोगशाला में नाइट्रिक अम्ल का निर्माण
जब सोडियम नाइट्रेट (NaNO3) और सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) के मिश्रण को गर्म किया जाता है तो नाइट्रिक अम्ल की वाष्प उत्पन्न होती है जिसे एक ठंडे पात्र में निर्वात में एकत्रित कर लिया जाता है। यह अभिक्रिया इस प्रकार होती है।
NaNO3 + H2SO4 → NaHSO4 + HNO3
जब नाइट्रिक अम्ल के उत्पादन की आधुनिक विधि नहीं थी तब इसी विधि द्वारा नाइट्रिक अम्ल का बहुत अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाता था।
3. ओस्टवाल्ड विधि से नाइट्रिक अम्ल का निर्माण
परिवर्तक में शुद्ध अमोनिया व वायु 1 : 3 के अनुपात में प्रवाहित किया जाता है जहाँ प्लैटिनम उत्प्रेरक का कार्य करता है। प्लैटिनम उत्प्रेरक का तापमान 650 डिग्री सेल्सियस होता है। इस परिवर्तक में अमोनिया ऑक्सीकृत होकर नाइट्रिक ऑक्साइड बनाती है। यहाँ से यह NO ऑक्सीकारक स्तम्भ में जाता है। ऑक्सीकारक स्तम्भ में NO ऑक्सीकृत होकर NO2 बनाती है। अब NO2 अवशोषी स्तम्भ में प्रवेश करती है। इस अवशोषी स्तम्भ में उपस्थित जल को अवशोषित कर NO2 नाइट्रिक अम्ल बनाती है। यह अभिक्रिया इस प्रकार होती है।
1. 4NH3 + 5O2 → 4NO + 6H2O + 215,000 कैलोरी
यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी होती है
2 . 2NO + O2 → 2NO2 + 27,800 कैलोरी
यहॉँ उत्पन्न नाइट्रिक ऑक्साइड को ठंडा कर अवशोषण स्तंभ से प्रवाहित करते हैं। जहां जल बौछार के रूप में गिरता है। और नाइट्रिक अम्ल बनता है।
3 . 3NO2 + H2O → 2HNO3 + NO
नाइट्रिक एसिड का व्यावसायिक रूप से उत्पादन करने के लिए इसी विधि का उपयोग किया जाता है।
FAQ
Q: नाइट्रिक एसिड के नुकसान क्या है ?
Ans.: यह त्वचा पर गिरने से पीड़ादायक घाव बना देता है। अतः इसका उपयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए।
Q: नाइट्रिक अम्ल का अणुभार कितना है ?
Ans.: 63.01 ग्राम/मोल
Q: नाइट्रिक अम्ल का रासायनिक सूत्र क्या है ?
Ans.: HNO3
Q: नाइट्रिक अम्ल का अन्य नाम क्या है ?
Ans.: Aqua fortis, Spirit of niter, Eau forte, Hydrogen nitrate, Acidum nitricum
Q: सधूम नाइट्रिक अम्ल क्या है?
Ans.: सधूम नाइट्रिक अम्ल वह होता है जिसमे NO तथा NO2 घुली होती हैं। सधूम नाइट्रिक अम्ल कहलाता है।
Q: नाइट्रिक अम्ल का निर्माण कैसे होता है ?
Ans.: अमोनिया गैस का वायु से ऑक्सीकरण कराने पर नाइट्रिक ऑक्साइड प्राप्त होता है। आगे नाइट्रिक ऑक्साइड ऑक्सीजन से ऑक्सीकृत होकर नाइट्रोजन ऑक्साइड बनाती है। अब प्राप्त नाइट्रोजन ऑक्साइड जल से क्रिया करके नाइट्रिक अम्ल देता है।
अम्लराज कैसे बनता है?
Ans.: सांद्र नाइट्रिक अम्ल और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का ताजा मिश्रण ही अम्लराज होता है। यह क्रमशः 1:3 के अनुपात में होता है। यह स्वर्ण और प्लेटिनम आदि ‘नोबल धातुओं’ को गला देता है। इसीलिए इसे अम्लराज या ‘ऐक्वारेजिया’ कहते है।
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