Acetone : एसीटोन बनाने बनाने की प्रयोगशाला विधि और उपयोग, सूत्र, अणुभार, संरचना, गुण : इस लेख में आपको एसीटोन का उत्पादन, एसीटोन की संरचना, सूत्र, अणुभार, क्वथनांक, गलनांक, भौतिक व रासायनिक गुण और एसीटोन का उपयोग के बारे में जानकारी दी जा रही है।
एसीटोन की खोज
सबसे पहले एसीटोन का उत्पादन सन्न 1606 में एंड्रियास लिबावियस ( Andreas Libavius ) ने लेड (II) एसीटेट के आसवन द्वारा किया था। सन्न 1832 में फ्रांसीसी रसायनज्ञ जीन-बैप्टिस्ट डुमास और जर्मन रसायनज्ञ जस्टस वॉन लिबिग ( French chemist Jean-Baptiste Dumas and German chemist Justus von Liebig ) ने Acetone के लिए एक आनुभविक सूत्र ( empirical formula ) बनाया।
सन्न 1833 में फ्रांसीसी रसायनज्ञ एंटोनी बस्सी (French chemist Antoine Bussy) ने संबंधित एसिड ( एसिटिक एसिड) में इक (ic) की जगह ऑन (one) प्रत्यय लगाकर एसीटोन का नाम दिया। फिर सन्न 1852 में अंग्रेजी रसायनज्ञ अलेक्जेंडर विलियम विलियमसन (English chemist Alexander William Williamson) ने बताया कि Acetone मिथाइल एसिटाइल होता है और सन्न 1853 में फ्रांसीसी रसायनज्ञ चार्ल्स फ्रेडेरिक गेरहार्ड्ट (French chemist Charles Frederic Gerhardt) ने अलेक्जेंडर विलियमसन की बात पर सहमति व्यक्त की।
सन्न 1865 में जर्मन रसायनज्ञ अगस्त केकुले ( German chemist August Kekule ) ने एसीटोन के लिए आधुनिक संरचनात्मक सूत्र दिया। फिर सन्न 1861 में जोहान जोसेफ लोस्चमिड्ट (Johann Josef Loschmid) ने एसीटोन की संरचना दी। लेकिन उनकी निजी तौर पर प्रकाशित पुस्तिका की तरफ बहुत कम ध्यान दिया गया। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान चैम वीज़मैन ने एसीटोन के औद्योगिक उत्पादन के लिए प्रक्रिया विकसित की।
ऐसीटोन क्या होता है ? what is Meaning of acetone in hindi
ऐसीटोन एक रंगहीन, विशिष्ट गंध,ज्वलनशील द्रव व अत्यधिक वाष्पशील वाला कार्बनिक विलायक होता है। इसे 2-प्रोपेनोन या डाइमिथाइल कीटोन भी कहा जाता है। इसका रासायनिक अणुसूत्र (CH3)2CO होता है। यह सबसे सरल और सबसे छोटा कीटोन है। यह जल, ईथर और अल्कोहल में अत्यधिक घुलनशील होता है। इसका मुख्य उपयोग विलायक के रूप में होता है।
नेल पॉलिश रिमूवर में सक्रिय घटक के रूप में और पेंट थिनर के रूप में एसीटोन का उपयोग किया जाता है। फिल्मों, आसंजकों, शक्तिशाली विस्फोटकों, काँच के समान प्लास्टिक और ओषधियों के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जाता है। शुद्ध ऐसीटोन का उपयोग इलेक्ट्रानिकी उद्योग में विभिन्न पुर्जो को सुखाने और साफ करने के लिए होता है।
एसीटोन की संरचना, सूत्र व अणुभार
एसीटोन कार्बनिक यौगिक होता हैं। यह कीटोन वर्गीकरण के अंतर्गत आता है। इसमें एक कार्बोनिल समूह होता है जो दो हाइड्रोकार्बन समूहों से एकल बंध द्वारा जुड़ा होता हैं। कार्बोनिल समूह में कार्बन और ऑक्सीजन एक दूसरे से द्विबंध द्वारा जुड़े होते है। इसे सबसे सरल कीटोन के रूप में जाना जाता है। एसीटोन की संरचना त्रिकोणीय समतल होती है। एसीटोन का रासायनिक सूत्र (CH3)2CO होता है। एसीटोन का अणुभार 58.080 ग्राम/मोल होता है।
