Sunita Williams Biography In Hindi – अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का जीवन परिचय :- आज का हमारा लेख भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की जीवनी (Sunita Williams ka jiwan parichay) के बारे में है। मैं आपको इस पोस्ट में सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष तक सफर के बारे में बताऊंगा। सुनीता विलियम्स का जन्म व परिवार, सुनीता विलियम्स की शिक्षा, सुनीता विलियम्स के सम्मान व पुरुस्कार के बारे में जानकारी दी जा रही है। सुनीता विलियम्स का जीवन साधारण व सरल रहा है। वह बाकि लोगो से अलग थी। उनके सपने जमीन से आसमान तक सफर करने के थे।
सुनीता विलियम्स ने अंतिरक्ष की यात्रा कर भारत को गौरन्वित किया है। साथ ही कई लड़कियों के लिए मिसाल भी कायम की है। उन्होंने अपनी सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के दम पर यह मुकाम हासिल किया और पूरी दुनिया में अपनी एक पहचान बनाई है। हालाँकि उन्होंने अपना करियर बनाने में कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। लेकिन वह हिम्मत से आगे बढ़ती रही और अपने सपनो की उड़ान भरी। उन्होनें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से अंतरिक्ष की यात्रा की। वह अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला है। वह विश्व की पहली महिला है जिन्होनें अंतरिक्ष में 7 बार यात्रा की है।
सुनीता विलियम्स का जीवन परिचय एक नजर में
पूरा नाम (Full Name) | सुनीता माइकल जे. विलियम (Sunita Williams) |
जन्म (Birthday) | 19 सितम्बर 1965 |
जन्म स्थान (birth place) | अमेरिका के ओहियो राज्य में यूक्लिड नगर |
पिता का नाम (Father Name) | डॉ. दीपक एन. पांड्या |
माता का नाम (Mother Name) | बानी जालोकर पांड्या |
पति (Husband) | माइकल जे. विलियम |
शिक्षा (education) | बीएस (फिजिकल साइन्स), एम.एस.(इंजीनियरिंग मैनेजमेंट) |
पेशा (Profession) | ‘नासा’(1998) में वैज्ञानिक व अंतरिक्ष यात्री |
अंतरिक्ष में व्यतीत समय | 321 दिन, 17 घंटे 15 मिनट |
सुनीता विलियम्स का जन्म व परिवार
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर 1965 को अमेरिका के ओहियो राज्य में यूक्लिड नगर (स्थित क्लीवलैंड) में हुआ था। सुनीता विलियम्स के पिताजी का नाम डॉ. दीपक एन. पांड्या और माताजी का नाम बानी जालोकर पांड्या है। सुनीता के पिताजी डॉक्टर होने के साथ-साथ एक जाने-माने तंत्रिका विज्ञानी (एम.डी) भी थे। उनके पिताजी का सम्बन्ध गुजरात राज्य के अहमदाबाद से था। सुनीता की माँ स्लोवेनिया से थी। सुनीता का एक बड़ा जय थॉमस पांड्या और एक बड़ी बहन डायना एन पांड्या है। सुनीता विलियम्स अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान है।
वर्ष 1958 में जब सुनीता विलियम्स एक साल से भी छोटी थी, तब उनके पिताजी अहमदाबाद से अमेरिका के बोस्टन में आकर बस गए थे। परन्तु बच्चे अपने दादा-दादी, चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों को छोड़ना नहीं चाहते थे। वे अमेरिका जाने के लिए बिलकुल भी खुश नहीं थे। लेकिन अपनी नौकरी के चलते उनके पिताजी को अमेरिका में शिफ्ट होना पड़ा था।
