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मोती की खेती कैसे करे ? pearl farming business plan in hindi

मोती की खेती

मोती की खेती कैसे करे ? pearl farming business plan in hindi : जिस तरह से मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन का बिज़नेस किया जाता है, ठीक उसी तरह आप pearl farming business plan in hindi  कर सकते है। pearl farming से आप जल्दी ही यानि की कुछ ही महीनो में पैसे वाले बन सकते है। आप मोती की कीमत से भलीभाँति अवगत होंगे। विदेशो के साथ साथ अब भारत में भी इसकी मांग बढ़ने लगी है।

चूँकि मोती एक प्राकृतिक रत्न है जो शीप से प्राप्त होता है। इसे प्राकृतिक रूप से समुन्द्र से प्राप्त किया जाता है। परन्तु आजकल यह कृत्रिम तरीके से मोती की खेती करके प्राप्त किया जा सकता है। आज हम जानेंगे की मोती की खेती कैसे करें? (Moti Ki Kheti Kaise kare ), सीप में मोती कैसे बनता है,। यह बिज़नेस आप कम लागत व कम मेहनत में कर सकते है। दुनिया भर में मोती मांग बहुत अधिक है। भारत में भी इसकी मांग बहुत अधिक है। परन्तु मांग के अनुसार इसका उत्पादन नहीं हो रहा है इसीलिए यह विदेशो से आयात करना पड़ रहा है।

आप मोती की खेती से बिज़नेस कैसे कर सकते है ?, मोती की खेती का प्रशिक्षण केंद्र, मोती की कीमत क्या है?, सीप में मोती कैसे बनता है?,मोती की मार्केटिंग, मोती की खेती में क्या आवश्यकता पड़ती है ? कितना प्रॉफिट होगा ?, कितना निवेश करना होगा ? उत्पाद को कहाँ बेचेंगे ?, इन सब के बारे में मैं आपको इस लेख में बताऊंगा। इसके अलावा घर पर मोती की खेती कैसे करे यह भी मैं आपको इस लिख में बताने वाला हूँ। अतः आप अंत तक यह लेख (Moti Ki Kheti Kaise kare ) पड़ते रहे।

मोती की खेती क्या है?

जिस तरह मछली पालन के लिए तालाब की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह मोती की खेती के लिए तालाब की आवश्यकता होती है। मोती का उत्पादन दो तरह से किया जाता है- प्राकृतिक व कृत्रिम तरीके। मोती प्राकृतिक रूप से समुन्द्र से प्राप्त किये जाते है। जबकि कृत्रिम रूप से मानव के द्वारा खेती करके प्राप्त किये जाते है। यह एक व्यापारिक खेती है। इस खेती में 8-10 महीने का समय लगता है। मोती की खेती करके आप कुछ ही सालो में करोड़पति बन सकते है।

चूँकि मोती की कीमत इसकी गुणवत्ता के आधार पर की जाती है। इसीलिए मोती की कीमत 1000 रुपए से 2 लाख रुपए तक हो सकती है। भारत में मोती आभूषण बनाने के काम आते है। इसीलिए देश में मोती की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानो को ट्रेनिंग के माध्यम से इसकी खेती के लाभ के बारे में अवगत कराया जा रह है। अतः किसानो के द्वारा तालाब में मोती का उत्पादन करना ही मोती की खेती करना कहलाता है।

सर्वप्रथम मोती की खेती करने के लिए ट्रेनिंग ले

किसी भी प्रकार की खेती या बिज़नेस करने के लिए उसका प्रशिक्षण लेना अत्यंत आवश्यक होता है। इसी तरह pearl farming business में भी बहुत अधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता है। अतः आप अपने आस-पास के क्षेत्र में पता करे कि कौन कौन pearl farming business कर रहा है। फिर आप उनसे संपर्क करके प्रशिक्षण ले सकते है।

