चंद्रप्रभा वटी के फायदे और नुकसान- Benefits of Chandraprabha Vati in hindi : आयुर्वेद में सेकड़ो जड़ी-बूटियों का वर्णन मिलता है। चंद्रप्रभा वटी भी एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह एक बहुत ही गुणकारी व प्रबल औषधि है, जो शरीर को मजबूत व स्वस्थ बनाती है। आयुर्वेद में चंद्रप्रभा का अर्थ है – चंद्रमा जैसी चमक अर्थात चंद्र यानी चंद्रमा व प्रभा यानी चमक। चंद्रप्रभा वटी के सेवन से कई रोग दूर होते है।
इस लेख में आपको चंद्रप्रभा वटी के फायदे और नुकसान, चन्द्रप्रभा वटी के गुण, चन्द्रप्रभा वटी का सेवन करने का तरीका,चंद्रप्रभा वटी के औषधीय गुणों के बारे में बताया जा रहा है। चंद्रप्रभा वटी सदियों पुरानी जड़ी बूटी है जिसमें हर्बल घटक होते हैं। इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं। यह रक्त के सभी विषाक्त पदार्थों व अन्य सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने में मदद करता हैं। आइये जानते है कि चंद्रप्रभा वटी के फायदे, चंद्रप्रभा वटी क्या है ? (Chandraprabha Vati ka fayada)
चंद्रप्रभा वटी क्या होती है ?
चंद्रप्रभा वटी प्राचीन समय से इस्तेमाल की जाने वाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। जो कि सदियों से अनेक रोगो के निदान के लिए इस्तेमाल की जा रही है। चंद्रप्रभा दो शब्दों से मिलकर बना है। चंद्र का अर्थ है – चन्द्रमा और प्रभा का अर्थ है – चमक। अतः जब आप चंद्रप्रभा वटी का सेवन करते हैं तो चेहरे पर चंद्रमा जैसी चमक आती है। साथ ही शरीर को बल भी मिलता है। इसके सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है। इसके अलावा अनेक रोग भी दूर होते है।
चंद्रप्रभा वटी के औषधीय गुण
चंद्रप्रभा वटी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। जो शरीर में अपना शक्तिशाली प्रभाव दिखाती है। अतः इन औषधीय गुणों की वजह से ही चंद्रप्रभा वटी के फायदे ( Chandraprabha Vati ka fayada) अनेक है।
- एनाल्जेसिक (गाउट और ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए)
- एंटी-गाउट (यह यूरिक एसिड के मूत्र उत्सर्जन में वृद्धि करता है)
- एंटासिड
- पाचन उत्तेजक
- फैट बर्नर
- गठिया विरोधी
- बिलीरुबिन को कम करता है
- कृमिनाशक
- हल्का उच्चरक्तचापरोधी
- हेमटोजेनिक (लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में मदद करता है)
- हेमेटिनिक (यह हीमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि करता है)
- इमेनगॉग (महिला प्रजनन प्रणाली को मजबूत करके मासिक धर्म के प्रवाह में सामंजस्य स्थापित करता है)
- विरोधी भड़काऊ (नरम ऊतकों और मांसपेशियों के लिए शक्तिशाली विरोधी भड़काऊ)
- मांसपेशियों को आराम देने वाला (दर्द के समय में गर्भाशय की मांसपेशियों पर इसका प्रभाव होता है)
चंद्रप्रभा वटी की सामग्री-(Ingredients of Chandraprabha Vati in hindi)