सुनीता बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि की थी। वह अपने सपनों की उड़ान भरकर पूरी दुनिया के चक्कर लगाना चाहती थी। उन्हें अपने माता-पिता से काफी अधिक प्रेरणा मिली थी। साथ ही वह भारतीय संस्कृति से भी प्रभावित थी। वह गाँधी जी को अपना रोले मॉडल मानती थी। सुनीता का स्वभाव एकदम सरल है। वह साधारण जीवन जीने में विश्वास करती थी। सुनीता को संस्कार अपनी माँ से विरासत में मिला है।
सुनीता एक साहसी, निडर, कर्मनिष्ठ व सरल स्वभाव की धनी है। वह हेलीकॉप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, नौसेना पोत चालक, पेशेवर नौसेनिक, गोताखोर, तैराक, पशु प्रेमी, मैराथन धाविका और अन्तरिक्ष यात्री हैं। उन्होंने एक बेटी होने का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने समस्त विश्व के सामने सिद्ध किया कि बेटियाँ भी बेटो से काम नहीं है। बेटियाँ भी माँ बाप का नाम रोशन कर सकती है। सुनीता विलियम्स ने अपने सपनों को साकार करके अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है।
सुनीता विलियम्स की शिक्षा
सुनीता विलियम्स ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा नीदरम, मैसाचुसेट्स से प्राप्त की थी। सुनीता ने वर्ष 1983 में मैसाचुसेट्स से हाई स्कूल की परीक्षा पास की थी। इसके बाद 1987 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की नौसैनिक अकादमी से फिजिकल साइन्स में बीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद उन्होनें 1995 में फ़्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर ऑफ साइंस की (एम.एस.) की डिग्री हासिल की है।
नौसेना में सुनीता विलियम्स का करियर
मई 1987 में अमरीकी नेवल अकेडमी से वह नौसेना से जुड़ी। बाद में वह हेलीकॉप्टर पायलट बन गई। 6 महीने की अस्थायी नियुक्ति (नेवल तटवर्ती कमांड में) के बाद सुनीता को ‘बेसिक डाइविंग ऑफिसर’ के पद पर नियुक्ति किया गया। उसके बाद उन्हें नेवल एयर ट्रेनिंग कमांड में प्रवेश दिया गया और जुलाई 1989 में उन्हें नेवल एवियेटर का पद मिला।
इसके बाद उन्हें ‘हेलीकॉप्टर काम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन’ में नियुक्त किया गया। सुनीता विलियम ने अपनी प्रारंभिक ट्रेनिंग की शुरुआत हेलीकॉप्टर कॉम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन 3 (HC -3) में H-46 सागर-नाइट से की थी। बाद में सुनीता को नॉरफ़ॉक, वर्जीनिया में हेलीकॉप्टर कंबाट सपोर्ट स्क्वाड्रन 8 (HC-8) की जिम्मेदारी सौंपी दी गई थी। इस समय सुनीता को कई जगह पर पोस्ट किया गया था। भूमध्यसागर, रेड सी और पर्शियन गल्फ में उन्होंने ‘ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड’ और ‘ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट’ के दौरान कार्य किया।
सितम्बर 1992 में उन्हें H-46 टुकड़ी का-ऑफिसर-इन-चार्ज बनाकर मिआमि (फ्लोरिडा) भेजा गया। इस टुकड़ी को ‘हरिकेन एंड्रू’ से सबंधित कार्य के लिए भेजा गया था। जनवरी 1993 में सुनीता ने ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में अपने अभ्यास की शुरुआत की। दिसम्बर में उन्होंने यह कोर्स पूरा कर लिया था।
दिसम्बर 1995 में उन्हें ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में ‘रोटरी विंग डिपार्टमेंट’ में प्रशिक्षक और स्कूल के सुरक्षा अधिकारी के तौर पर भेजा गया। वहां उन्होंने UH-60, OH-6 और OH-58 जैसे हेलिकॉप्टर्स में उड़ान भरी। इसके बाद उन्हें USS सैपान पर वायुयान संचालक और असिस्टेंट एयर बॉस के तौर पर भी भेजा गया। इस दौरान सुनीता ने 30 अलग-अलग विमानों से 3000 घंटे तक उड़ान भरकर लोगों को हैरत में डाल दिया था।
