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Happy New Year 1 जनवरी को ही क्यों मनाते है ?

Happy New Year 1 जनवरी को ही क्यों मनाते है

Hello Friends, आज हम  New Year के बारे में जानेंगे। Happy New Year 1 जनवरी को ही क्यों मनाते है ? नव वर्ष क्यों मनाते है ? Happy New Year कैसे मनाते है ? और भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व व भारतीय नववर्ष कैसे मनाते है ?हर साल 1 जनवरी को new Year लगभग पुरे विश्व में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। जबकि अलग अलग धर्मों में नव वर्ष अलग अलग तारीख को मनाया जाता है।

फिर पुरे विश्व में Happy New Year 1 जनवरी को ही क्यों मनाते है ? इसके पीछे भी एक कारण है, जिस वजह से 1 जनवरी को नव वर्ष मनाया जाता है। 31 दिसंबर साल का आखिरी दिन होता है और 1 जनवरी साल का पहला दिन होता है। 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत होती है।

जबकि फाइनेंशियल ईयर 1 अप्रैल से शुरू होता है। हिंदी कैलेंडर में दिवाली के बाद भी नया साल मनाने की प्रथा है। जबकि कुछ जगहों पर लोहड़ी के बाद नया साल माना जाता है। फिर 1 जनवरी को ही न्यू ईयर क्यों मनाया जाता है ? 31 दिसंबर साल का आखिरी दिन कैसे तय हुआ ?

इस लेख में हम जानेंगे नव वर्ष क्यों मनाया जाता है ? हिन्दू नव वर्ष क्यों मनाया जाता है ? 1 जनवरी को ही न्यू ईयर क्यों मनाया जाता है ? नए साल की शुरुआत कैसे हुई ? जबकि सभी जगह नव वर्ष अलग अलग दिन मनाया जाता है।

Happy New Year 1 जनवरी को ही क्यों मनाते है ?

आप लोग यह तो जानते है कि रोमन नंबर सिस्टम से लेकर रोमन कैलेंडर तक पूरे विश्व में रोमन नंबरों का ही दबदबा है। ऐसा कहा जाता है कि विश्व स्तर पर गिनती की शुरुआत वहीं से हुई थी।

आपको थोड़ी हैरानी होगी कि पहले Happy New Year 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता था। 1 जनवरी को न्यू ईयर मनाने की शुरुआत 15 अक्टूम्बर 1582 में हुई थी। लोग पहले नया साल कभी 25 मार्च को, तो कभी 25 दिसंबर मनाते थे।

फिर रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किया। उन्होंने जनवरी को साल का पहला महीना बनाया। जबकि इससे पहले मार्च को साल का पहला महीना माना जाता था। मार्च का नाम मार्स (mars) ग्रह के नाम पर रखा गया था।

जबकि मंगल ग्रह को रोम में युद्ध का देवता मानते थे। सबसे पहले जिस कैलेंडर को बनाया गया था, उसमें मात्र 10 महीने होते थे। इस कैलेंडर में एक साल में 310 दिन होते थे और 8 दिन का एक सप्ताह होता था।

इतिहास के अनुसार रोमन शासक जूलियस सीजर ने कैलेंडर में थोड़ा ओर बदलाव किया। जूलियस सीजर ने ही 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की थी। जूलियस द्वारा कैलेंडर में बदलाव करने के बाद साल में 12 महीने कर दिए गए।

इसके बाद जूलियस सीजर ने खगोलविदों से मुलाकात कर पता लगाया कि पृथ्वी 365 दिन और 6 घंटे में सूर्य की परिक्रमा करती है। इस आधार पर जूलियन कैलेंडर में एक साल में 365 दिन कर दिए गए।

साल 1582 में पोप ग्रेगरी ने जूलियन कैलेंडर में लीप ईयर की गलत खोज की थी। प्रसिद्ध धर्म गुरू सेंट बीड ने बताया कि एक साल में 365 दिन, 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं। इसके बाद रोमन कैलेंडर में बदलाव किया गया और नया कैलेंडर बनाया गया। तब से ही 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा।

आज जो न्यू ईयर हम 1 जनवरी को मनाते है, वह असल में ग्रिगोरियन कैलेंडर का नया साल है। इस कैलेंडर के अलावा भी दुनिया में बहुत सारे कैलेंडर चलते है। लेकिन पूरी दुनिया में ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार ही नया साल मनाया जाता है। सन्न 1582 में  इस कैलेंडर की शुरुआत हुई थी।

