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लवण क्या होता है ? लवण के प्रकार , गुणधर्म तथा उपयोग

लवण क्या होता है

लवणों के बारे में तो सुना ही होगा। क्या आपको पता है लवण क्या होता है ? लवण कितने प्रकार के होते है ? इनका उपयोग , बनाने की विधि ,रासायनिक गुणधर्म, नहीं पता तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। बस आपको यह पोस्ट अच्छे से पढ़नी है। परन्तु आपको यह पोस्ट जब ही समझ आएगी जब आपको अम्लों और क्षारको का अच्छे से ज्ञान हो। ”लवण क्या होते है ” और ”लवण कितने प्रकार के होते है ” ये सब समझने से पहले आपको अम्ल और क्षारक की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। अगर आपको अम्ल और क्षारक की जानकारी नहीं है तो हमरी पिछली पोस्ट यह से क्लिक करके पढ़े ताकि आपको लवणों अध्ययन अच्छे से समझ आये। अम्ल क्या होता है ? एसिड के उपयोग,गुण,प्रकार,आधुनिक अवधारणा का अध्ययन और क्षारक क्या होता है? अम्ल और क्षारक में क्या अन्तर होता है ? गुणधर्मों का अध्ययन।  

लवण क्या होता है ? लवण के प्रकार , गुणधर्म तथा उपयोग का अध्ययन

आपको पता होगा लवणों का हमारे दैनिक जीवन में बहुत महत्व होता है बहुत सारे लवण ऐसे होते है जो हमारे सीधे उपयोग में आते है जैसे नमक , धावन सोडा , बैंकिंग सोडा आदि। आइये जानते है इनके बारे में थोड़ा विस्तार से

लवण क्या होता है ? What is definition of salts ?

लवण वह यौगिक होता है जो किसी अम्ल के एक या अधिक हाइड्रोजन परमाणुओं को किसी क्षारक के एक या अधिक धनायन से प्रतिस्थापित किया जाता है। जैसे- सल्फ्यूरिक अम्ल में प्रतिस्थापनीय हाइड्रोजन परमाणु की की संख्या दो होती है। अत: यहाँ सोडियम द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल के दोनों हाइड्रोजन परमाणु के प्रतिस्थापित होने पर सोडियम सल्फेट लवण बनता है। दूसरे शब्दो में , अम्लों और क्षारको की अभिक्रिया से प्राप्त यौगिकों को लवण कहते है। तथा इस तरह की अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती है। लवण का धनायन क्षार से तथा लवण का ऋणायन अम्ल से आता है। सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH ) की अभिक्रिया हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl) से कराई जाती है तो सोडियम क्लोराइड (खाने का नमक ) प्राप्त होता है जो की एक क्षारीय लवण है।
NaOH  + HCL  →   NaCl + H2O

लवण कितने प्रकार के होते है ? How many types of salts 

लवणों का वर्गीकरण अनेक प्रकार से किया गया है। लवणों को उनको  गुणों के आधार पर तथा प्रकृति के आधार पर, लवणों के संघटन के आधार पर एवं उनके जलीय विलयन के आधार पर विभिन भागो में विभाजित किया गया है। लवणों की प्रकृति के आधार पर लवण को “सामान्य लवण”, “अम्लीय लवण” तथा  “क्षारीय लवण” में विभाजित किया गया हैं। वर्गीकरण की यह सीमा इस बात पर निर्भर करती है कि अम्ल के सभी हाइड्रोजन आयनों का या फिर क्षारक के सभी हाइड्रॉक्साइड आयनों का प्रतिस्थापन हुआ है या  नहीं हुआ है । आइये जानते है लवणों को किस तरह विभाजित किया गया है।