ऐसीटोन के भौतिक गुण- Acetone Physical properties in Hindi
- यह रंगहीन, अत्यधिक वाष्पशील, विशिष्ट गंध वाला कार्बनिक विलायक होता है।
- ऐसीटोन का रासायनिक सूत्र (CH3)2CO होता है।
- ऐसीटोन का अणुभार 58.080 ग्राम/मोल होता है।
- ऐसीटोन का क्वथनांक (Boiling point) 56.05 °C होता है।
- ऐसीटोन का गलनांक (Melting point) − 94.7 °C होता है।
- इसका घनत्व (Density) 0.7845 g/cm3 (25 °C) होता है
- यह जल, बेंजीन, diethyl ether, मेथेनॉल, क्लोरोफॉर्म, इथेनॉल, अल्कोहल में घुलनशील होता है।
- ऐसीटोन का IUPAC नाम Propan-2-one है।
- ऐसीटोन को अन्य नाम Acetonum, Dimethyl ketone, Dimethyl carbonyl, Ketone propane, β-Ketopropane, 2-Propanone, Pyroacetic spirit, Propanone से भी जाना जाता है।
ऐसीटोन के रासायनिक गुण– Acetone Chemical properties in Hindi
1. कीटोन निकायों के डीकार्बाक्सिलेशन (decarboxylation of ketone bodies) द्वारा शरीर में एसीटोन की थोड़ी मात्रा का उत्पादन किया जाता है। लंबे समय तक उपवास और उच्च वसा वाले कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार सहित कुछ आहार पैटर्न केटोसिस उत्पन्न कर सकते हैं। इससे शरीर के ऊतकों में एसीटोन बनता है।
शराब और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य स्थितियाँ कीटोएसिडोसिस व अनियंत्रित कीटोसिस उत्पन्न कर सकती हैं जो रक्त की अम्लता में संभावित रूप से वृद्धि कर सकती है। एसीटोन का उत्पादन अंतर्ग्रहण आइसोप्रोपेनॉल के ऑक्सीकरण से या केटोटिक व्यक्तियों में एसीटोएसेटेट के स्वतःस्फूर्त/एंजाइमी टूटने से किया जा सकता है।
2. एसीटोन की एल्डोल संघनन अभिक्रिया
Acetone के दो अणु उत्प्रेरक की उपस्थिति में संयोजित होकर डाई-एसीटोन अल्कोहल (CH3)C=O(CH2)C(OH)(CH3)2 बनाते है। इसका निर्जलीकरण करने पर यह मेसिटाइल ऑक्साइड (mesityl oxide) (CH3)C=O(CH)=C(CH3)2 देता है। आगे यह उत्पाद जल का एक अणु खोकर एक ओर एसीटोन अणु के साथ संयोजन कर सकता है और फ़ोरोन ( phorone ) और अन्य यौगिकों का उत्पादन कर सकता है।
3. बहुलकीकरण (Polymerisation)
Acetone से दो प्रकार के पॉलिमर और ओलिगोमर्स (चक्रीय) बनाये जा सकते है। पहले प्रकार में इकाई अणु ईथर पुलों -O- से जुड़ा हुआ एसीटोन अणु हो सकता हैं, जो कि एक पॉलीकेटल जैसी (PKA) श्रृंखला [–O–C(CH3)2–]n देने के लिए खुले दोहरे बंध से व्युत्पन्न होता है। जबकि दूसरे प्रकार में बार-बार एल्डोल संघनन किया जाता है। इसमें प्रत्येक चरण में जल के एक अणु को निकालकर एक पॉली (मिथाइलएसिटिलीन) (PMA) श्रृंखला [-CH=C(CH3)–]n प्राप्त की जा सकती है।
- PKA प्रकार :- एसीटोन का पॉलीकेटल (PKA) में रूपांतरण फॉर्मोल से पैराफॉर्मलडिहाइड और थायोएसीटोन से ट्राइथियोएसीटोन के निर्माण के अनुरूप होगा।
