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अश्वगंधा की खेती से पैसे कमाए Ashwagandha Cultivation Business in Hindi

अश्वगंधा की खेती से पैसे कमाए

अश्वगंधा की खेती से पैसे कमाए ? Ashwagandha Cultivation Business in Hindi : अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो औषधीय गुणों से भरपूर होती है और अनेक बीमारियों के उपचार में प्राचीन काल से ही उपयोग में ली जारी है। अश्वगंधा से अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियाँ बनायीं जा रही है। आज हम इस लेख में अश्वगंधा की खेती कैसे करे ?, अश्वगंधा की खेती से पैसे कमाए ? (Ashwagandha ki kheti se paise kamaye ) के बारे में चर्चा करेंगे। इसकी खेती से आप अच्छा पैसा कमा सकते है। यही एक व्यापारिक फसल है।

यदि आपकी आर्थिक स्थिति ख़राब है तो आप अश्वगंधा की खेती करके मोती कमाई कर सकते है। बाजार में इसकी काफी डिमांड रहती है। आप अश्वगंधा की खेती से कई गुना कमाई करके अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते है। इसकी खेती करने के लिए आपको ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आपको अश्वगंधा के बीज और कुछ जरुरी खाद लेना होगा है। फिर आपको सबसे पता करना है कि (Ashwagandha ki kheti se paise kamaye ) अश्वगंधा की खेती कब की जाती है ?, अश्वगंधा की खेती से बिज़नेस कैसे करे ? (Ashwagandha Cultivation Business in Hindi)

अश्वगंधा क्या है ?

अश्वगंधा एक द्विबीज पत्रीय पौधा है। यह सोलेनेसी कुल का पौधा है। सोलेनेसी परिवार की पूरे विश्व में लगभग 3000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसमें से केवल 2 जातियाँ ही भारत में पाई जाती हैं। इस प्रजाति के पौधे सीधे, अत्यन्त शाखित, सदाबहार तथा झाड़ीनुमा 1.25 मीटर लम्बे पौधे होते हैं। इसकी पत्तियाँ रोमयुक्त, अण्डाकार होती हैं। फूल हरे, पीले तथा छोटे एंव पाँच के समूह में लगे हुये होते हैं। इसका फल बेरी जो कि मटर के समान दूध युक्त होता है। यह पकने पर लाल रंग का हो जाता है। इसकी जड़े 30-45 सेमी लम्बी 2.5-3.5 सेमी मोटी मूली की तरह होती हैं। इनकी जड़ों का बाह्य रंग भूरा तथा अन्दर से सफेद होता हैं।

भारत में पांरपरिक रूप से अश्वगंधा का उपयोग आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जाता है। इसीलिए यह नकदी फसल के रूप में भी उगाया जाता है। इसकी ताजा पत्तियों तथा जड़ों में घोड़े की मूत्र की जैसी गंध आती है, इसीलिए इसका नाम अश्वगंधा पड़ा है। अश्वगंधा की जड़ों में 0.13 से 0.31 % तक एल्केलाॅइड की सांद्रता होती है। इसमें महत्वपूर्ण विदानिन एल्केलाॅइड होता है, जो कि कुल एल्केलाॅइड का 35 से 40 % होता है।

भारत में अश्वगंधा की खेती

भारत में प्राचीन से समय से ही अश्वगंधा की खेती होती आई है। आज भी इसकी खेती लगभग पुरे भारत में सभी जगह होती है। अश्वगंधा की खेती भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार,गुजरात, राजस्थान,मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में अधिक की जा रही है। इसके अलावा दक्षिण भारत में  तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु में भी इसकी खेती आधुनिक तरीके से की जा रही है। भारत में इस समय लगभग 10000 से 11000 हेक्टेयर जमीन पर  हर साल लगभग 7000 से 8000 टन तक अश्वगंधा की जड़ का उत्पादन होता है।

अश्वगंधा की बाजार में मांग

अश्वगंधा काफी ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। अश्वगंधा एक विशेष गंध और ताकत को बढ़ाने की क्षमता रखने वाला पौधा है। वर्तमान में खाद्य सामग्री की पैदावार में अत्यधिक रसायनो का उपयोग हो रहा है जिससे लोगो की सेहत कमजोर हो रही है। और अंग्रेजी दवाई लेने पर मजबूर हो रहे है। जिसके पहले से ही अनेक साइड इफेक्ट्स मौजूद है। और इन दवाओं पर पैसा भी अधिक खर्च होता  है।