लवणों के प्रकार – Types of salts

  1. सामान्य लवण ( normal salts ) :- जब किसी अम्लीय अणु से धातु द्वारा हाइड्रोजन परमाणु का पूर्णतया  विस्थापन हो जाता है। अर्थात अम्ल तथा क्षारक के सभी हाइड्रोजन तथा हाइड्रॉक्साइड आयनों के प्रतिस्थापन से प्राप्त होने वाले यौगिकों (लवणों ) को सामान्य लवण कहते  है।अतः इन लवणों में विस्थापनशील परमाणु नहीं होते है।  उदहारण :- NaCl , Na2SO4, KNO3, FeSO4, K2SO4, [Ca3(PO4)2], Na3BO3 etc.
  2. अम्लीय लवण (Acidic satls ) :- ये लवण अम्लों के अपूर्ण उदासीनीकरण से प्राप्त किये जाते है। अर्थात क्षारक या अम्ल द्वारा हाइड्रोजन परमाणु के आंशिक विस्थापन द्वारा इन्हें प्राप्त किया जाता है। इन लवणों में एक या एक से अधिक विस्थापनशील हाइड्रोजन परमाणु होते है।  उदहारण :- NaHCO3, NaHSO4, NaH2PO4 etc.
  3. क्षारीय लवण ( basic salts ) :- हाइड्रॉक्साइड के सभी आयनों का प्रतिस्थापन न होने के कारण जो लवण प्राप्त होते हैं, उनमें प्रतिस्थापनीय हाइड्रॉक्साइड की विशेष उपस्थिति के कारण उन्हें क्षारकीय लवण कहा जाता है।अर्थात इन लवणों में एक या एक से अधिक विस्थापनशील हाइड्रोक्सिल (OH – ) आयन  उपस्थित होते है।  ये लवण अम्लों द्वारा क्षार के आंशिक उदासीनीकरण के द्वारा बनते है। उदाहारण :- Mg(OH)Cl, Zn(OH)Cl etc.
  4. द्विक लवण ( double salts ) :- ये दो सरल लवणों के संयोग से बनते है।  इनका अस्तित्व केवल ठोस अवस्था में ही होता है।  उदहारण :- मोहर लवण [FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O] , पोटाश लवण [K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O] , आदि।  ये लवण सूत्र में उपस्थित सभी आयनों  ( अवयवों ) का परिक्षण देते है।
  5. संकर लवण ( complex salts ) :- ये वे योगिक होते है जिनमे धातु आयन निश्चित संख्या में ऋणायन या उदासीन अणुओ (जिन्हें लीगेंड कहते है) से बंधन करके संकुलन स्पीशीज बनाते है। जिनके अपने अभिलाक्षणिक गुण होते है। इनका अस्तित्व विलयन के रूप में होता है। पोटैशियम हेक्सासायानोंफैरेट(lll) K4[Fe(CN)6]4- में  [Fe(CN)6]4- संकर आयन होता है। तथा टेट्राएमिनोक्यूप्रिकसल्फेट [Cu(NH3)4]SO4  में  [Cu(NH3)4]2+ संकर आयन है।
  6. मिश्रित लवण ( mixed salts ) :- इन लवणों में एक से अधिक क्षारीय या अम्लीय मूलक ( धनायन या ऋणायन ) होते है।  उदाहारण :- विरंजक चूर्ण [Ca(OCl)Cl , सोडियम पोटैशियम सल्फेट (Nakso4) , रोशेल लवण।
Lawan kitne prakar ke hote hai
Crystalline powder of copper sulphate -CuSO4.5H2O

 

नोट : –1.  यदि एक सामान्य लवण दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षारक से प्राप्त किया जाता है तो यह लवण क्षारीय कहलाता है। क्योकि इसका जलीय विलयन लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है। उदाहरण :- Na2CO3, CH3COONa, etc.

  1. यदि एक सामान्य लवण प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षारक की अभिक्रिया से प्राप्त किया जाता है तो प्राप्त लवण उदासीन लवण कहलाता है।  क्योकि इसके जलीय विलयन में लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उदाहरण :- NaCl, KCl,K2SO4, NaNO3, KClO3 etc .
  2. यदि एक सामान्य लवण प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षारक की अभिकक्रिया से प्राप्त किया जाता है तो प्राप्त लवण अम्लीय होता है क्योकि इसका जलीय विलयन नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है। उदाहरण :- FeCl3 , CuSO4, ZnCl2, FeSO4, HgSO4 etc.