चंद्रप्रभा वटी को बनाने के लिए निम्न सामग्रियों की जरूरत पड़ती है। इसे बनाने के लिए पूर्ण रूप से औषधियों का इस्तेमाल होता है। अर्थात यह औषधियों से मिलकर बनी हुई औषधि है। चंद्रप्रभा वटी के फायदे (Chandraprabha Vati ka fayada) के लिए ये सभी महत्वपूर्ण सामग्रियाँ भूमिका निभाती है।
शुद्ध शिलाजीत | 96 ग्राम |
शुद्ध गुग्गुलू | 96 ग्राम |
मिश्री | 48 ग्राम |
लोह भस्म | 24 ग्राम |
दन्तीमूल | 12 ग्राम |
काली निशोथ | 12 ग्राम |
बंसलोचन या तबाशीर | 12 ग्राम |
दालचीनी | 12 ग्राम |
छोटी इलायची | 12 ग्राम |
तेजपत्र | 12 ग्राम |
देवदारु | 3 ग्राम |
नागरमोथा-मुस्तक | 3 ग्राम |
कपूर | 3 ग्राम |
अतिविषा -अतीस | 3 ग्राम |
चिरायता | 3 ग्राम |
गिलोय-गुडूची | 3 ग्राम |
वच | 3 ग्राम |
गजपीपली | 3 ग्राम |
दारुहल्दी | 3 ग्राम |
विडंग | 3 ग्राम |
पीपलामूल | 3 ग्राम |
चित्रक | 3 ग्राम |
हरड़ | 3 ग्राम |
हल्दी | 3 ग्राम |
धनिया | 3 ग्राम |
बहेड़ा | 3 ग्राम |
आंवला | 3 ग्राम |
चव्य | 3 ग्राम |
पिप्पली | 3 ग्राम |
यवक्षार | 3 ग्राम |
स्वर्णमाशिक भस्म | 3 ग्राम |
काली मिर्च | 3 ग्राम |
शुंठी | 3 ग्राम |
स्वर्जिका क्षार | 3 ग्राम |
सैंधव लवण | 3 ग्राम |
विड लवण | 3 ग्राम |
सौवर्चल लवण | 3 ग्राम |
चंद्रप्रभा वटी का निर्माण कैसे करे ?
चंद्रप्रभा वटी बनाने के लिए ऊपर बतायी गई सभी सामग्रियों को अच्छे से पीस ले। फिर इन सभी सामग्रियों को अच्छे से मिलकर मिश्रण तैयार करे। फिर इस मिश्रण में घी मिलाकर छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें। इस तरह आप चंद्रप्रभा वटी की गोलियाँ घर पर भी बना सकते है। घर पर चंद्रप्रभा वटी की गोलियाँ बनाने के लिए ऊपर बतायी गई सभी सामग्री आपको बाजार से लानी होगी।
चंद्रप्रभा वटी के फायदे– Chandraprabh Vati Benefits in Hindi
चंद्रप्रभा वटी खाने के बहुत ज्यादा फायदे हैं। इसके सेवन से बहुत सी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। यह शरीर को ऊर्जावान बनाये रखने का काम करती है। अतः जिन लोगो में शारीरिक कमजोरी हो, वे चंद्रप्रभा वटी का सेवन कर सकते है। चंद्रप्रभा वटी के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। आइये जानते है चंद्रप्रभा वटी के फायदे (Chandraprabha Vati ka fayada) –
1. मधुमेह में चंद्रप्रभा वटी का फायदा
चंद्रप्रभा वटी डाइबिटीज़ मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। चंद्रप्रभा वटी में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते है जो ब्लड में ग्लूकोज के स्तर को घटाता है और इंसुलिन की मात्रा को बढ़ाता है। इससे ट्राइग्लिसराइड्स भी कम होता है। अतः डाइबिटीज़ मरीजों के लिए चंद्रप्रभा वटी रामबाण औषधि है।
2. किडनी सम्बन्धी रोग में चंद्रप्रभा वटी का लाभ
यदि किडनी ख़राब हो जाये तो मूत्र की उत्पत्ति बहुत कम होती है और शरीर में अनेक रोग उत्पन्न हो जाते है। मूत्राशय में विकृत आने पर पेशाब (मूत्र) करते समय जलन होती है। इसके अलावा पेट में जलन, मूत्र का रंग लाल होना व अधिक दुर्गन्ध देना आदि विकार शरीर में उत्पन हो जाते है। अतः इन सभी विकारो को दूर करने के लिए चंद्रप्रभा वटी बहुत ही उपयोगी औषधि है। यह गुर्दों की कार्यक्षमता को भी बढ़ाती है।