यदि आपके क्षेत्र में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिलता है तो आप कृषि विज्ञान केंद्र या भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् से संपर्क करे। और वहाँ से उचित ट्रेनिंग प्राप्त करे। ये सार्वजनिक संस्थान है जो मोती की खेती के बारे में समय समय पर प्रशिक्षण प्रदान करते है। बिना प्रशिक्षण व तकनिकी ज्ञान के मोती की खेती न करे। इससे आपको काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। अतः पूर्ण प्रशिक्षण होने पर ही pearl farming business की शुरुआत करे।

 मोती की खेती कब करे ?

pearl farming business करने के लिए सर्दी का समय उपयुक्त होता है। आप अक्टुम्बर से दिसंबर तक pearl farming business के लिए तैयारी कर सकते है। मोती की खेती के लिए ठंड का मौसम सर्वोत्तम है। इस मौसम में पानी ठंडा होता है जिससे शीप में मोती बनने के लिए पर्याप्त तापमान मिल जाता है।

मोती कितने प्रकार के होते है ?

मोती में तीन प्रकार की किस्म होती है।

1. केवीटी

2. गोनट

3. मेंटलटीसू

सीप में मोती कैसे बनता है ?

आप जानते ही है मोती दो प्रकार से प्राप्त होते है -कृत्रिम व प्राकृतिक। कृत्रिम मोती का निर्माण करने के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। यह कुछ जैविक पदार्थो का मिश्रण होता है। इसमें कैल्शियम कार्बोनेट, पानी कुछ जैव पदार्थ का युग्म शामिल होता है। कृत्रिम मोती में अपनी इच्छा अनुसार आकृति व स्वरूप दे सकते है जबकि प्राकृतिक मोती में ऐसा संभव नहीं है।

जब सीप में रहने वाला जीव घोंघा अपने भोजन के लिए सीप का मुहँ खोलता है, तब उसमें रेत के कण, कीट आदि घुस जाते है जिससे प्राकृतिक मोती का निर्माण होता है। घोंघा अपने शरीर से एक तरल पदार्थ का स्राव करता है, जिससे वह तरल उस कण पर जमने लगता है और धीरे धीरे मोती का निर्माण होने लगता है। ओएस्टर नाम का घोंघा सर्वाधिक मोती बनाने वाला घोंघा है।

चूँकि प्राकृतिक मोती का आन्तरिक परत मोटा होता है क्योंकि इसके केंद्र में जो कीट होता है, वह चौड़ा होता है। जबकि कृत्रिम मोती में सीप के अन्दर सर्जरी के द्वारा अपने अनुसार बीड डालते हैं। भारत में मुख्यतः 3 प्रकार के  सीप उपलब्ध है:- 1 एल. कोरियानस, 2 पैरेसिया, 3 कोरुगाटा। ये सभी शीप अच्छी गुणवत्ता वाली शीप है। जिनसे कृत्रिम तरीके से मोती की खेती की जाती है।

मोती की खेती कैसे करे ?

दोस्तों आपको मोती की कीमत और उसकी मार्केट में मांग पता ही होगी। अपने आपको सम्पन बनाने के लिए मोती की खेती करना बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। pearl farming business शुरू करने के लिए आपको उसकी विधि जानना जरुरी है। साथ ही आपको उसके रख रखाव एवं सामग्री के चुनाव की जानकारी भी होनी चाहिए। आइये जानते है कि मोती की खेती कैसे करे ?

