हाइड्रोजन किसे कहते है या हाइड्रोजन क्या है ? आवर्त सारणी में Hydrogen की स्थिति क्या है ? Hydrogen आवर्त सारणी में अपनी स्थिति को लेकर एक विचित्र तत्व है। क्या आप जानते है hydrogen को अपनी विशेषता के कारण इसे शैतान तत्व भी कहा जाता है। यहाँ इस लेख में आपको Hydrogen की खोज व उससे सम्बंधित भौतिक व रासायनिक गुणधर्म बताये जा रहे है।
हाइड्रोजन की खोज
सन्न 1766 में हेनरी केवेण्डिस ने हाइड्रोजन की खोज की थी। उन्होंने लोहा की तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करके इसे प्राप्त किया था। और इसका नाम ज्वलनशील वायु रखा गया। सन्न 1883 में लैवाशिए ने इसका नाम Hydrogen रखा, क्योकि यह ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके जल बनाती है।
ग्रीक भाषा में हाइड्रा ( hydra ) मतलब जल और जन (gene ) का मतलब “उत्पन्न करने वाली” होता है, अर्थात जल उत्पन्न करने वाली गैस। hydrogen एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी का सबसे पहला तत्व है जो सबसे हल्का भी है। ब्रह्मांड में (पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। तारों तथा सूर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन से बना है। इसके एक परमाणु में एक प्रोट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन होता है। इस प्रकार यह सबसे सरल परमाणु भी है।
प्रकृति में यह द्विआण्विक गैस के रूप में पाया जाता है जो वायुमण्डल के बाह्य परत का मुख्य संघटक है। वर्तमान में वाहनों के ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए hydrogen शोध किया जा रहा हैं। यह एक गैसीय पदार्थ है जिसमें कोई गंध, स्वाद और रंग नहीं होता है। यह सबसे हल्का तत्व है।
इसका घनत्व 0.09 gm/L होता है। इसकी परमाणु संख्या 1, संकेत (H) और परमाणु भार 1.008 है। यह आवर्त सारणी में प्रथम स्थान पर है। दो hydrogen परमाणु मिलकर एक hydrogen अणु (H2) बनाते है। हाइड्रोजन बहुत निम्न ताप पर द्रव और ठोस होता है। द्रव हाइड्रोजन – 253° से. पर उबलता है और ठोस Hydrogen – 258 सें. पर पिघलता है।
Hydrogen की उपस्थिति
असंयुक्त Hydrogen बड़ी अल्प मात्रा में वायु में पाया जाता है। ऊपरी वायु में इसकी मात्रा अपेक्षाकृत अधिक रहती है। सूर्य के परिमंडल में इसकी प्रचुरता है। पृथ्वी पर संयुक्त स्थिति में यह जल, पेड़-पौधे, जांतव ऊतक, लकड़ी, अनाज, तेल, वसा, पेट्रालियम, प्रत्येक जैविक पदार्थ में पाया जाती है। अम्लों का यह आवश्यक घटक है। क्षारों और कार्बनिक यौगिकों में भी यह पाया जाता है।
हाइड्रोजन क्या है ?