इस कैलेंडर से पहले रोम का जूलियन कैलेंडर प्रचलन में था। इस कैलेंडर के अनुसार क्रिसमस डे एक दिन नहीं आता था। क्रिसमस डे के दिन को निश्चित करने के लिए 15 अक्टूबर 1582 को अमेरिका के एलॉयसिस लिलिअस ने ग्रिगोरियन कैलेंडर शुरू किया था।

ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार जनवरी साल का पहला महीना है और दिसंबर साल का अंतिम महीना है। इस नए कैलेंडर में 25 दिसंबर को क्रिसमस का दिन निश्चित किया गया।

किसी भी कैलेंडर को सूर्य चक्र या चंद्र चक्र की गणना के आधार पर बनाया जाता है। चंद्र चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 354 दिन होते हैं। जबकि सूर्य चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 365 दिन होते हैं। ग्रिगोरियन कैलेंडर सूर्य चक्र पर आधारित है, जिसमें 365 दिन है।

नव वर्ष क्यों मनाते है ? – Happy New Year kyu manate hai ?

न्यू ईयर एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों व विधियों से मनाया जाता है। विभिन्न धर्मों के नव वर्ष समारोह अलग-अलग होते हैं। साथ ही इनके सांस्कृतिक महत्त्व भी अलग अलग होते है।

पश्चिमी नव वर्ष

नव वर्ष का उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नव वर्ष का उत्सव 21 मार्च को मनाया जाता था। यह तिथि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी यह तिथि नव वर्ष उत्सव के लिए चुनी गई थी।

रोम के शासक जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर को बनाया गया था, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नव वर्ष का उत्सव मनाया गया। अर्थात ईसा पूर्व 46 वें वर्ष को 445 दिनों का करना पड़ा था।

इस्लामिक नव वर्ष

इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है। इस्लामिक कैलेंडर एक पूर्णतया चन्द्र आधारित कैलेंडर है। जिसके कारण इसके 12 मासों का चक्र 33 वर्षों में सौर कैलेंडर को एक बार घूम देता है। इसके कारण नव वर्ष प्रचलित ग्रेगरी कैलेंडर में अलग अलग महीनों में पड़ता है।

हिन्दू नव वर्ष

हिन्दुओं का नया वर्ष चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन अर्थात वर्ष प्रतिपदा एवं गुड़ी पड़वा पर प्रत्येक वर्ष विक्रम सम्वत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होता है।

भारतीय नव वर्ष

भारत के विभिन्न भागों में नव वर्ष तीन प्रमुख तिथियों को मनाया जाता है और  पहली दो तिथियाँ मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है। जो इस प्रकार है –

1. पहली तिथि – मेष संक्रान्ति अर्थात बैसाखी संक्रान्ति 

मेष संक्रान्ति अर्थात बैसाखी संक्रान्ति या विषुवत संक्रान्ति (बिखौती) या सौरमण युगादि भी कहते हैं। इस तिथि को मुख्य रूप से सौरमण वर्षपद को मानने वाले प्रान्त नये वर्ष के रूप से मनाते हैं। जैसे तमिलनाडु, केरल। इसके अलावा बंगाल और नेपाल भी इसे नव वर्ष के रूप में मनाते है।

हिमालयी प्रान्तों जैसे उत्तराखण्ड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर, पूर्वांचल, बिहार में केवल एक पर्व के रूप मनाया जाता है, पर नव वर्ष के रूप में नहीं। उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू, पंजाब ,पूर्वांचल और बिहार में नव वर्ष प्रतिपदा के दिन आरम्भ होता है। सिखों के द्वारा नवनिर्मित नानकशाही कैलेंडर के अनुसार सिख नव वर्ष चैत्र संक्रांति को मनाया जाता है।

2. दूसरी तिथि – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा

वर्ष प्रतिपदा (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) या चन्द्रमण युगादि। इस तिथि को मुख्य रूप से चन्द्रमण वर्षपद मानने वाले प्रान्त नये वर्ष के रूप में मनाते हैं। कर्नाटक, तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश में युगादि ( उगादी ) के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है।

कश्मीरी नववर्ष भी इसी दिन होता है और उसे नवरेह के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में यही दिन मनाया जाता है। जबकि सिन्धी इसी दिन को चेटी चंड कहते हैं। चेटी चंड, युगादि ( उगादी ) और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। मदुरई में चैत्र महीने में चैत्र तिरूविजा को नए वर्ष के रूप में मनाया जाता है।