चंद्रप्रभा वटी शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड व यूरिया जैसे विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालती है। अतः किडनी के मरीजों के लिए यह एक रामबाण औषधि है। मूत्र सम्बंधित विकार व किडनी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर की सलाह पर आप चंद्रप्रभा वटी का उपयोग कर सकते है।
3. उच्च रक्तचाप में चंद्रप्रभा वटी का उपयोग
चंद्रप्रभा वटी कई औषधियों से मिलकर बनी होती है। इसीलिए इसमें कई औषधीय ऐसे होते है जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है। चंद्रप्रभा वटी के औषधीय गुण बढ़े हुए रक्तचाप को कम करके ह्रदय को मजबूत बनाते है।
4. वीर्य की वृद्धि के लिए करें चंद्रप्रभा वटी का सेवन
बढ़ती उम्र या नशीले पदार्थो के सेवन से वीर्य की गुणवत्ता में कमी होना एक आम बात है। जिन पुरुषों में वीर्य की कमी है या जिन पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता और शुक्राणुओं की संख्या कम है और वे वीर्य की गुणवत्ता व शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि करना चाहते है, तो ऐसे लोगो को चंद्रप्रभा वटी का सेवन करना चाहिए। यह पुरुष और महिला दोनों के लिए फायदेमंद होती है। चंद्रप्रभा वटी वीर्य बनाता है और वीर्य को गाढ़ा भी करता है।
5. शारीरिक शक्ति बढ़ाने में चंद्रप्रभा वटी का फायदा
चंद्रप्रभा वटी का सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। यदि किसी पुरुष को कार्य करते समय जल्दी थकान होती हो, तो वह चंद्रप्रभा वटी का सेवन कर सकता है। इसके सेवन से शरीर में स्फूर्ति व ताजगी बढ़ती है। यह शरीर में नया जोश बढ़ाने का काम करता है।
6. स्मरण शक्ति बढ़ती है चंद्रप्रभा वटी के सेवन से
चंद्रप्रभा वटी के औषधीय गुण मानसिक तनाव करके स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक होते है। अतः जिन पुरुषों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती हो, वे चंद्रप्रभा वटी का सेवन करके अपनी स्मरण शक्ति बड़ा सकते है।
7. मूत्र सम्बन्धी विकारों में चंद्रप्रभा वटी का लाभ
चंद्रप्रभा वटी में कई औषधीय गुण ऐसे होते है, जो मूत्र सम्बन्धी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते है। जैसे बार-बार पेशाब आना, मूत्र आने पर जलन, मूत्राशय की सूजन, मूत्र का रुक- रुक के आना, मूत्र में शर्करा का आना, प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़े हुए आकार को कम करना तथा गुप्तांगो की कमजोरी, इन सब विकारों को दूर करने में चंद्रप्रभा वटी सहायक होती है।
8. यूरिक एसिड को कम करने में (Chandraprabha Vati ka fayada)
यदि आपका यूरिक एसिड बड़ा हुआ है या फिर आपको यूरिक एसिड की बहुत ज्यादा समस्या है, तो आप चंद्रप्रभा वटी का सेवन कर सकते है। यह यूरिक एसिड का रामबाण इलाज है। यूरिक एसिड के ठीक होने पर किडनी भी स्वस्थ रूप से कार्य करती है।
9. जोड़ों के दर्द को दूर करने में फायदेमंद है चंद्रप्रभा वटी