जबकि आयुर्वेदिक औषधि के किसी प्रकार के साइड इफ़ेक्ट नहीं होते है। यह बहुत ही लाभकारी होती है। अश्वगंधा का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को होता है। इस औषधि के स्वास्थ्यवर्धक गुणों को देखते हुए मार्केट में इसकी डिमांड बहुत अधिक है। अश्वगंधा का पौधा कई तरह की दवाइयों के निर्माण के लिए भी प्रयुक्त किया जाता है। इसीलिए मार्केट में अश्वगंधा की डिमांड हमेशा रहती है। अतः आप अश्वगंधा की खेती (Ashwagandha ki kheti se paise kamaye ) करके अच्छा खासा पैसा कमा सकते है।

अश्वगंधा की खेती के लिए जरूरी बातें

अश्वगंधा की खेती के लिए आपको कुछ जरुरी बातो का ध्यान रखना होगा है। वर्तमान समय में पारंपरिक खेती में हो रहे नुकसान को देखते हुए अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए काफी मददगार सिद्ध होगी जिससे वे अधिक मुनाफा कमा सकते है। चूँकि अश्वगंधा एक बहूवर्षी पौधा है। अतः इसकी खेती करने के लिए आपको निम्न बातो का ध्यान रखना होगा।

  1. औषधीय पौधा अश्वगंधा की खेती के लिए बलुई दोमट और लाल मिट्टी की जरूरत होती है। यह पौधा इसी मिटटी में उगता है अर्थात बलुई दोमट और लाल मिट्टी में इस फसल की पैदावार की जाती है।
  2. इस मिटटी का pH लगभग5 से 8 के बीच होना चाहिए ताकि पौधे का विकास सही से हो सके। pH के इस रेंज में होने से फसल अच्छी होती है।
  3. गर्म प्रदेशों में इसकी बुआई करना आसान होता है।
  4. अश्वगंधा की खेती के लिए तापमान लगभग 25 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। इसके लिए 500-750 मिली मीटर वर्षा जरूरी होती है। इस तरह के वातावरण में फसल अच्छी होती है।
  5. अश्वगंधा की अच्छी पैदावार के लिए खेत में नमी होनी चाहिए , ताकि पौधे को जल के द्वारा पोषक तत्व मिलते रहे।
  6. सर्दी के दिनों में इस पौधे की जड़ों का 1 से 2 वर्ष में अच्छे से विकास हो जाता है।

अश्वगंधा के पौधों की बुवाई का सही समय

चूँकि कृषि वैज्ञानिको के अनुसार अश्वगंधा के पौधों की बुवाई का सही समय अगस्त का mahina होता है। लेकिन उतर प्रदेश व बिहार में इसकी बुवाई सितंबर और अक्टूबर में बारिश की गतिविधियां कम होने पर की जाती है। वैसे आप अगस्त से सितम्बर तक दो बारिश होने के बाद अश्वगंधा के पौधों की बुवाई कर सकते है। आप पर्वतीय क्षेत्र की कम उपजाऊ भूमि में भी इसकी खेती कर सकते हैं।

अश्वगंधा के पौधों की बुवाई कैसे करे ?

अश्वगंधा के पौधे की बुवाई करने के लिए दो प्रकार की विधि का इस्तेमाल किया जाता है।

  1. कतार विधि
  2. छिड़काव विधि
  3. कतार विधि – इस विधि में आपको पौधों को व्यवस्थित क्रम में लगाना होता है। इसमें आपको एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दुरी कम से कम 5 सेंटीमीटर रखनी होती है और लाइन से लाइन की दूरी लगभग 20 सेंटीमीटर रखनी होती है। इस विधि में पैदावार थोड़ी काम होती है।
  4. छिड़काव विधि – इस विधि में आप सबसे ज्यादा व अच्छे तरीके से बुवाई कर सकते है। इस विधि में खेतो की जुताई करने के बाद आप खेत में अश्वगंधा के बीजों का छिड़काव कर सकते है। इस विधि में आपको ज्यादा पैदावार मिलेगी। इस विधि में आप 1 वर्ग मीटर में लगभग 30 से 40 पौधे आराम से लगा सकते है।