लवणों का जल अपघटन :- HYDROLYSIS OF SALTS

जब निश्चित अनुपात में अम्लों तथा क्षारको के बींच अभिक्रिया कराई जाती है तो लवण प्राप्त होते है। जब प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षारक से बने लवणों को जल में घोला जाता है तो यह विलयन में पूर्णतया आयनित हो जाता है। परन्तु यह जल से अभिक्रिया नहीं करता है। जब प्रबल क्षारक और दुर्बल अम्ल या दुर्बल क्षारक तथा प्रबल अम्ल से बने लवणों को जल में घोला जाता हैं तो यह जल से अभिक्रिया कर के दुबारा मूल अम्ल तथा क्षारक (जिनसे यह लवण बना होता है ) देता है। यह प्रकिया लवणों का जल अपघटन कहलाती है।

इस प्रक्रिया में लवण के आयन ,जल के अणुओं या जल के आयनों से अन्योन्य क्रिया करते है। जिसके फलस्वरूप अम्लीय या क्षारीय लवण बनता है। उदाहरण : – सोडियम कार्बोनेट लवण  (Na2SO4) , सोडियम हाइड्रोक्साइड ( NaOH ) तथा कार्बोनिक (H2CO3) अम्ल की क्रिया से बनता है। अतः जब इसे जल में घोला जाता है तो यह मूल अम्ल और क्षारक ( जिनसे यह बना होता है ) देता है। प्रबल क्षारक की उपस्थिति के कारण इसका विलयन क्षारीय होता है।

Na2SO4  +  2H2O   →  2NaOH      +    H2CO3

प्रबल क्षारक    दुर्बल अम्ल

जल अपघटन के आधार पर लवणों का वर्गीकरण

जल अपघटन के आधार पर लवणों को 4 भागो में  विभाजित किया गया है।

दुर्बल अम्ल और प्रबल क्षारक के लवण ( Salt of weak acids and strong bases ) :- एसिटिक अम्ल ( दुर्बल अम्ल ) तथा सोडियम हाइड्रोक्साइड ( प्रबल क्षारक ) की अभिक्रिया कराई जाती है तो सोडियम एसीटेट लवण प्राप्त होता है। इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।  अतः इसका pH मान 7 से अधिक होता है।

CH3COONa +   H2O    →    CH3COOH + NaOH

Sodium acetate                       weak acid     strong base

प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षारक के लवण ( Salts of strong acids and weak bases ) :- जब अमोनियम हाइड्रोक्साइड (दुर्बल क्षारक ) तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (प्रबल अम्ल ) की अभिक्रिया कराई जाती है तो अमोनियम क्लोराइड लवण प्राप्त होता है।  अतः जल अपघटन के फलस्वरूप यह अम्लीय विलयन देता है।  अतः इसके विलयन के pH का मान 7 से कम होता है।

NH4OH     +   HCL        →   NH4Cl   +  H2O
weak base     strong acid

दुर्बल अम्ल और दुर्बल क्षारक के लवण ( salts of weak acids and weak bases ) :- जब एसिटिक अम्ल (दुर्बल अम्ल) तथा अमोनियम हाइड्रोक्साइड (दुर्बल क्षारक) की अभिक्रिया कराई जाती है तो इस अभिक्रिया के फलस्वरूप अमोनियम एसीटेट लवण प्राप्त होता है।  इस प्रकार का लवण जलीय विलयन में अम्लीय या क्षारीय या उदासीन रह सकता है।

CH3COOH + NH4OH →   CH3COONH4 + H2O
Weak acid     weak base

प्रबल अम्ल और प्रबल क्षारक के लवण ( strong acids and strong bases ) :- सोडियम या पौटेशियम के हैलाइड, सल्फेट, तथा नाइट्रेट के लवण इस वर्ग में आते है।  अम्ल और क्षारक दोनों ही प्रबल है। अतः जल अपघटन की प्रक्रिया ही नहीं होती है। इस प्रकर के लवणों के जलीय विलयन उदासीन रहते है। और इस तरह के लवणों का जलीय विलयन का pH मान 7 होता है।