चंद्रप्रभा वटी के सेवन से घुटनों, जोड़ों के दर्द के, पैरों की सूजन, गठिया वात के दर्द व अन्य हड्डियों के विकार आदि शारीरिक पीड़ा दूर होती है। यह महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता को ठीक करता है और मासिक धर्म के समय होने वाले पेट दर्द व कमर दर्द को ठीक करता है।
10. चंद्रप्रभा वटी के अन्य फायदे
चंद्रप्रभा वटी एक प्रबल आयुर्वेदिक औषधि है। जो शरीर से अनेक बीमारीयों को दूर करने में सहायक है। इसके सेवन से वीर्य दोष, पथरी, पीलीया, अंडकोषों में हुई वृद्धि, कमर दर्द, बवासीर, नेत्ररोग, भूख न लगना, अजीर्ण, कमजोरी महसूस होना, मल-मूत्र के साथ वीर्य का गिरना, ल्यूकोरिया, स्त्री-पुरुषों के गुप्तांगो से संबंधित रोग, तनाव को कम करना, बढ़े हुए अनावश्यक वजन को कम करना आदि विकार दूर होते है।
महिलाओं के लिए चंद्रप्रभा वटी के फायदे
चंद्रप्रभा वटी महिलाओं के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसके औषधीय गुण महिलाओं में हार्मोन को संतुलित करने में सहायक होते है। महिलाएं पीरियड्स से सम्बंधित समस्याओ को सुलझाने के लिए अदरक, कालीमिर्च, पीपल, लौहभस्म के मिश्रण से बनी चंद्रप्रभा वटी का सेवन कर सकती है। इस दवा का किसी प्रकार से कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है। यह पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक औषधि है।
1. मासिक धर्म में चंद्रप्रभा वटी के फायदे
महिलाएं मासिक धर्म के दौरान होने वाले पेट दर्द, कमर दर्द व ऐठन को कम करने के लिए चंद्रप्रभा वटी का सेवन कर सकती है। इसके अलावा मासिक धर्म में होने वाली अनियमितता को ठीक करने के लिए भी इस औषधि का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका किसी प्रकार का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
2. प्रजनन क्षमता बढ़ाने में (Chandraprabha Vati ka fayada)
पुरुष या महिला किसी की भी प्रजनन क्षमता कम होने पर वह चंद्रप्रभा वटी का सेवन कर सकता है। इसमें कई टॉनिक ऐसे होते है, जो गर्भाशय को रोकने के लिए अत्यधिक लाभदायक होते है। इसीलिए यह एक गर्भाशय टॉनिक भी माना जाता है। यदि किसी महिला का गर्भ ठहर नहीं रहा हो और गर्भाशय कमजोर हो गया हो, तो वह प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए चन्द्रप्रभा वटी का इस्तेमाल कर सकती है।
3. गर्भाशय के आकार को संतुलित करना
कई बार महिलाओं में पीरियडिस के दौरान ज्यादा रक्तस्राव होने लगता है। जिसका कारण गर्भाशय के आकार में अनियमित वृद्धि को माना जाता है। अतः जिन महिलाओं को इस तरह की समस्या है, वे कचनार गुग्गुल के साथ में चंद्रप्रभा वटी का सेवन करे। इसके सेवन से बढ़े हुए गर्भाशय का आकार सामान्य हो जाता है
4. मूत्राशय संक्रमण में (Chandraprabha Vati ka fayada)
चंद्रप्रभा वटी का सेवन मूत्राशय संक्रमण जैसी समस्या से छुटकारा दिलाने में काफी मददकार है। अतः महिलाएं मूत्राशय संक्रमण जैसी समस्या होने पर चंद्रप्रभा वटी का इस्तेमाल कर सकती है। यह बहुत ही लाभदायी औषधि है।
चंद्रप्रभा वटी का सेवन कैसे करे ?