अश्वगंधा की खेती करने के लिए आवश्यक बीज

अश्वगंधा की खेती करने के लिए लगभग  10 से 12 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की दर से चाहिए होते है। अश्वगंधा के बीज का अंकुरण 7 से  8 दिनों के अंदर ही होने लगता है। लगभग 8 से 12  महीनों में ही इसके पुराने बीज का जमाव 78 से 80% तक पूरा हो जाता है। इसकी खेती करने के लिए अगस्त का महीना सबसे अच्छा होता है।

अश्वगंधा की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी

अश्वगंधा की खेती के लिए बलुई दोमट और लाल मिट्टी की जरूरत होती है। यह पौधा इसी मिटटी में उगता है। इस मिटटी का pH लगभग 7.5 से 8 के बीच होना चाहिए ताकि पौधे का विकास सही से हो सके। अश्वगंधा की खेती करने के लिए आपको कम से कम दो बारिश होने तक का इंतजार करना होगा। ताकि जमीन में नमी अच्छे से आ जाये।

फिर खेतो की दो बार अच्छे से जुताई करे। उसके बाद खेत में दो बार पाटा लगाना है ताकि जमीन समतल हो जाये। और पुरे खेत में समान रूप से नमी रहे। जब खेत की जुताई करे उस समय उसमें जैविक खाद का भी इस्तेमाल करे ताकि जमीन अच्छी तरह से उपजाऊ बन जाये।

अश्वगंधा की फसल की कटाई करने का सही समय 

अश्वगंधा की फसल की कटाई जनवरी से लेकर मार्च तक चलती है। इसके पौधों को उखाड़ा जाता है और पौधों को जड़ से अलग कर दिया जाता है। इसकी जड़ के छोटे-छोटे टूकड़े कर सूखाया जाता है। फल से बीज और सूखी पत्ती को भी अलग कर लिया जाता है। अश्वगंधा की फसल से लगभग 600 से 800 kg जड़ और 50 kg बीज प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है।

अश्वगंधा की फसल में खरपतवार का नियंत्रण करना

अश्वगंधा के पौधे के साथ में उगने वाले अन्य पौधों को खरपतवार कहते है। ये खरपतवार अश्वगंधा के पौधे को सही से विकास नहीं करने देते है। इसीलिए समय-समय पर खत्म खरपतवार को नियंत्रित करे। इससे अश्वगंधा की जड़ें मजबूत होगी और जल्दी वृद्धि करेगी। आप 25 से 30 दिन बाद खुरपे से खरपतवार की खुदाई करे। और 40 से 45 दिन बाद गुड़ाई करे। इसके अलावा एक ही जगह यदि अधिक पौधे उगे हुए हो तो उन्हें भी अलग कर दे ताकि उनका अच्छे से पोषण हो सके।

अश्वगंधा की फसल में उर्वरक का प्रयोग कैसे करें ?

मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए आप अश्वगंधा की बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 5 ट्राली गोबर की खाद डाले। इस प्रकार की औषधीय खेती में रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते है। परन्तु कुछ शोधों से पता चला है कि अमोनियम नाइट्रेट के प्रयोग से जड़ो की अधिकतम उपज प्राप्त होती है। कुछ शोध में जिब्रेलिक एसिड के प्रयोग से भी जड़ों के विकास में अच्छे परिणाम प्राप्त हुये हैं। परन्तु आप इसकी खेती करने के लिए सड़ी गोबर की खाद या जैविक खादों का प्रयोग 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से अवश्य करे।

अश्वगंधा खाने का फायदा

  1. अश्वगंधा के सेवन से प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है और यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  2. यह ब्लड में शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
  3. इसके सेवन से निष्क्रिय थायराइड sakriya होता है।
  4. यह सूजन और दर्द को कम करता है। मांसपेशियों व शरीर में फुर्ती लाने का भी काम करता है।
  5. इसके सेवन से स्वास्थ्य व प्रजनन क्षमता को बढ़ावा मिलता है।

तैयार अश्वगंधा को कहाँ बेचे ?