3. तीसरी तिथि – कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा

बलि प्रतिपदा (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा), यह दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। दीपावली पर सभी हिन्दू महालक्ष्मी की पूजा कर एक वर्ष के लेखे-जोखे को बंद कर देते हैं। फिर अगले दिन से नये आर्थिक वर्ष को शुरू करते है।

व्यापारी वर्ग यह दिन मुख्य रूप से नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। मारवाड़ी व गुजरती नया वर्ष दीपावली के अगले दिन होता है। इस दिन जैन धर्म का नववर्ष भी होता है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व

  1. इस दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी
  2. इसी दिन भगवान श्री राम का राज्याभिषेक हुआ था।
  3. युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
  4. महर्षि गौतम जयंती इसी दिन आती है।
  5. सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रम संवत् का पहला दिन शुरू होता है।
  6. शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्रि का पहला दिन यही है।
  7. स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।
  8. सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए थे।
  9. इस दिन सिखों के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म हुआ था।
  10. राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने के लिए यही दिन चुना था।

भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व

  1. इस दौरान फसल पकना शुरू हो जाती है। अर्थात किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
  2. वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
  3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

भारतीय नववर्ष कैसे मनाते है ?

  1. परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। साथ ही अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजे।
  2. इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका लगाए।
  3. अपने घरों के द्वार आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
  4. घरों और धार्मिक स्थलों की सफाई करें और उन्हें रंगोली व फूलों से सजाएँ।
  5. इस अवसर पर होने वाले धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें। साथ ही धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करें।
  6. प्रतिष्ठानों की सजावट व प्रतियोगिता करें।
  7. इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित झांकियों का आयोजन करें।
  8. चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम का आयोजन करें।
  9. वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राए कवि सम्मेलन, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें।

Happy New Year कैसे मनाते है ?

साल का आखिरी दिन 31 दिसंबर होता है। 31 दिसंबर और 1 जनवरी की मध्य रात्रि को न्यू ईयर का उत्सव मनाया जाता है। न्यू ईयर पर लोग अपने आप से एक वादा करते है, जो उन्हें पुरे साल में पूरा करना होता है।

विभिन्न देशों में विभिन्न तरीके से Happy New Year का उत्सव मनाते है। भारत जैसे विविधताओं वाले देश में भी न्यू ईयर अलग अलग तरीके से मनाते है। कही पर लोग शराब व अन्य तरह का नशा छोड़ने का संकल्प लेते है तो कही पर इस दिन की शुरुआत दूध से की जाती है।

भारत में किसी किसी जगह व्यापारी लोग दिन-दुखियों को दूध पिलाते है, उन्हें नए कपड़े दान में देते है। कही कही पर गरीबो में खाना भी बाँटा जाता है। लोग नए कपड़े पहनते है और पूजा-पाठ करते है।

कई देशों में Happy New Year पर भव्य पार्टी की जाती है। सभी देशों का New year मनाने का अलग अलग तरीका होता है, जो उनकी संस्कृति पर भी निर्भर करता है। भारत में लोग न्यू ईयर पर पकवान बनाते है और पार्टी करते है।

निष्कर्ष

उम्मीद करता हूँ आपको यह लेख Happy New Year 1 जनवरी को ही क्यों मनाते है ? और नव वर्ष क्यों मनाते है ? समझ में आ गया होगा। Happy New Year कैसे मनाते है ? और भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व व भारतीय नववर्ष कैसे मनाते है ? के बारे में मैंने अच्छे से बताया है। यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ में शेयर करें और Comment Box में बताये आपको यह लेख कैसा लगा। इसमें कोई त्रुटि हो तो आप कमेंट करके बता सकते है। मैं उसमे सुधार करने की कोशिश करूँगा।

FAQ

Q :  विश्व स्तर पर न्यू ईयर कब मनाया जाता है ?
Ans :  1 जनवरी को

Q :  हिंदी नव वर्ष कब मनाया जाता है ?
Ans :  चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन

Q :  1 जनवरी को Happy new year किस कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है ?
Ans :  ग्रिगोरियन कैलेंडर

Q :  1 जनवरी को Happy new year कब घोषित किया गया था ?
Ans :  15 अक्टूबर 1582 को

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