सुनीता विलियम्स की शादी
जब सुनीता 1995 में फ़्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर ऑफ साइंस (एम.एस.) की शिक्षा हासिल कर रही थी, तब उनकी मुलाकात माइकल जे. विलियम्स से हुई। पहले वे दोनों अच्छे दोस्त बने। दरअसल दोनों क्लासमेट थे। बाद में इन दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों ने एक-दूसरे से शादी कर ली। माइकल जे. विलियम एक नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परिक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक और गोताखोर है।
NASA में सुनीता विलियम्स का करियर
वर्ष 1998 में सुनीता का चयन NASA के लिए हुआ था। उस समय वह USS सैपान पर ही कार्यरत थीं। उनकी एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट ट्रेनिंग अगस्त 1998 से नासा के जॉनसन स्पेस सेण्टर में शुरु की गई थी। उनके प्रशिक्षण में शामिल चीजें थीं। विभिन्न प्रकार की तकनीकी जानकारी एवं टूर्स, अनेक वैज्ञानिक और तकनीकी तंत्रों की ब्रीफिंग, स्पेश शटल और अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की जानकारी, मनोवैज्ञानिक ट्रनिंग और टी-38 वायुयान के द्वारा ट्रेनिंग।
इसके अलावा उनकी पानी के अंदर और एकांतवास परिस्थितियों में भी ट्रेनिंग हुई। सुनीता विलियम ने सच्ची लगन और अपने साहस से वह ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूरी की। सफलतापूर्वक अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 9 दिसम्बर 2006 में सुनीता को अंतरिक्षयान ‘डिस्कवरी’ से ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ भेजा गया जहां उन्हें एक्सपीडिशन-14 दल में शामिल होना था।
अपने प्रशिक्षण के समय सुनीता ने रूसी अंतरिक्ष संस्था में भी कार्य किया तथा इस प्रशिक्षण में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के रूसी भाग की जानकारी प्राप्त की। अंतरिक्ष स्टेशन के रोबोटिक तंत्र के ऊपर भी उन्हें प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान वह मई 2002 में पानी के अंदर एक्वैरियस हैबिटेट में 9 दिन रहीं। सुनीता विलियम्स दो बार अंतरिक्ष में जा चुकी हैं। दोनों बार वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ‘अल्फा’ में गईं।
सुनीता विलियम्स की प्रथम अंतरिक्ष उड़ान 9 दिसम्बर 2006 को स्पेश शटल ”डिस्कवरी” के द्वारा प्रारंभ हुई। सुनीता ने अंतरिक्ष में कुल 321 दिन 17 घंटे 15 मिनट का समय बिताया है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कमांटर बनने वाली वह विश्व की द्वितीय महिला हैं। सुनीता विलियम्स ने 15 अगस्त, 2012 को भारत के 66 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगा झंडा अंतरिक्ष में फहराया था। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पहली बार तिरंगा अतरिक्ष में फहराया गया था। सुनीता विलियम्स ने अभी तक कुल 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 2770 उड़ानें भरी हैं।
सुनीता ने अपने संदेश में कहा कि मैं अतंरिक्ष में ही भारत की आजादी का जश्न मना रही हूँ। सुनीता रूस की यूरी मालेनचेंको और जापान के अकीहिको होशिदे के साथ 15 जुलाई को बैकानूर प्रक्षेपण स्थल से अंतरिक्ष के लिए रवाना हुई थीं। नासा की 46 वर्षीय अंतरिक्षयात्री सुनीता, रूस के सोयूज के कमांडर यूरी मलेनचेनको और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के फ्लाइट इंजीनियर अकिहिको होशिदे दो दिन तक अंतरिक्ष की कक्षा में रहने के बाद 17 जुलाई मंगलवार को आईएसएस पहुंची थी।