Hydrogen आवर्त सारणी का प्रथम तत्व है । यह अन्य सभी तत्वों से हल्का होता है। Hydrogen का संकेत (symbol) H और परमाणु संख्या 1 होता है। इसका परमाणु द्रव्यमान 1.008 gm/mol होता है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1st होता है। इसे आवर्त सारणी के वर्ग 1 में रखा गया है। यह ‘s’ – ब्लॉक का सदस्य है।
कुछ मामले में Hydrogen की समानता हैलोजन के साथ होने के कारण इसे इन तत्वों के साथ वर्ग 17 में भी रख दिया गया है। प्रथम तत्व होने के कारण हाइड्रोजन का आवर्त सारणी में स्थान कुछ विचित्र सा है। पृथ्वी पर पाये जाने वाले तत्वों में हाइड्रोजन का 9वाँ स्थान है। सूर्य और तारों का आधा भाग हाइड्रोजन का बना है।
Hydrogen को भविष्य का ईंधन कहा जाता है। इसके नाभिक में केवल एक प्रोटॉन (Proton ) होता है। यह आवर्त सारणी का एकमात्र ऐसा तत्व है, जिसके नाभिक में न्यूट्रॉन नहीं पाया जाता है। इसकी खोज 1766 ई. में हेनरी कैवेंडिस ने की थी। हाइड्रोजन सभी अम्लों का अनिवार्य भाग है।
आवर्त सारणी में हाइड्रोजन की स्थिति
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Hydrogen की क्षार धातु के साथ समानता :
(1) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : Hydrogen तथा क्षार धातु दोनों के संयोजी कोश अर्थात बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन होता है।
(2) विद्युत धनात्मक प्रकृति : क्षार धातुओं की भाँती हाइड्रोजन भी एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर एक संयोजी धनायन का निर्माण करती है।
H → H+ + e–
Na → Na+ + e–
(3) ऑक्सीकरण अवस्था : क्षार धातु सभी यौगिको में +1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है तथा Hydrogen का भी अधिकांश यौगिकों में +1 ऑक्सीकरण अंक होता है।
(4) संयोजकता : क्षार धातुओं की भाँती हाइड्रोजन की संयोजकता भी 1 होती है।
(5) अधातुओं के साथ अभिक्रिया : क्षार धातु तथा हाइड्रोजन दोनों ही अधातु या विद्युत ऋणी तत्वों के साथ आसानी से अभिक्रिया कर लेते है।
2Na + Cl2 → 2NaCl
H2 + Cl2 → 2HCl
(6) अपचायक प्रकृति : क्षार धातुओं के समान Hydrogen भी अपचायक प्रकृति प्रदर्शित करती है अर्थात ये दोनों यौगिको से ऑक्सीजन हटाते है।
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हाइड्रोजन की क्षार धातु से भिन्नता :
- Hydrogen अधातु है जबकि क्षार धातु प्रारूपित धातु है।
- Hydrogen द्विपरमाणुक है , क्षार धातु एक परमाणुक है।
- Hydrogen के यौगिक सामान्यत: सहसंयोजक होते है जबकि क्षार धातुओं के यौगिक सामान्यत: आयनिक होते है।
- Hydrogen की आयनन एन्थैल्पी क्षार धातुओं से अधिक होती है अत: इसका विद्युत धनी लक्षण या अभिक्रियाशीलता क्षार धातुओं की तुलना में बहुत कम होती है।
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Hydrogen की हैलोजन के साथ समानता :
(1) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : Hydrogen तथा हैलोजन दोनों के बाह्यतम कोश में उत्कृष्ट गैस विन्यास से एक इलेक्ट्रॉन कम होता है।
H + e– → H– (He के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास)
F + e– → F– (Ne के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास)
(2) विद्युत ऋणात्मक प्रकृति : हाइड्रोजन व हैलोजन दोनों ही एक एक इलेक्ट्रान ग्रहण कर एक संयोजी ऋणायन बनाते है।
H + e– → H–
F + e– → F–
(3) ऑक्सीकरण अंक : हैलोजन का यौगिकों में ऑक्सीकरण अंक -1 होता है तथा हाइड्राइडो में हाइड्रोजन का ऑक्सीकरण अंक -2 होता है।
(4) संयोजकता : हैलोजन के समान हाइड्रोजन की संयोजकता भी 1 होती है।