लवणों का नामकरण :- Nomenclature of salts

लवणों का नामकरण क्षार और अम्लों के योग के आधार पर किया जाता है। नामकरण में धातु या धातु मूलक पहले आते हैं तथा अम्ल धातु या धातु मूलक के पीछ आते है। अम्लों के अंग्रेजी नाम के अंतिम अंश को हटाकर उसमें “आइड” (-ide), “आइट” (-ite), “एट” (-ate) जोड़ते हैं। द्विअंगी यौगिक के लवणों में “आइड” और त्रिअंगी लवणों में “आइट” या “एट” जोड़ते हैं। सोडियम और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के लवण को सोडियम हाइड्रोक्लोराइड, या सोडियम क्लोराइड भी कहते हैं। यदि त्रिअंगी लवणों में लवण अम्लीय है तो उसमें “आइट” (-ite) जोड़ते हैं, जैसे सोडियम सल्फाइट, सोडियम फ़ास्फ़ाइट आदि और यदि लवण सामान्य लवण है तो उसमें एट (-ate) जोड़ते हैं।  जैसे सोडियम सल्फेट, कैल्सियम फ़ॉस्फ़ेट आदि।  जिस अम्ल के अंत में “अस” (ous) होता है उस लवण के नाम में आइट ( ite ) और जिस अम्ल के अंत में “इक” (ic) होता है उस लवण के नाम में  एट (-ate ) जोड़ते हैं। अम्ल का लवण सल्फाइड और सल्फ्यूरिक अम्ल का लवण सल्फेट होता  है।

लवणों  के गुणधर्म :- PROPERTIES OF SALTS

सामान्यत: सामान्य लवण के विलयन उदासीन होते हैं । परन्तु अनेक सामान्य लवणों के विलयन अम्लीय या क्षारीय भी होते हैं। सामान्य लवणों के विलयन में इस तरह का प्रभाव इसलिए होता है क्योकि लवणों के आयन जल के साथ की क्रिया करते है। इस क्रिया को जल अपघटन कहा जाता है। सोडियम साइनाइड लवण को जल में घोलने पर विलयन में जल अपघटन की क्रिया होती है, जिसके फलस्वरूप विलयन में सोडियम हाइड्रॉक्साइड (क्षार) तथा हाइड्रोजन साइनाइड (हाइड्रोस्यानिक अम्ल) बने हैं। चूँकि सोडियम हाइड्रॉक्साइड प्रबल क्षार होते  है। अत: लवण का विलयन क्षारीय होता है। अमोनियम क्लोराइड लवण का जलीय विलयन जल अपघटन क्रिया के कारण अम्लीय होता है।

अम्ल और क्षारक की आधुनिक परिभाषा में बहुत अधिक विस्तार हो गया है।  अम्ल और क्षारक के लिए अनेक परिभाषा दी गयी है।  इन सब में से ब्रॉन्सटेड की धारणा को अधिक महत्व दिया गया क्योकि इनके द्वारा दिए गए सिद्धांत में अम्लीय तथा क्षारीय प्रक्रम पर लवण की तुलना में ज्यादा ध्यान दिया गया है।

लवणों के रासायनिक गुण :- CHEMICAL PROPERTIES OF SALTS

  1. लवण,अम्लों के साथ अभिक्रिया करके लवण तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनाते है।  उदाहरण :- बेरियम क्लोराइड सल्फ्यूरिक एसिड के साथ अभिक्रिया करके बेरियम सल्फेट तथा हाइड्रोक्लोरिक एसिड बनाता है।

BaCl2 + H2SO4   →  BaSO4 (s) +  2HCl (aq)

           NaHSO4  + HCL  →   NaCl + H2O + CO2 (g)

  1. लवण, धातुओं से अभिक्रिया कर के लवण बनाते है अर्थात लवण के धातु को अधिक क्रियाशीलता वाला धातु विस्थापित कर देता है।

Cu + HgCl2  →   CuCl2  + Hg

लवण क्या होता है
       sodium hydrogen carbonate -NaHCO3

 

3. लवणों की परस्पर लवणों से अभिक्रिया कराने पर लवण ही मिलते है।

CaCl2 +  Na2CO3  →   CaCO3(s) + 2NaCl (aq)

      AgNO3 + NaCl     →    AgCl (s)  +  NaNO3

      K2Cr2O7  + 3NaSO3  +H2SO4    →    Cr2(SO4)3  +  3Na2SO4 +K2SO4  +  4H2O

  1. कुछ लवण गर्म करने से भी विघटित हो जाते है

CuCO3    →   CuO   + CO2 (s)

         NH4NO3  →   N2O + 2H2O

         NH4NO2  →   N2 +   2H2O

लवणों का निर्माण कैसे किया जाता है ?