अश्वगंधा की फसल तैयार होने पर आप इसे अपनी नजदीकी मंडी में बेच सकते है। इसके अलावा आप इसे आयुर्वेदिक औषधि बनाने वाली कंपनी को डायरेक्ट बेच सकते है। इस फसल से अच्छा पैसा कमा सकते है। इसके अलावा इसमें जोखिम बिल्कुल भी नहीं है। पुरे देश भर में इसकी डिमांड काफी चल रही है। कोरोना के चलते भी लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए और शरीर में ताकत लाने के लिए औषधि का इस्तेमाल कर रहे हैं। अतः आप अश्वगंधा की मार्केटिंग करके अच्छा पैसा कमा सकते है।

अश्वगंधा की खेती से मुनाफा

अश्वगंधा की फसल से आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है। आयुर्वेदिक औषधि बनाने वाली कंपनियों में इसकी डिमांड काफी रहती है। कोरोना वायरस के फैलने से इसकी डिमांड में वृद्धि हुयी है। अश्वगंधा की खेती करने के लिए आपको ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता भी नहीं है। यदि आप जल्दी से आर्थिक स्थिति सुधारना चाहते है तो आप इसकी खेती से लगभग 3 लाख़ या इससे अधिक की कमाई आसानी से कर सकते हैं।

दोस्तों आशा करता हूँ हमारे द्वारा दी गयी जानकारी Ashwagandha Cultivation Business in Hindi “अश्वगंधा की खेती कैसे करे और अश्वगंधा का बिज़नेस कैसे करे ” अच्छी लगी होगी। इस एग्रीकल्चर एंड फार्मिंग बिज़नेस आइडियाज (Ashwagandha ki kheti se paise kamaye ) से सम्बंधित सवालो के लिए कमेंट करे। कमेंट करके बताये कि आपको यह पोस्ट कैसी लगी।

FAQ

Q : अश्वगंधा का बीज क्या भाव बिकता है?
Ans : लगभग 450 kg में अश्वगंधा का बीज मिलता है।

Q : अश्वगंधा कितने रुपए क्विंटल है?
Ans : वर्तमान में इसके भाव 30 हजार रुपया चल रहे है।

Q : अश्वगंधा कितने दिन में उगता है?
Ans : यह 150 से 170 दिन में तैयार हो जाती है।

Q : अश्वगंधा की खेती कैसे की जाती है ?
Ans : अश्वगंधा की फसल को सीधे खेत में बीज द्वारा उगाया जाता है। इसके अलावा यह नर्सरी द्वारा रोपण करके उगाया जा सकता है। नर्सरी तैयार करने के लिए जून-जुलाई में बिजाई करनी चाहिए। वर्षा से पहले खेत को 2-3 बार जुताई करके मिट्‌टी को अच्छी तरह समतल बना दे। ताकि मिट्टी में समान रूप से नमी बनी रहे।

Q : अश्वगंधा का पौधा घर पर कैसे लगाएं?
Ans : यदि आप घर पर अश्वगंधा का पौधा लगाना चाहते है तो आप गमले में अश्वगंधा का पौधा लगा सकते है। इस गमले में आप 50% मिट्टी + 25% गोबर खाद या वर्मी काम्पोस्ट + 25% बालू मिलाकर भरे। इस पौधे को उगाने के लिए किसी प्रकार के रसायन का प्रयोग न करे। यह गोबर के खाद में अच्छे से वृद्धि करता है। इसमें हमेशा नमी रखे।

Q : अश्वगंधा एक बीघा में कितना होता है?
Ans : अश्वगंधा की 600 से 800 kg जड़ और 50 kg बीज प्रति हेक्टेयर प्राप्त होते हैं।

Q : अश्वगंधा के पत्ते खाने से क्या क्या फायदे हैं?
Ans : अश्वगंधा में एंटीऑक्सिडेंट की प्रचूर मात्रा पाया जाता है। ये एंटीऑक्सिडेंट बॉडी के मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने के साथ इंफ्लेमेशन और फैट को बर्न करने का काम करते है। अश्वगंधा के सेवन से बॉडी की इम्यूनिटी बढ़ती है , जिससे आप बीमार नहीं होते है। साथ ही यह वजन कम करने के लिए शरीर को ताकत भी देता है।

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