मोती की खेती करने के लिए आपको एक तालाब की जरूरत होती है। यह तालाब आप 10×10 फिट का या इससे बड़ा भी बना सकते है। इस pearl farming business को आप अपने अनुसार छोटा या बड़ा बना सकते है। pearl farming business के लिए सबसे अनुकूल मीठा पानी होता है। आप इस बिज़नेस की तैयारी अक्टूबर से दिसम्बर के बीच कर सकते है।

1. सर्वप्रथम सीप एकत्रित करना

मोती की खेती का व्यापार करने के लिए सबसे पहले आपको सीप एकत्रित करना होगा। आप इन सीपो को नदि, तालाब, नहर से भी एकत्रित कर सकते है। आप इसे बाजार से या मोती की खेती कराने वाली संस्था से भी खरीद सकते है। एक सीप की कीमत 20 से 30 रूपए होती है। दरअसल इसकी कीमत इसके आकर पर भी निर्भर करती है। मोती का उत्पादन करने वाली सीप का मानक आकार 8 सेंटीमीटर होता है। इसके अलावा आप बड़ी सीप का उपयोग भी कर सकती है।

2. सीप को पानी के अनुकूल बनाना

सीपो को एकत्रित करने के बाद इन्हे 10 से 15 दिनों तक सर्जरी करने से पहले उस पानी में रखना होता है, जिस पानी में हमें मोती का उत्पादन करना है। चूँकि जब हम सीप एकत्रित करते है, तब वे अलग पानी के वातावरण से आती है। अतः 10 से 15 दिनों तक पानी में रखने से ये उस वातावरण के अनुकूल हो जाते है जिसमे हमें मोती उत्पादित करने होते है। इसमें से कुछ सीप मृत भी हो जाती है, जो उस पानी के वातावरण से ढल नहीं पाती है। अतः इन्हे अलग कर दिया जाता है। 10 से 15 दिनों तक पानी में रखने से ये ढीले पड़ जातें है, जिससे इनकी सर्जरी करना भी आसान हो जाता है।

3. सीपो की सर्जरी करना

अब आपको इन सीपो की सर्जरी करनी है। सबसे पहले सीपो को पानी से बहार निकालकर एक ट्रे में रख दे। ध्यान रहे कि थोड़ा पानी इन सीपो के ऊपर रहे क्योंकि यह अपना मुहँ खोल देतें है। इससे आपको सर्जरी करने में भी आसानी होगी। इसके अलावा आप सीपो का मुँह खोलने के लिए  नुकले औजार का उपयोग कर सकतें है। लेकिन ध्यान रहे कि सीप की कोशिकाओं को कोई नुकसान न पहुँचे। इसका मुँह ज्यादा से ज्यादा 8 mm तक ही खुलना चाहिए। इससे ज्यादा मुहँ खोलने पर सीप के मृत की संभावना होती है।

4. सीप में बीड डालना

जब सीप का मुँह खुल जाता है तब इसकी कोशिकाओं में छोटा कट लगाकर पॉकेट बनाया जाता है। चूँकि सीप के दोनों तरफ कोशिका होती है। अतः आप दोनों तरफ कट लगाकर पॉकेट बना सकते है। अब इस पॉकेट में आपको सावधानी से बीड को डालना है। यहाँ आपको इस बात का ध्यान रखना है कि बीड सीप के बहरी हिस्से को स्पर्श करे। चूँकि आप सीप के दोनों तरफ डिज़ाइनर बीड डाल सकतें है। अतः आप  एक सीप से दो डिज़ाइनर मोती बना सकते है।

डिज़ाइनर बीड के डिजाईन वाले पक्ष को कोशिका की तरफ और प्लेन पक्ष को सीप की तरफ रखना है। इसके अलावा आप गोल मोती भी बना सकते है। परन्तु यह केवल एक ही बनाना संभव है। अब बीड बीड डालने के बाद इसके मुह को बंद कर दे और इसको कम से कम 10 दिनों तक एंटीबायोटिक व प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है, और इसका प्रतिदिन निरिक्षण किया जाता है।