- PMA प्रकार :- एसीटोन के PMA प्रकार के पॉलिमर एक कीटो एंड ग्रुप को छोड़कर प्रोपाइन के पोलीमराइजेशन के उत्पाद के बराबर होंगे।
4. एसीटोन एक कमजोर लुईस क्षार है जो कि दुर्बल अम्ल आयोडीन (I2) और प्रबल अम्ल फिनोल के साथ जोड़ बनाता है। एसीटोन द्विसंयोजी धातुओं के साथ भी संकुल बनाता है।
5. कीटो/एनोल टॉटोमेरिज्म (Keto/enol tautomerism)
अधिकांश कीटोन्स की तरह एसीटोन कीटो-एनोल टॉटोमेरिज़्म को प्रदर्शित करता है। जिसमें एसीटोन की नाममात्र कीटो संरचना (CH3)2C=O स्वयं एनोल आइसोमर (CH3)C(OH)=(CH2) (prop-1-en-2-ol) के साथ संतुलन में होती है। वातावरण के तापमान पर एसीटोन वाष्प में केवल 2.4×10−7% अणु एनोल रूप में होते हैं। फिर भी कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं में एनोल रूप रासायनिक रूप से महत्वपूर्ण होता है।
एसीटोन बनाने बनाने की विधि – Acetone Manufacturing Process in Hindi
पहले एसीटोन का उत्पादन एसीटेट के शुष्क आसवन द्वारा किया जाता था। जैसे केटोनिक डीकार्बाक्सिलेशन ( ketonic decarboxylation) में कैल्शियम एसीटेट।
Ca(CH3COO)2 → CaO(s) + CO2(g) + (CH3)2CO
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान एसीटोन का उत्पादन क्लोस्ट्रीडियम एसिटोब्यूटाइलिकम बैक्टीरिया के साथ एसीटोन-ब्यूटेनॉल-इथेनॉल किण्वन का उपयोग करके किया गया था। इसे ब्रिटिश युद्ध के प्रयासों में सहायता करने के लिए चैम वीज़मैन द्वारा विकसित किया गया था। जब एसीटोन उत्पादन के नए तरीके खोजे गए, तब एसीटोन-ब्यूटेनॉल-इथेनॉल किण्वन से एसीटोन का उत्पादन करना बंद कर दिया गया।
वर्तमान में एसीटोन का उत्पादन प्रोपलीन से प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। लगभग 83% एसीटोन का उत्पादन क्यूमीन प्रक्रिया ( cumene process) के माध्यम से होता है। परिणामस्वरूप एसीटोन का उत्पादन फिनोल उत्पादन से जुड़ा होता है। क्यूमीन प्रक्रिया में बेंजीन को प्रोपलीन के साथ क्यूमीन बनाने के लिए अल्किलेटेड (alkylated) किया जाता है। फिर फिनोल और एसीटोन का उत्पादन करने के लिए वायु की उपस्थिति में ऑक्सीकरण किया जाता है।
अन्य प्रक्रियाओं में प्रोपलीन का प्रत्यक्ष ऑक्सीकरण (Wacker-Hoechst process) या 2-प्रोपेनॉल बनाने के लिए प्रोपलीन का जलयोजन किया जाता है। फिर यह एसीटोन में ऑक्सीकृत (निर्जलीकृत) होता है।
प्रयोगशाला विधि से ऐसीटोन का उत्पादन
प्रयोगशाला विधि से ऐसीटोन का उत्पादन करने के लिए निर्जल कैल्सियम ऐसीटेट को शुष्क आसवन प्रक्रिया से गुजारा जाता है। इसे प्रयोगशाला में बनाने के लिए धातु या काँच के रिटॉर्ट में निर्जल कैल्सियम ऐसीटेट है। इसके बाद चित्रानुसार उपकरण को सेट किया जाता है। अब रिटॉर्ट को गर्म किया जाता है। गर्म करने से ऐसीटोन की वाष्प बनती है। इस वाष्प को संघनित्र में प्रवाहित करके ग्राही पत्र में एकत्र किया जाता है। इसमें यह वाष्प द्रव एसीटोन के रूप में प्राप्त होती है।