(5) धातु व अधातु से क्रिया : हैलोजन के समान हाइड्रोजन भी विभिन्न धातु व अधातु से अभिक्रिया कर रस-समीकरणमिती यौगिक बनाता है।
(6) अधात्विक लक्षण : हैलोजन के समान हाइड्रोजन भी एक अधातु है।
(7) परमाणुकता : हैलोजन के समान Hydrogen भी द्विपरमाणुक अणु है।
(8) आयनन एन्थैल्पी : Hydrogen की आयनन एन्थैल्पी भी हैलोजन के समान उच्च होती है।
(9) एनोड पर मुक्त होना : जब Hydrogen व हैलोजन के क्षार धातुओं से बने लवण का विद्युत अपघटन कराया जाता है तो दोनों ही एनोड पर मुक्त होती है।
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Hydrogen की हैलोजन के साथ असमानता
- हैलोजन आसानी से हैलाइड आयन बनाता है जबकि हाइड्रोजन केवल क्षार धातुओं व क्षार मृदा धातुओं के साथ बने यौगिकों में ही हाइड्राइड बनाता है।
- हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था केवल +1 व -1 होती है जबकि हैलोजन की ऑक्सीकरण अवस्था (F के अतिरिक्त) -1 से +7 तक होती है।
- आण्विक अवस्था में हाइड्रोजन पर कोई एकाकी इलेक्ट्रान युग्म नहीं होता है जबकि हैलोजन में तीन एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते है।
- हैलोजन के ऑक्साइड सामान्यतया अम्लीय होते है जबकि Hydrogen के ऑक्साइड उदासीन होते है।
- Hydrogen के बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन होता है जबकि हैलोजन के बाह्यतम कोश में 7 इलेक्ट्रॉन होते है।
हाइड्रोजन के समस्थानिक
- हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते है – प्रोटियम , ड्यूटीरियम , ट्राइटियम।
- इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में समानता के कारण इनकी रासायनिक अभिक्रिया समान होती है लेकिन द्रव्यमानों में अंतर के कारण इनके भौतिक गुण व अभिक्रिया की दर अलग अलग होती है।
- ड्यूटीरियम भारी H2 के रूप में जाना जाता है तथा ट्राइटियम रेडियो सक्रीय होते है।
Hydrogen का आवर्त सारणी में विशिष्ट स्थान
आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान विवादस्पद है क्योंकि हाइड्रोजन की क्षार धातु व हैलोजन से समानता व विभिन्नता के आधार पर आवर्त सारणी में इसे एक निश्चित स्थान देना बहुत कठिन है अत: इसे आवर्त सारणी में अलग से रखा गया है। इसी वजह से इसे शैतान तत्व भी कहते है।
हाइड्रोजन का निर्माण कैसे करते है ?
इसे प्रयोगशाला में जिंक पर तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया से प्राप्त किया जाता है। युद्ध के कामों के लिए यह कई सरल विधियों से प्राप्त किया जा है। ‘सिलिकोल विधि’ में सिलिकन या फेरो सिलिकन पर सोडियम हाइड्राक्साइड की क्रिया से, ‘हाइड्रोलिथ’ (जलीय अश्म) विधि में कैलसियम हाइड्राइड पर जल की क्रिया से, ‘हाइड्रिक विधि’ में एलुमिनियम पर सोडियम हाइड्राक्साइड की क्रिया से प्राप्त होता है। गर्म स्पंजी लोहे पर भाप की क्रिया से एक समय में बड़ी मात्रा में Hydrogen तैयार होता था।
आज Hydrogen प्राप्त करने की सबसे सस्ती विधि ‘जल गैस’ है। जल गैस में हाइड्रोजन और कार्बन मोनोक्साइड विशेष रूप से रहते हैं। जल गैस को ठंडा कर द्रव में बदलते हैं। फिर द्रव का प्रभाजक आसवन करते हैं। इससे कार्बन मोनोऑक्साइड (क्वथनांक 191° C) और नाइट्रोजन (क्वथनांक 195 C) पहले निकल जाते हैं और हाइड्रोजन (क्वथनांक 250° C) शेष रह जाता है।
जल के वैद्युत अघटन से भी पर्याप्त शुद्ध हाइड्रोजन प्राप्त हो सकता है। एक किलोवाट घंटा से लगभग 7 घन फुट हाइड्रोजन प्राप्त हो सकता है। कुछ विद्युत् अपघटनी निर्माण में जैसे नमक से दाहक सोडा के निर्माण में, उपोत्पाद के रूप में बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन प्राप्त होता है।
हाइड्रोजन के गुण