5. सीपो को तालाब में डालना

अब आपको मृत व जीवित सीप को अलग करना है। अब जीवित बचे सीपो को नायलॉन के बैग में दो सीप रखकर तालाब में लगभग 1 मीटर की गहराई में लटकाना है। आप इन नायलॉन के बैग्स को बांस या pvc पाइप या बोतल के सहारे तालाब में लटका सकते है। इसके अंदर से निकलने वाला पदार्थ बीड के चारों ओर जमने लगता है, जो अन्त में मोती का रूप ले लेता है। आप प्रति हेक्टेयर 20 हजार से 25 हजार सीप के द्वारा मोती की खेती कर सकते है। इतनी प्रक्रिया करने के बाद आप  लगभग 8-10 माह बाद सीप को चीर कर मोती निकाल सकते है।

मोती की खेती के लिए महत्वपूर्ण सावधानियाँ

मोती की खेती के लिए आपको बहुत सावधानी की जरूरत है। इसमें जरा सी लापरवाही आपको बहुत अधिक नुकसान उठाने के लिए मजबूर कर सकती है। आइये जानते है इसके लिए क्या क्या सावधानी रखनी है।

  1. सबसे पहले पानी में अमोनिया की मात्रा की जाँच करे। यदि आपको जाँच में अमोनिया की मात्रा अधिक मिलती है तो आप 30% से 35% तक पानी को कम करके नया पानी मिला दें।
  2. कभी-कभी सीपों में हरी शैवाल लग जाती है, चूँकि हरी शैवाल इनका भोजन होती है। परन्तु ज्यादा मात्रा में होने पर यह सीपों को नुकसान पहुंचा सकती है।
  3. पानी के तापमान का विशेष ध्यान रखे। यह 25 डिग्री सेल्सियस से कम होना चाहिए। इससे अधिक होने पर इसे कम करने की कोशिश करे। इसके अलावा आप सीपो को अधिक गहराई लगभग 5 फिट तक दाल सकते है ताकि तापमान बढ़ने का प्रभाव इन पर न पड़े और ये सुरक्षित रहे।
  4. सीप की सर्जरी करते समय सावधानी रखे ताकि उसकी कोशिका को नुकसान न पहुँचे।

pearl farming business में लागत

यदि आप इस बिज़नेस में रूचि रखते है तो इसकी शुरुआत करने के लिए आपको शुरू में थोड़ा अधिक पैसा निवेश करना होगा। उसके बाद आपको इतना निवेश नहीं करना पड़ेगा। पहली बार pearl farming business  शुरू करने के लिए एक निश्चित निवेश करना होगा , जो आपको एक बार ही करना है। शुरु में आपको प्रशिक्षण के लिए फीस भी देनी होगी। यदि आपके पास जगह नहीं है तो आपको जगह भी लेनी पड़ेगी।

आपको पहली बार में तालाब, एक छप्पर (सर्जिकल हाउस), सर्जिकल सेट, सर्जिकल हाउस में कुछ टेबल कुर्सी,  के ऊपर एक बार निवेश करना है। ये लागत हर बार नहीं आएगी। इसके अलावा तालाब में खाद और उर्वरक समय-समय पर डालते रहना है। साथ ही तालाब में मृत सीप को बार-बार निकलते रहना है। इस काम में बहुत कम लागत आती है। अतः इस pearl farming business को शुरू करने के लिए आपको कम से कम 5 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी।

मोती की खेती के फायदे

  1. आजकल डिजायनर मोतियों को काफी पसंद किया जा रहा है। जिनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। भारतीय बाजार की अपेक्षा विदेशी बाजार में मोतियों का निर्यात कर काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।
  2. मोती की खेती से आर्थिक लाभ के साथ पर्यावरण के शुद्धिकरण में भी सहायता मिलती है। सीपों से नदीं और तालाबों के जल का शुद्धिकरण भी होता रहता है। जिससे जल प्रदूषण की समस्या को काफी हद कम किया जा सकता है। सीप पानी को साफ़ करता है।
  3. बाढ़, सूखे जैसी समस्याओं से जूझ रहे किसान परम्परागत खेती को वाणिज्यिक खेती जैसे pearl farming, मछली पालन से विस्थापित करके बढ़िया कमाई कर सकते हैं।
  4. मोती का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है जिससे आप मोती का उत्पादन करके अच्छा पैसा कमा सकते है।
  5. सीप से मोती निकाल लेने के बाद, आप सीप को भी बाजार में बेंच सकते है। सीप द्वारा कई सजावटी सामान तैयार किये जाते है। सीपों से कन्नौज में इत्र का तेल निकालने का काम किया जाता है। अतः सीप को भी स्थानीय बाजार में बेचा जा सकता है।
  6. यह कम खर्च में अधिक लाभ देने वाला व्यापार है। अतः इससे बहुत लोगो को रोजगार मिलेगा।