सुनीता विलियम्स को भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सुनीता ने सितम्बर 2007 में भारत की यात्रा की। इस यात्रा के समय उन्हें गुजराती समाज के द्वारा ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल विश्व प्रतिमा अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
अप्रैल 2007 में रूस के अंतरिक्ष यात्री को बदला दिया गया था। जिससे यह एक्सपीडिशन-15 हो गया। एक्सपीडिशन-14 और 15 के दौरान सुनीता विलियम्स ने तीन स्पेस वॉक किए। 6 अप्रैल 2007 को उन्होंने अंतरिक्ष में ही ‘बोस्टन मैराथन’ में भी हिस्सा लिया जिसे उन्होनें मात्र 4 घंटे 24 मिनट में पूरा कर लिया था। अतः वह अंतरिक्ष में मैराथन में दौड़ने वाली व्यक्ति (महिला) बन गयीं। 22 जून 2007 को सुनीता पृथ्वी पर वापस आ गयीं।
साल 2012 में सुनीता एक्सपीडिशन 32 और 33 से जुड़ीं। 15 जुलाई 2012 को सुनीता विलियम्स को बैकोनुर कोस्मोड्रोम से अंतरिक्ष में भेजा गया। उनका अंतरिक्ष यान सोयुज़ ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ से जुड़ गया था। वह 17 सितम्बर 2012 में एक्सपीडिशन 33 की कमांडर बनायी गयीं थी। सितम्बर 2012 में ही वह अंतरिक्ष में त्रैथलों करने वाली पहली महिला (व्यक्ति) बनीं। 19 नवम्बर को सुनीता विलियम्स पृथ्वी पर वापस लौट आयी थी।
सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष में स्पेस वॉक
अपनी द्वितीय अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सुनीता ने तीन स्पेस वॉक कीं। अंतरिक्ष में अंतरिक्षयान (जिसके अंदर का पर्यावरण मानव के लिए पृथ्वी जैसा होता है) से बाहर निकलकर मुक्त अंतरिक्ष (जहाँ का पर्यावरण मानव के लिए बेहद खतरनाक होता है। वहाँ निर्वात होता है, विकिरणों से भरा होता है और उल्काओं का खतरा होता है) में आकर कई तरह के रिपेयर असेम्बली और डिप्लायमेंट के कार्यो को करने को स्पेसवॉक कहते हैं।
स्पेस वॉक पर जाने के लिए अंतरिक्ष यात्री एक खास तरह का सूट पहनते हैं। इस सूट में अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले व्यक्ति के लिए जीवन रक्षा तंत्र और अन्य सुविधाएं भी लगी रहती हैं। अपने अंतरिक्ष प्रवास के दौरान सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष स्टेशन के अंदर कई परीक्षण भी किए। सुनीता विलयम्स फिट रहने के लिए अंतरिक्ष में ट्रेडमिल में रोजाना व्यायाम भी करती थीं। भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा स्पेसवॉक करने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं। उनके द्वारा किए गए 7 स्पेसवॉक की कुल अवधि 50 घंटा 40 मिनट की थी।
सुनीता विलियम्स द्वारा बनाए गए विश्व रिकॉर्ड
सुनीता विलियम्स ने अपनी प्रतिभा, साहस और मेहनत से यह साबित कर दिखाया है कि बेटियाँ, बेटो से कम नहीं है। उन्होनें अपने हुनर व प्रतिभा से कई विश्व रिकॉर्ड भी बनाए हैं। सुनीता विलियम्स द्वारा बनाए गए विश्व रिकॉर्ड –
- सुनीता विलियम्स ने अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान 321 दिन 17 घन्टे और 15 मिनट अंतरिक्ष में बिताया। इस लंबे प्रवास के द्वारा उन्होनें विश्व रिकॉर्ड बनाया। एक उड़ान में इतना लंबा प्रवास करने वाली सुनीता दुनिया की पहली महिला हैं।
- भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा स्पेसवॉक करने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं। उनके द्वारा किए गए 7 स्पेसवॉक की कुल अवधि 50 घंटा 40 मिनट की थी।
- अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कमांटर बनने वाली सुनीता विलियम्स विश्व की दूसरी महिला हैं।
- सुनीता विलियम्स ने अब तक कुल 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 2770 उड़ानें भरी हैं।
- 6 अप्रैल 2007 को उन्होंने अंतरिक्ष में ‘बोस्टन मैराथन’ में भाग लिया जिसे उन्होनें मात्र 4 घंटे 24 मिनट में पूरा किया। अतः वह अंतरिक्ष में मैराथन में दौड़ने वाली पहली व्यक्ति बनी।
सुनीता विलियम्स को मिले हुए पुरस्कार और सम्मान
सुनीता विलियम्स को उनकी उपलब्धियों व विश्व रिकॉर्ड के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिलें हैं। सुनीता विलियम्स को मिले हुए अवॉर्ड –
- नेवी कमेंडेशन मेडल अवॉर्ड।
- नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल
- ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल
- मैडल फॉर मेरिट इन स्पेस एक्स्पलोरेशन
- सन 2008 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया
- सन 2013 में गुजरात विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की
- सन 2013 में स्लोवेनिया द्वारा सुनीता को ‘गोल्डन आर्डर फॉर मेरिट्स’ प्रदान किया गया।
इस छोटी-सी कहानी में सुनीता विलियम्स का जीवन परिचय (Sunita Williams ka jiwan parichay) के बारे में मैंने आपको बताया है। आपको सुनीता विलियम्स की जीवनी कैसी लगी, कमेंट करके बताये। इसमें किसी प्रकार के संसोधन के लिए कमेंट बॉक्स में अपनी विचार दे। सुनीता विलियम्स का जीवन बेहद सरल व कर्तव्यनिष्ट रहा है।
FAQ
Q : सुनीता विलियम्स का जन्म कब हुआ था?
Ans : 19 सितम्बर 1965
Q : सुनीता विलियम्स का जन्म कहाँ हुआ?
Ans : यूक्लिड, ओहियो, संयुक्त राज्य अमेरिका
Q : सुनीता के पिता का नाम क्या है?
Ans : डॉ. दीपक एन. पांड्या
Q : सुनीता विलियम्स की माता का नाम क्या था?
Ans : बानी जालोकर पांड्या
Q : सुनीता विलियम्स की दोस्त का क्या नाम था?
Ans : कल्पना चावला
Q : सुनीता विलियम्स से क्या प्रेरणा मिलती है?
Ans : सुनीता के जीवन से हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने सिद्ध किया है कि बेटियाँ भी बेटो से कम नहीं होती है। सुनीता विलियम्स का जीवन समस्त विश्व की महिलाओ के लिए एक प्रेरणा है। वह कहती है कि स्वस्थ रहना बेहद जरुरी है। यह हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
Q : सुनीता विलियम्स ने प्रथम अंतरिक्ष यात्रा कब की थी?
Ans : 9 दिसम्बर 2006
Q : सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में कितने दिन तक रही थी?
Ans : 321 दिन 17 घंटे 15 मिनट
Q : सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में अपने साथ क्या लेकर गयी थी?
Ans : भगवत गीता
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मेरा नाम गोविन्द प्रजापत है। मैं talentkiduniya.com का फाउंडर हूँ। मुझे स्कूल के समय से ही हिंदी में लेख लिखने और अपने अनुभव को लोगो से शेयर करने में रूचि रही है। मैं इस ब्लॉग के माध्यम से अपनी नॉलेज को हिंदी में लोगो के साथ शेयर करता हूँ।
Well done the writer and proud of Sunita Williams and I love india 🙏🙏❤️