हाइड्रोजन वायु या ऑक्सीजन के साथ जलता है। जलने का ताप ऊँचा होता है। ज्वाला रंगहीन होती है। यह जलकर जल (H2O) और अत्यल्प मात्रा में हाइड्रोजन परॉक्साइड (H2O2) बनाता है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण में आग लगाने या विद्युत् स्फुलिंग से बड़े कड़ाके के साथ विस्फोट होता है और जल की बूँदें बनती हैं।
हाइड्रोजन अच्छा अपचायक है। लोहे के मोर्चों को लोहे में और ताँबे के आक्साइड को ताँबे में परिवर्तित कर देता है। यह अन्य तत्वों के साथ संयुक्त यौगिक बनाता है। यह क्लोरीन के साथ क्लोराइड, (HCl), नाइट्रोजन के साथ अमोनिया (NH3) गंधक के साथ हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), फास्फोरस के साथ फास्फोन (PH3) बनता है। ये सभी द्विअंगी यौगिक हैं। इन्हें हाइड्राइड या उदजारेय कहते है।
हाइड्रोजन एक विचित्र गुणवाला तत्व है। यह एक अधातु है लेकिन अनेक यौगिकों से धातुओं जैसा व्यवहार करता है। इसके परमाणु में केवल एक प्रोटॉन और एक इलेक्ट्रॉन होते हैं। सामान्य हाइड्रोजन में 0.002 प्रतिशत एक दूसरा हाइड्रोजन होता है जिसको भारी हाइड्रोजन के नाम से जाना जाता है। यह सामान्य हाइड्रोजन परमाणु से दुगुना भारी होता है। इसे ‘ड्यूटीरियम’ (D) कहते हैं
ड्यूटीरियम तब बनता है जब हाइड्रोजन को एक से अधिक न्यूट्रॉन मिलते है और यह ड्यूटीरियम हाइड्रोजन का एक समस्थानिक है। ऑक्सीजन के साथ मिलकर यह भारी जल (D2O) बनाता है। हाइड्रोजन के एक अन्य समस्थानिक का भी पता लगा है। इसे ट्राइटियम (Tritium) कहते हैं और इसकी उत्पत्ति तब होती है जब ड्यूटीरियम को एक से अधिक न्यूट्रॉन मिलते है। सामान्य हाइड्रोजन से यह तिगुना भारी होता है।
परमाणुवीय Hydrogen
हाइड्रोजन के अणु को जब अत्यधिक ऊष्मा में रखते हैं तब वे परमाणुवीय हाइड्रोजन में वियोजित हो जाते हैं। ऐसे हाइड्रोजन का जीवनकाल दबाव पर निर्भर करता और बड़ा अल्प होता है। ऐसा पारमाण्वीय हाइड्रोजन रसायनत: बड़ा सक्रिय होता है और सामान्य ताप पर भी अनेक तत्वों के साथ संयुक्त यौगिक बनाता है।
हाइड्रोजन का उपयोग
- Hydrogen के अनेक उपयोग हैं। हेबर विधि में नाइट्रोजन के साथ अभिक्रिया करके यह अमोनिया बनता है जो उर्वरक के रूप में काम में आता है।
- तेल के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन वनस्पति तेल (ठोस या अर्धठोस वसा) बनाता है। खाद्य के रूप में प्रयुक्त होने के लिए वनस्पति तेल बहुत बड़ी मात्रा (mass scale) में बनती है।
- अपचायक के रूप में यह अनेक धातुओं के निर्माण में काम आता है। इसकी सहायता से कोयले से संश्लिष्ट पेट्रोलियम भी बनाया जाता है। अनेक ईधंनों में हाइड्रोजन जलकर ऊष्मा उत्पन्न करता है।
- ऑक्सीहाइड्रोजन ज्वाला का ताप बहुत उच्च होता है। यह ज्वाला धातुओं के काटने, जोड़ने और पिघलाने में काम आती है।
- विद्युत् चाप (electric arc) में हाइड्रोजन के अणु के टूटने से परमाण्वीय हाइड्रोजन ज्वाला प्राप्त होती है जिसका ताप 3370° C तक हो सकता है।
- हल्का होने के कारण गुब्बारा और वायुपोतों में हाइड्रोजन प्रयुक्त होता है तथा इसका स्थान अब हीलियम ने ले लिया है।
Hydrogen का संश्लेषण
प्राकृतिक गैस को गर्म तथा कुछ अन्य प्रक्रियाओं द्वारा गुज़ारने पर Hydrogen और कार्बन मोनोऑक्साईड का मिश्रण मिलता है
CH4+H2O -> CO + 3H2
निष्कर्ष
आशा करता हूँ आपको यह लेखा अच्छा लगा होगा। इसे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है। यदि इस लेख में किसी प्रकार की कोई त्रुटि हो तो आप कमेंट बॉक्स में अपने विचार रखने के लिए स्वतन्त्र है। मैं उसमे सुधार करने का प्रयास करूँगा। यह लेख विज्ञानं के विधार्थीयों के लिए बहुत उपयोगी है।
FAQ
Q :. Hydrogen का परमाणु क्रमांक कितना है ?