मोती की खेती में मुनाफा

मोती की कीमत उसकी गुणवत्ता पर निर्भर करती है। भारतीय बाजार में इसकी कीमत बहुत अधिक है। आप जानते ही है मोती आभूषण बनाने में काम आते है। इसिलए इसकी दिन प्रति दिन मांग बढ़ती जा रही है। यदि आप इसका बिज़नेस करते है, इसमें आपको फायदा ही फायदा होगा। इस बिज़नेस में नुकसान की कोई गुंजाईश नहीं है। यह आपको फायदा ही देगा और कुछ ही सालो में आपको लखपति बना देगा।

असली मोती की कीमत हजारों में होती है। एक मोती की कीमत 1000 से 1500 रुपए तक होती है। अच्छी गुणवत्ता वाले एवं डिजाइनर मोतियों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10,000 रुपए तक कीमत होती है। यदि एक मोती की कीमत 1,000 रुपए भी मिले तो 100 सीपियों से  1,00,000 रुपए तक कमा सकते हैं। आप तालाब में सीपो की संख्या बढ़ाकर मुनाफे को भी आसानी से बड़ा सकते है।

pearl farming business marketing

अगर आप मोती की खेती कर रहे है तो इस बात की टेंशन छोड़ दे कि मुझे अपना प्रोडक्ट खा बेचना है और कैसी इसे पॉपुलर बनाना है। चूँकि मोती की डिमांड बहुत अधिक है। और डिमांड के अनुसार उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है। आप अपने मोती के व्यापार की मार्केटिंग  करने के लिए सोशल मीडिया ( फेसबुक, इंस्टाग्राम,व्हाट्सप्प, ट्विटर, टेलीग्राम आदि ) का सहारा ले सकते है। इसके अलावा आप अमेज़न, फ्लिफ्कार्ट, जैसे शॉपिंग साइट पर भी अपना मोती बेच सकते है। आप indiamart की साइट पर भी अपना मोती बेच सकते है।

उम्मीद है आपको मोती की खेती कैसे करे ?, सीप में मोती कैसे बनता है?,मोती कितने प्रकार के होते है? मोती की खेती कब करे ? ये सब समझ में आया होगा। आशा करता हूँ आप इन तरीको को अपनाकर मोती की खेती कर सकते है। आपको यह पोस्ट कैसी लगी, कमेंट करके बताये। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मार्केट मोती की डिमांड बहुत है। अतः आप इस बिज़नेस से अच्छा व्यापार कर सकते है और गुणवत्ता वाले मोती बनाकर अपनी एक अलग पहचान बना सकते है।

FAQ

Q : मोती की खेती कैसे करते हैं बताइए?
Ans : मोती बनाने के लिए आपको सीप व तालाब की जरूरत होती है। सीप की सर्जरी करके उसमें बीड डालकर उसे तालाब में 1 मीटर की गहराई में नायलॉन के बैग में रखा जाता है। 8-10 महीने बाद आप इन सीपो से मोती प्राप्त कर सकते है। इसके अलावा आप अपनी इच्छानुसार आकृति के मोती बना सकते है।