चूँकि यह ऐसीटोन अशुद्ध होती है। इसे संतृप्त NaHSO3 विलयन के साथ मिलाकर व हिलाकर 4-5 घण्टे के लिए रख दिया जाता है। जिससे ऐसीटोन सोडियम बाइसल्फाइट के क्रिस्टल का निर्माण होता है। अब इन क्रिस्टलों को अलग करने के लिए इसमें Na2CO3 मिलाया जाता है। फिर इस मिश्रण का आसवन करके शुद्ध ऐसीटोन प्राप्त किया जाता है।
लेकिन इसमें जल की कुछ मात्रा होती है। शुद्ध व शुष्क ऐसीटोन प्राप्त करने के लिए ऐसीटोन को निर्जल CaCl2 से सुखाया जाता है। फिर इसे पुनः आसवित करने पर 56°C पर शुद्ध ऐसीटोन प्राप्त होता है जिसको संघनित्र द्वारा ग्राही में एकत्र कर लिया जाता है।
एसीटोन की रासायनिक अभिक्रियाएं – Chemical Reactions of Acetone
1. एसीटोन की सल्फ्यूरिक एसिड से अभिक्रिया :- एसीटोन का सान्द्र सल्फ्यूरिक एसिड के साथ आसवन करने पर मेसिटलीन का निर्माण होता है।
2. एसीटोन की अमोनिया से अभिक्रिया :- एसीटोन की अमोनिया के साथ अभिक्रिया कराने पर डाइऐसीटोन ऐमीन का निर्माण होता है।
3. एसीटोन की क्लोरोफॉर्म से अभिक्रिया :- एसीटोन की क्लोरोफॉर्म से अभिक्रिया कराने पर क्लोरीटोन का निर्माण होता है।
4. एसीटोन की आयोडीन से अभिक्रिया :- ऐसीटोन को आयोडीन और NaOH के जलीय विलयन के साथ गर्म करने पर आयोडोफॉर्म का पीला अवक्षेप प्राप्त होता है।
एसीटोन का उपयोग –Acetone uses in Hindi
- उद्योगों में एसीटोन का उपयोग विलायक के रूप में किया जाता है। एक चौथाई एसीटोन साइनोहाइड्रिन के रूप में काम आता है। यह मिथाइल मेथैक्रिलेट का अग्रदूत है।
- एसीटोन कई प्लास्टिक और कुछ सिंथेटिक फाइबर के लिए एक अच्छा विलायक है। इसका उपयोग पॉलिएस्टर राल ( polyester resin) को पतला करने के लिए किया जाता है। इसमें काम आने वाले उपकरणों की सफाई में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- एसीटोन का उपयोग एसिटिलीन के सुरक्षित परिवहन और भंडारण के लिए विलायक के रूप में बड़े पैमाने पर किया जाता है। झरझरा पदार्थ वाले वेसल्स को पहले एसीटोन से भरा जाता है और उसके बाद एसिटिलीन से भर दिया जाता है। फिर यह एसीटोन में घुल जाता है। एक लीटर एसीटोन 10 bars (1.0 MPa) के दबाव में लगभग 250 लीटर एसिटिलीन को घोल सकता है।
- Acetone सफाई एजेंट जैसे नेल पॉलिश और सुपरग्लू रिमूवर में काम आता है। हालांकि यह कुछ प्लास्टिक से क्रिया करता है। एसीटोन कांच और धातुओं से पेन के निशान को स्पष्ट रूप से हटाने में काम आता है।
- प्रयोगशाला में Acetone का उपयोग विभिन्न प्रकार की कार्बनिक अभिक्रियाओं जैसे SN2 अभिक्रियाओं में ध्रुवीय एप्रोटिक विलायक के रूप में किया जाता है। जोन्स ऑक्सीकरण (Jones oxidation) के लिए Acetone विलायक का उपयोग महत्वपूर्ण है। यह पानी के साथ एज़ियोट्रोप नहीं बनाता है।
- Acetone की कम लागत और अस्थिरता के कारण प्रयोगशाला में कांच के बने गिलास वेयर को धोने के लिए यह एक सामान्य विलायक है।