Ans. Hydrogen का परमाणु क्रमांक 1 होता है।
Q :. Hydrogen का द्रव्यमान कितना है ?
Ans. Hydrogen का द्रव्यमान 1.008 gm/mol होता है।
Q :. Hydrogen की खोज किसने और कब की थी ?
Ans. सन्न 1766 में हेनरी केवेण्डिस ने हाइड्रोजन की खोज की थी। उन्होंने लोहा की तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करके इसे प्राप्त किया था। और इसका नाम ज्वलनशील वायु रखा गया। सन्न 1883 में लैवाशिए ने इसका नाम हाइड्रोजन रखा, क्योकि यह ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके जल बनाती है।
Q :. Hydrogen किसे कहते है ?
Ans. हाइड्रोजन आवर्त सारणी का प्रथम तत्व है । यह अन्य सभी तत्वों से हल्का होता है। Hydrogen का संकेत (symbol) H और परमाणु संख्या 1 होता है। इसका परमाणु द्रव्यमान 1.008 gm/mol होता है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1st होता है। इसे आवर्त सारणी के वर्ग 1 में रखा गया है। यह ‘s’ – ब्लॉक का सदस्य है।
हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन कहा जाता है। इसके नाभिक में केवल एक प्रोटॉन (Proton ) होता है। यह आवर्त सारणी का एकमात्र ऐसा तत्व है, जिसके नाभिक में न्यूट्रॉन नहीं पाया जाता है। हाइड्रोजन सभी अम्लों का अनिवार्य भाग है।
Q :. हाइड्रोजन के समस्थानिक कितने है ?
Ans. हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते है – प्रोटियम , ड्यूटीरियम , ट्राइटियम। इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में समानता के कारण इनकी रासायनिक अभिक्रिया समान होती है लेकिन द्रव्यमानों में अंतर के कारण इनके भौतिक गुण व अभिक्रिया की दर अलग अलग होती है। ड्यूटीरियम भारी H2 के रूप में जाना जाता है तथा ट्राइटियम रेडियो सक्रीय होते है।
Q :. Hydrogen का गलनांक कितना है ?
Ans. Hydrogen का गलनांक- 13.99 K, -259.16 °C, -434.49 °F
Q :. Hydrogen का क्वथनांक कितना है ?
Ans. Hydrogen का क्वथनांक – 20.271 K, -252.879 °C, -423.182 °F
Q :. Hydrogen क्या है ?
Ans. Hydrogen एक रंगहीन, स्वाद-रहित, व रंग-हीन गैस है। यह सबसे हल्का तत्व है।
Q :. Hydrogen के नाभिक में क्या होता है ?
Ans. Hydrogen के नाभिक में प्रोटोन व इलेक्ट्रान होते है। यह एकमात्र ऐसा तत्व है जिसके नाभिक में न्यूट्रॉन नहीं होते है।
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