  1. अम्लों की धातुओं से या धातु ऑक्साइडो से अभिक्रिया कराने पर लवणों का निर्माण होता है। जैसे जिंक की सल्फ्यूरिक एसिड के साथ अभिक्रिया कराने पर जिंक सल्फेट प्राप्त होता है। इसी तरह मैग्नीशियम ऑक्साइड की क्रिया सल्फ्यूरिक एसिड से कराने पर मैग्नीशियम सल्फेट प्राप्त होता है।

 Zn   +  H2SO4 →   ZnSO4     +    H2 (g)

          Mg   +  H2SO4   →    MgSO4  +    H2 (g)
          MgO   +  H2SO4      →   MgSO4    +   H2O

2. क्षार या क्षारकों तथा कार्बोनेटों पर अम्लों या अम्लीय ऐनहाइड्राइडों की क्रिया से लवण बनते है। जैसे पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की क्रिया से पोटैशियम क्लोराइड बनता है।

 KOH   + HCl    →    KCl   + H2O

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  1.  हाइड्रोक्लोरिक एसिड क्या है ? HCl के गुण,संरचना,उपयोग, बनाने की विधि का विवरण
  2. क्षारक क्या होता है? अम्ल और क्षारक में क्या अन्तर होता है ? गुणधर्मों का अध्ययन। 
  3. अम्ल क्या होता है ? एसिड के उपयोग,गुण,प्रकार,आधुनिक अवधारणा का अध्ययन

3. किसी लवण की एक धातु को दूसरी धातु से विस्थापित करने से लवणों का निर्माण होता है। जैसे कॉपर सल्फेट को लोहे के संपर्क में लाने पर ताँबे का स्थान लोहा ले लेता है और जिससे फेरस सल्फेट बनाता है।

CuSO4  +  Fe    →   FeSO4  + Cu

4. तत्वों के सीधे संयोग से भी लवणों का निर्माण किया जाता है। जैसे सोडियम एवं क्लोरीन के सीधे संपर्क से सोडियम क्लोराइड लवण बनाया जाता  है। जिसे नमक कहते है। यह खाने में काम आता है।

Fe   + S  →     FeS

5. अम्लीय ऑक्साइडों और क्षारकीय ऑक्साइडों के संयोजन से लवण बनते है। जैसे सल्फर ट्राइऑक्साइड (अम्लीय) और  पोटैशियम ऑक्साइड (क्षार) दोनों की क्रिया कराने पर के पोटैशियम सल्फेट बनता है।

2KOH    +  SO3   →     K2SO4   +  H2O

Ca(OH)2  + CO2   →    CaCO3  +  H2O

6. जब किसी लवण एवं कम वाष्पशील अम्ल की परस्पर अभिक्रिया कराई जाती है तो इस अभिक्रिया से लवण प्राप्त होते है।  जैसे सोडियम क्लोराइड पर कम वाष्पशील सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया से सोडियम हाइड्रोजन सल्फेट लवण बनता है।

NaCl +  H2SO4   →    NaHSO4  + HCL

7. जब दो क्षारों की आपस में क्रिया कराई जाती है तो लवण का निर्माण  होता है। जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड की क्रिया ज़िंक हाइड्रॉक्साइड से कराने पर सोडियम ज़िंकेट बनता है।

 2NaOH  + Zn(OH)2  →    H4Na2O4Zn

8. लवणों के उपचयन-अपचयन से भी लवणों का निर्माण होता है। जैसे लेड सल्फाइड के उपचयन से लेड सल्फेट तथा बेरियम सल्फेट के अपचयन से बेरियम सल्फाइड प्राप्त होता है।

9. दो लवणों के बीच उभय अपघटन होने से भी लवण का निर्माण होता है। जैसे पोटैशियम क्लोराइड तथा सोडियम नाइट्रेट के अपघटन से पोटैशियम नाइट्रेट एवं सोडियम क्लोराइड बनते हैं। इस विधि से जल में विलेय दो लवणों (जैसे सिल्वर नाइट्रेट तथा पोटैशियम क्लोराइड ) के उभय अपघटन से जल में अविलेय सिल्वर क्लोराइड तथा जल में विलेय पोटैशियम नाइट्रेट प्राप्त होता हैं। सामान्यतः जल में अविलेय लवण की प्राप्ति के लिए इस विधि का विशेष उपयोग किया जाता है।

10. धातु एवं क्षारक की परस्पर क्रिया से भी लवण प्राप्त किये जाते है। जैसे ज़िंक की पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड से क्रिया करने पर पोटैशियम ज़िंकेट लवण बनता है
बनता है।

  Zn  +KOH    →    K2ZnO2 +H2

लवण क्या होता है

लवणों के कौन कौन से उपयोग होते है ?