- एसीटोन का उपयोग प्रोटीन को अवक्षेपित करने के लिए किया जाता है। ट्राइक्लोरोएसेटिक एसिड या इथेनॉल प्रोटीन वर्षा के विकल्प हैं।
- एसीटोन पराबैंगनी प्रकाश के नीचे फ्लोरोसेंट के रूप में होता है और इसकी वाष्प का उपयोग द्रव प्रवाह प्रयोगों में फ्लोरोसेंट ट्रेसर के रूप में किया जा सकता है।
- प्रयोगशाला में कांच के बने गिलास वेयर और इक्विपमेंट से गंदगी व अवशेषों को साफ़ करने के लिए निम्न गुणवत्ता वाला Acetone काम में लिया जाता है।
- Acetone और सूखी बर्फ ( dry ice) का मिश्रण एक लोकप्रिय ठंडा स्नान है। जब तक कुछ सूखी बर्फ बची रहती है तब तक यह -78 °C के तापमान को बनाए रखता है।
- एसीटोन का उपयोग कुछ विशेष दागों की सूक्ष्मदर्शी स्लाइडों को हटाने के लिए भी किया जाता है।
- Acetone का उपयोग पैथोलॉजी लैब में ट्यूमर के मंचन के लिए वसायुक्त ऊतकों में लिम्फ नोड्स को खोजने के लिए किया जाता है। जैसे कि आंतों के आसपास की वसा में लिम्फ नोड्स की तलाश करना। यह वसा को घोलने में मदद करता है और नोड्स को सख्त बनता है, जिससे उन्हें ढूंढना ओर भी आसान हो जाता है।
- एसीटोन का उपयोग फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री द्वारा विलायक के रूप में और विकृतीकृत अल्कोहल (denatured alcohol) में एक डिनैचुरेंट ( denaturant ) के रूप में किया जाता है। Acetone कुछ फार्मास्यूटिकल दवाओं में एक सहायक के रूप में भी मौजूद होता है।
- त्वचा विशेषज्ञ शुष्क त्वचा को रासायनिक रूप से छीलने के लिए मुँहासे के उपचार के लिए अल्कोहल के साथ एसीटोन का उपयोग करते हैं। रासायनिक छीलने के लिए आज इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य एजेंट सैलिसिलिक एसिड, ग्लाइकोलिक एसिड, इथेनॉल में 30% सैलिसिलिक एसिड और ट्राइक्लोरोएसेटिक एसिड (TCA) होता हैं।
- एसीटोन का उपयोग ABS प्लास्टिक के साथ मुद्रित 3D-मुद्रित मॉडल पर मुद्रण कलाकृतियों के वाष्प पॉलिशिंग के लिए किया जाता है।
- एसीटोन वेपर बाथ स्मूथिंग नामक तकनीक में मुद्रित भाग को Acetone की थोड़ी मात्रा वाले सीलबंद कक्ष में रखकर और 10 मिनट के लिए लगभग 80 °C तक गर्म करना होता है। यह कंटेनर में Acetone का वाष्प बनाता है और एसीटोन पूरे भाग में समान रूप से संघनित जाती है, जिससे सतह नरम और द्रवीभूत हो जाती है।
- एसीटोन का उपयोग मिथाइल मेथैक्रिलेट को संश्लेषित करने के लिए किया जाता है। यह Acetone के एसीटोन साइनोहाइड्रिन में प्रारंभिक रूपांतरण के साथ शुरू होता है।
(CH3)2CO + HCN → (CH3)2C(OH)CN
बाद में नाइट्राइल को असंतृप्त एमाइड में हाइड्रोलाइज्ड किया जाता है, जिसे एस्ट्रिफ़ाइड (esterified) किया जाता है।
(CH3)2C(OH)CN + CH3OH → CH2=C(CH3)CO2CH3 + NH3
- एसीटोन का तीसरा प्रमुख उपयोग बिस्फेनॉल ए ( bisphenol A) को संश्लेषित करने में किया जाता है। बिस्फेनॉल ए पॉलीकार्बोनेट्स, पॉलीयूरेथेन्स और एपॉक्सी रेजिन जैसे कई पॉलिमर का एक घटक है।