Q : सीप क्या होती है और कहाँ मिलती है?
Ans : सीप एक जलीय जन्तु है। इसका शरीर दो पार्श्व कपाटों में बन्द रहता है जो मध्य पृष्ट पर एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। इसमें चलने के लिए एक मांसल पांव होता है। इसके पैरों के ऊपरी भाग में अनेक सामानान्तर रेखाएँ होती हैं जिन्हें वृद्धि की रेखा करते हैं। ये नदी,तालाब, समुन्द्र व मार्केट में भी मिलती है।

Q : एक मोती की कीमत कितनी होती है?
Ans : एक मोती की कीमत 500 से 1500 रुपए तक होती है। अच्छी गुणवत्ता वाले व डिजाइनर मोतियों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 10,000 रुपए तक होती है।

Q : पर्ल फार्मिंग क्या है?
Ans : pearl farming वह खेती होती है जिसमे आप कृत्रिम तरीके से मोती की खेती करते है। चूँकि मोती प्राकृतिक रूप समुन्द्र व नदियों में पाए जाते है परन्तु आजकल कृत्रिक तरीके से भी इसकी खेती की जा रही है। इसमें आप अच्छा पैसा कमा सकते है। मछली पालन की तरह ही इसमें भी आपको तालाब की जरूरत होती है।

Q : सीप से क्या बनता है?
Ans : सीप द्वारा कई सजावटी सामान तैयार किये जाते है। सीपों से कन्नौज में इत्र का तेल निकालने का काम किया जाता है। यह बटन, चाकू के बेंट आदि बनाने के काम में आता है।

Q : सीप से क्या मिलता है?
Ans : सीप से मोती मिलता है।

Q : मोती पहनने से क्या लाभ होता है?
Ans : मोती पहनने से व्‍यक्ति अपने गुस्‍से पर काबू करना सीख जाता है। मन में सकारात्‍मक विचारों का प्रवाह बढ़ने लगता है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार मोती का संबंध मां लक्ष्‍मी से माना जाता है। अतः मोती को धारण करने से मां लक्ष्‍मी की विशेष कृपा प्राप्‍त होती है।

Q : मोती कितने प्रकार के होते हैं?
Ans : मोती आठ प्रकार के होते हैं- अभ्र मोती, शंख मोती, शुक्ति मोती, सर्प मोती, गज मोती, बांस मोती, शूकर मोती और मीन मोती। इन सब की अपनी विशेषता होती है।

Q : सबसे अच्छा मोती कौन सा होता है?
Ans : चाइनीज़ मोती (Chinese Pearl)

Q : मोती कौन सी राशि वाले पहन सकते हैं?
Ans : मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लिए मोती धारण करना लाभदायक है जबकि सिंह, तुला और धनु राशि के लिए विशेष दशाओं में ही मोती धारण करने की सलाह दी जाती है। इसके पहनने से मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं।

Q : असली मोती की पहचान कैसे होती है?
Ans : मोती के छिद्र से अंदर झाँके ताकी बाहरी सतह से केंद्र के बीच सीधी रेखा दिख सके। असली मोतियों में लगभग एक स्पष्ट बाहरी सतह होती है, जबकि नकली मोतियों में पतली, कृत्रिम बाहरी परत हो सकती है। या फिर कई बार कोई भी परत नही होती। अगर आपके मोती में ड्रिल होल हो तो किसी मैग्नीफाइंग ग्लास से आप मोती के अंदर देखें।

Q : मोती कहाँ पाया जाता है?
Ans : भारत के निकट बंगाल की खाड़ी में हल्के गुलाबी रंग का मोती मिलता है। जबकि अमेरिका में मैक्सिको की खाड़ी में सफेद मोती मिलता है। आस्ट्रेलिया के समुद्री क्षेत्र में सफेद तथा कठोर मोती मिलते है। कैलिफोर्निया तथा कैरीबियन द्वीप समूह के समुद्री क्षेत्रों तथा लाल सागर में भी मोती मिलता है।

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