बाजार में चंद्रप्रभा वटी की गोलियां मिलती है। यदि आप इसे घर पर बनाते है तो आपको इसे गोली के रूप में ही बनाना होगा। अब चंद्रप्रभा वटी का सेवन आप दो-दो गोलियां सुबह-शाम सामान्य पानी या दूध के साथ ले सकते है। अतः आप डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करे। इसके अधिक सेवन से आपको नुकसान भी हो सकता है। एक युवा व्यक्ति इसकी दिन में दो गोलियां ले सकता है जबकि बच्चो के लिए दिन की एक गोली काफी होती है।
चंद्रप्रभा वटी के नुकसान- Side Effects of Chandraprabha Vati in Hindi
वैसे तो चंद्रप्रभा वटी के कोई नुकसान नहीं है। इसके फायदे ही फायदे (Chandraprabha Vati ka fayada) है। लेकिन किसी भी चीज का अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान ही होता है। ठीक इसी तरह चंद्रप्रभा वटी का अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान हो सकता है। इस तरह यह शरीर पर अपना दुष्प्रभाव दिखा सकती है। आइये जानते है कि इसके कौन कौन से दुष्प्रभाव हो सकते है।
- गर्भवती या स्तनपान कराने वाली माताओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। या फिर इसके सेवन के लिए डॉक्टर से सलाह ले
- थैलेसीमिया
- पेट का अल्सर, मतली
- नासूर
- बड़ी आंत में सूजन
- पेशाब में जलन
- श्वसन में समस्या
- डायरिया
आशा करता हूँ चन्द्रप्रभा वटी के फायदे (Chandraprabha Vati ka fayada) बारे में दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। इस लेख में किसी प्रकार की कमी लगने पर या कोई जानकारी गलत होने पर आप कमेंट करके बताये। इसके अलावा आप चंद्रप्रभा वटी के फायदे व नुकसान के बारे में अपनी राय भी दे सकते है। अंत में, मैं यही कहना चाहूंगा कि यदि आपको चंद्रप्रभा वटी का इस्तेमाल करना है, तो आप डॉक्टर या वैद्य की सलाह पर ही इसका सेवन करे।
FAQ
Q : एक दिन में चंद्रप्रभा वटी की कितनी गोली खानी चाहिए?
Ans : युवा व्यक्ति दिन में दो गोलियां ले सकता है जबकि बच्चो के लिए दिन की एक गोली काफी होती है।
Q : चंद्रप्रभा वटी कैसे बनाते है?
Ans : कपूर कचरी, वच, नागरमोथा, चिरायता, गिलोय, देवदारु, हल्दी, अतीस, दारुहल्दी, पीपलामूल, चित्रकमूल-छाल, धनिया, बड़ी हरड़, बहेड़ा, आँवला, चव्य, वायविडंग, गजपीपल, छोटी पीपल, सोंठ, कालीमिर्च, स्वर्ण माक्षिक, सज्जीखार, यवक्षार, सेंधा नमक, सोंचर नमक, साँभर लवण, छोटी इलायची के बीज, कबाबचीनी, गोखरू, और श्वेतचन्दन, इन सभी को 3-3 ग्राम ले। निशोथ, दन्तीमूल, तेजपात, दालचीनी, बड़ी इलयाची, वंचलोचन को 12-12 ग्राम, लौह भस्म 24 ग्राम, मिश्री 48 ग्राम, शुद्व शिलाजीत और शुद्ध गुग्गुलु 96 – 96 ग्राम में ले। फिर इन सब को अच्छे से मिक्स करके बारीक़ पीस ले। इसके बाद आप इनकी गोलिया बना सकते है।
Q : महिलाओं के लिए चंद्रप्रभा वटी के फायदे क्या है ?
Ans : चंद्रप्रभा वटी महिलाओं के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसके औषधीय गुण महिलाओं में हार्मोन को संतुलित करने में सहायक होते है। महिलाएं पीरियड्स से सम्बंधित समस्याओ को सुलझाने के लिए अदरक, कालीमिर्च, पीपल, लौहभस्म के मिश्रण से बनी चंद्रप्रभा वटी का सेवन कर सकती है। इस दवा का किसी प्रकार से कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है। यह पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक औषधि है।
Q : चंद्रप्रभा वटी दुष्प्रभाव क्या है ?
Ans : चंद्रप्रभा वटी के कोई नुकसान नहीं है। इसके फायदे ही फायदे है। लेकिन चंद्रप्रभा वटी का अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान हो सकता है। जैसे थैलेसीमिया, पेट का अल्सर, मतली, नासूर, बड़ी आंत में सूजन, पेशाब में जलन, श्वसन में समस्या, डायरिया आदि।
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