(CH3)2CO + 2 C6H5OH → (CH3)2C(C6H4OH)2 + H2O
- सॉल्वैंट्स मिथाइल आइसोबुटिल अल्कोहल और मिथाइल आइसोबुटिल कीटोन के उत्पादन में कई लाख kg एसीटोन की खपत होती है। ये उत्पाद डाईएसीटोन अल्कोहल बनाने के लिए प्रारंभिक एल्डोल संघनन के माध्यम से उत्पन्न होते हैं।
2(CH3)2CO → (CH3)2C(OH)CH2C(O)CH3
एसिटिलीन के साथ संघनन 2-methylbut-3-yn-2-ol देता है, जो सिंथेटिक टेरपेन्स और टेरपेनोइड्स का अग्रदूत है।
एसीटोन से सुरक्षा- Safety
Acetone का सबसे खतरनाक गुण इसकी अत्यधिक ज्वलनशीलता है। यह कम मात्रा में एक मंद नीली लौ के साथ जलता है जबकि अधिक मात्रा में एक चमकदार पीली लौ के साथ जलता है। चूँकि एसीटोन में आकस्मिक विस्फोट का खतरा कम होता है। यदि लाल-चमकते कोयले पर एसीटोन छिड़का जाये तो वाष्प की उच्च सांद्रता और तरल के वाष्पीकरण के शीतलन प्रभाव के कारण यह प्रज्वलित नहीं होगा। यह 465°C पर स्वतः प्रज्वलित होता है।
Acetone का ऑक्सीकरण होने पर यह एक उपोत्पाद के रूप में एसीटोन पेरोक्साइड बनाता है। यह अत्यधिक अस्थिर होने के साथ में उच्च विस्फोटक भी होता है। अतः यह गलती से बन सकता है। जैसे जब अपशिष्ट हाइड्रोजन पेरोक्साइड को एसीटोन युक्त अपशिष्ट विलायक में डाला जाता है। इसकी अस्थिरता के कारण इसके सरल रासायनिक संश्लेषण के बावजूद इसका उपयोग बहुत कम किया जाता है।
Acetone ज्यादा विषैला नहीं होता है। यह केवल हल्का सा विषाक्तता प्रदर्शित करता है। यदि सावधानीपूर्वक Acetone के साथ में कार्य किया जाये, तो इसके कोई भी दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव नहीं होंगे। इसकी 5 से 8 mg/L तक की सांद्रता सुरक्षित होती है।
चूँकि एसीटोन त्वचा में हल्की जलन, आंखों में गंभीर जलन और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। एसीटोन कि अधिक मात्रा से थोड़ी देर के लिए केंद्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभाव हो सकता है। यह एक न्यूरोटॉक्सिकेंट नहीं है।
Acetone प्राकृतिक रूप से पर्यावरण में पौधों, पेड़ों, ज्वालामुखी गैसों, जंगल की आग और शरीर में वसा के टूटने पर उत्पाद के रूप में पाया जाता है। पर्यावरण में छोड़े गए अधिकांश Acetone औद्योगिक मूल के हैं। एसीटोन जल व मिट्टी से भी तेजी से वाष्पित हो जाता है। एक बार वातावरण में घुलने पर इसका 22 दिनों तक का आधा जीवन होता है और फोटोलिसिस के माध्यम से यूवी प्रकाश द्वारा अवक्रमित होता है। सूक्ष्मजीवों द्वारा खपत मिट्टी, जानवरों या जलमार्गों में एसीटोन के अपव्यय में योगदान करती है।
मछली के लिए एसीटोन का LD50 96 घंटों में 8.3 g/L पानी या लगभग 1% होता है और पानी में इसका पर्यावरणीय आधा जीवन लगभग 1 से 10 दिनों का होता है। माइक्रोबियल खपत के कारण Acetone जलीय प्रणालियों में ऑक्सीजन की कमी का एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा कर सकता है।
FAQ
Q : एसीटोन का सूत्र क्या है ?