  1. सोडियम क्लोराइड( SODIUM CHLORIDE – NaOH ) :- इसे सामान्य लवण या चट्टानी लवण भी कहते है। इसके क्रिस्टल अशुद्धियों के कारण भूरे रंग के दिखाई देते है।  यह हमारे भोजन का आवश्यक अंग है अर्थात सोडियम क्लोराइड को नमक कहते है जो खाने में काम आता है।  यह विभिन्न खाद्य पदार्थो जैसे अचार के परिरक्षण में काम में लिया जाता है।  यह प्रतिदिन उपयोग में आने वाले अनेक यौगिकों जैसे विरंजक चूर्ण , बैंकिंग सोडा , सोडियम हाइड्रोक्साइड के निर्माण में प्रयुक्त होने वाला कच्चा पदार्थ है।  हमारे स्वतंत्रता संग्राम में नमक एक महत्वपूर्ण योगिक था।  ( महात्मा गाँधी की डांडी यात्रा )
  2. सोडियम बाईकार्बोनेट ( SODIUM BICARBONATE – NaHCO3 ):- इसे बैंकिंग सोडा भी कहते है।  इसका उपयोग बैंकिग पाउडर बनाने में ( जो बैंकिंग सोडा तथा टार्टरिक अम्ल का मिश्रण होता है। )   सोडा अम्ल में , अग्निशामक में।
  3. एप्सम लवण ( MgSO4.7H2O) तथा कैलोमल लवण ( Hg2Cl2 )[EPSOM SALTS AND CALOME) :-  इनका उपयोग दवाओं में किया जाता है।
  4. जिप्सम (GYPSUM -CaSO4.2H2O) :- इसमें से आंशिक रूप से क्रिस्टल जल को हटाकर प्लास्टर ऑफ़ पेरिस प्राप्त किया जाता है।  प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का उपयोग टूटी हुई हड्डियों पर प्लास्टर करने में , खिलोने बनाने में , दीवारों को चिकना बनाने में किया जाता है।
  5. सोडियम कार्बोनेट ( SODIUM CARBONATE -Na2CO3.10H2O) :- इसे धवन सोडा भी कहते है। यह एक क्षारीय लवण है। इसका उपयोग काँच, कागज उद्योग , साबुन तथा अपमार्जकों के निर्माण में ,जल की स्थायी कठोरता हटाने में , कपड़ो की शुष्क दुलाई (ड्राई क्लीनिंग ) में , किया जाता है।  इसका उपयोग बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिकों के उत्पादन में भी किया जाता है।
  6. पोटैशियम नाइट्रेट (POTASSIUM NITRATE – KNO3) :- इसका उपयोग उर्वरक के रूप में , काँच उद्योग में , गन पाउडर के रूप में , तथा आतिश ( पटाखे ) बनाने में किया जाता है।
  1. कॉपर सल्फेट COPPER SULPHATE – CuSO4.5H2O) :- इसको नीला थोथा भी कहते है।  इसका उपयोग विद्युत लेपन में , कॉपर को शुद्ध करने में , रंगाई , छपाई में , तथा कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता हैं।
  2. पोटाश एलम [ potash alum –K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O]:- इसे फिटकरी के नाम से भी जाना जाता है।  इसका उपयोग जल को शुद्ध करने में , खून को बहने से रोकने  में , रंगाई में रंग बंधक के रूप में , चमड़ा उद्योग में , तथा औषधि के निर्माण में किया जाता है।

आशा करता हूँ आपको लवणों के बारे में यह अध्ययन समझ में आया होगा। लवण क्या होता है ? लवण कितने प्रकार के होते है ? और इसके गुणधर्म , बनाने की विधि , तथा उपयोग ये सब समझ में आ गया होगा। अम्ल , क्षारक तथा लवणों से संबंधित कोई डाउट हो तो कमेंट कर बताये। आपको पता ही होगा अम्ल ,क्षार तथा लवणों से संबंधित सवाल एग्जाम में बहुत पूछे जाते है। अतः इन तीनो टॉपिक का अध्ययन अच्छे से करे।

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