Ans : (CH3)2CO
Q : एसीटोन का क्वथनांक क्या है ?
Ans : 56.05 °C
Q : एसीटोन का IUPAC नाम क्या है ?
Ans : Propan-2-one
Q : एसीटोन का गलनांक कितना होता है ?
Ans : − 94.7 °C
Q : एसीटोन का अणुभार क्या है ?
Ans : 58.080 ग्राम/मोल
Q : एसीटोन का क्या कार्य है?
Ans : यह मुख्य रूप से विलायक के रूप में काम आता है। इसका उपयोग नेल पॉलिश रिमूवर, क्लोरोफॉर्म आदि बनाने में किया जाता है। इसका मुख्य उपयोग होता है। तथा यह फिल्मों, शक्तिशाली विस्फोटकों, आसंजकों, काँच के समान प्लास्टिक और ओषधियों के निर्माण में काम आता है। इसके अलावा यह प्रयोगशाला में अनेक अभिक्रियाओ, चिकित्सा क्षेत्र आदि में विलायक के रूप में प्रयुक्त किया है।
Q : एसीटोन का निर्माण कैसे किया जाता है ?
Ans : एसीटोन का उत्पादन प्रोपलीन से प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। लगभग 83% एसीटोन का उत्पादन क्यूमीन प्रक्रिया ( cumene process) के माध्यम से होता है। परिणामस्वरूप एसीटोन का उत्पादन फिनोल उत्पादन से जुड़ा होता है। क्यूमीन प्रक्रिया में बेंजीन को प्रोपलीन के साथ क्यूमीन बनाने के लिए अल्किलेटेड (alkylated) किया जाता है। फिर फिनोल और एसीटोन का उत्पादन करने के लिए वायु की उपस्थिति में ऑक्सीकरण किया जाता है।
Q : एसीटोन से आयडोफार्म कैसे बनाते है ?
Ans : ऐसीटोन को आयोडीन और NaOH के जलीय विलयन के साथ गर्म करने पर आयोडोफॉर्म का पीला अवक्षेप प्राप्त होता है।
Q : जल व एसीटोन के मिश्रण में से कौन सा पदार्थ सबसे पहले पृथक होगा ?
Ans : एसीटोन सबसे पहले पृथक होगा, क्योंकि एसीटोन का क्वथनांक 56°C होता है। जबकि जल का क्वथनांक 100°C होता है। इसीलिए आसवन विधि में पहले एसीटोन अलग हो जाता है।
Q : एसीटोन को ठंडे स्थान पर क्यों रखा जाता है?
Ans : यह अत्यधिक वाष्पशील होता है और इसका क्वथनांक 56°C होता है। इसीलिए इसका भण्डारण ठंडे स्थान पर किया जाता है। ताकि यह वाष्पित न हो।
Q : एसीटोन से मेसिटलीन का निर्माण कैसे होता है ?
Ans : एसीटोन का सान्द्र सल्फ्यूरिक एसिड के साथ आसवन करने पर मेसिटलीन का निर्माण होता है।
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