स्कूटी और इंसानियत की कहानी : Story of Scooty and Humanity in hindi – Hello friends, आपने कहानियाँ तो बहुत पढ़ी होगी, लेकिन उन सब में ज्यादातर आपने काल्पनिक कहानी पढ़ी होगी। मैं आपको यहाँ एक ऐसी कहानी बताने जा रहा हूँ, जो बिल्कुल भी काल्पनिक नहीं है। यह कहानी इंसानियत की है – Scooty aur insaniyat ki kahani
यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है, जो मैंने अपने कॉलेज फ्रेंड्स ग्रुप से ली है। जब मैंने यह कहानी सुनी, तो मैंने तुरंत अपने शब्दों में इसे एक कहानी का रूप दिया। जीवन में उतार-चढ़ाव आना स्वभाविक है। यह कहानी इंसानियत की है यह नफा नुकसान की कहानी है, जिससे दूसरे लोगो की भावनाओं को समझने की शिक्षा मिलती है।
ऐसे में इंसान को अपना व्यवहार व कर्तव्य नहीं भूलना चाहिए। इंसानियत सबसे बड़ी चीज है। बुरे समय में आप किसी की सहायता करते है, तो इसका फल आपको अवश्य मिलता है। यह एक इंजीनियर स्टूडेंट की कहानी है, जो अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से अपने सपने पुरे नहीं कर पर रहा था।
ऐसे में वह अपने दोस्तों से बराबरी नहीं कर पा रहा था। घर की स्थिति कमजोर होने की वजह से वह घर से भी ज्यादा पैसे नहीं ले सकता था। उसके पापा उसे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहे थे, वही उसके लिए बहुत बड़ी बात थी। आइये जानते है स्कूटी और इंसानियत की कहानी : Story of Scooty and Humanity in hindi
स्कूटी और इंसानियत की कहानी : Story of Scooty and Humanity in hindi
मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से बिलोंग करता हूँ। हमारे पास बाइक, स्कूटी व फोर वीलर है। पापा, भाई व भाभी गवर्नमेंट टीचर है। एक रोज मैं बैठा बैठा सोच रहा था कि क्यों न स्कूटी को बेच दू। बहुत दिनों से स्कूटी का उपयोग नहीं हो रहा था। इसलिए मेरे मन में इसे बेचने का ख्याल आया।
मैंने Olx and social media पर अपनी स्कूटी कि डिटेल पोस्ट की। मैंने इस स्कूटी की कीमत 35000 हजार रुपये रखी। इसके दो दिन बाद ही मुझे बहुत से ऑफर मिले। ज्यादातर ऑफर 20000 से 30000 हजार रुपये के बीच में थे। लेकिन मैंने अच्छी कीमत के लिए थोड़ा ओर इंतजार किया। यह कहानी इंसानियत की है।
मुझे अपनी स्कूटी 35 हजार में बेचनी थी। यह एक एवरेज प्राइस थी, जो मुझे चाहिए थी। अगले दिन एक कॉल आया और उसने कहाँ – भैया मुझे आपकी स्कूटी पसंद आ गयी है और मैं इसे खरीदना चाहता हूँ। मैं इस स्कूटी के लिए आपको 33 हजार रुपये दे सकता हूँ। मैंने okay बोलकर फ़ोन रख दिया।
मुझे ये ऑफर ठीक लगा। एक बार तो मैंने इसी कीमत पर इसे बेचने के लिए खुद को मना लिया था। लेकिन तभी मैंने सोचा एक – दो दिन ओर इंतजार कर लेता हूँ। जब 33 हजार का ऑफर मिल सकता है, तो कही से 35 हजार का ऑफर भी मिल सकता है। मैं भगवान से दुआ कर रहा था कि मेरी स्कूटी 35 हजार में बिक जाये।
अगले दिन सुबह शनिवार को एक कॉल आता है। उधर से आवाज आती है – साहब नमस्कार, मैं प्रताप ( बदला हुआ नाम ) बोल रहा हूँ। मैंने आपकी स्कूटी का विज्ञापन सोशल मीडिया पर देखा है। मुझे यह स्कूटी बहुत पसंद है और मैं इसे अपने बेटे के लिए लेना चाहता हूँ। मैंने 35 हजार रुपये एकत्रित करने के लिए बहुत प्रयत्न किया, लेकिन मैं 27 हजार रुपये ही जमा कर पाया हूँ।
मेरा बैठा पढ़ाई में बहुत अच्छा है। मैं दिन-रात मेहनत करके उसे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहा हूँ। हालाँकि यह मेरी हैसियत से बाहर है, लेकिन फिर भी मैं अपने बेटे का सपना पूरा करने के लिए कर्ज लेकर उसे इंजीनियर की पढ़ाई करा रहा हूँ। मेरे बेटे का नाम दिनेश ( बदला हुआ नाम ) है।
वह इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। उसने बहुत मेहनत की है। वह कॉलेज के लिए कभी पैदल गया है, तो कभी साइकिल से गया है। कभी कभी तो भीड़ भरी बस में भी धक्के खाये है। कभी कभी किसी दोस्त से लिफ्ट लेकर गया है। मैंने सोचा बेटे का कॉलेज में अंतिम वर्ष है। स्कूटी और इंसानियत की कहानी
वह अपनी गाडी से ही कॉलेज जाये। आपसे प्रार्थना है गाडी मुझे ही दीजिये। नयी गाडी लेने की मेरी हैसियत नहीं है। मुझे थोड़ा समय दीजिए, मैं बाकि के पैसो का भी इंतजाम करता हूँ। मैं अपना मोबाइल बेचकर बाकि के पैसो का इंतजाम करता हूँ। यह मोबाइल 9-10 हजार में तो बिक ही जायेगा।
साहब आपसे हाथ जोड़कर विनती है, गाडी मुझे ही दीजियेगा। मैं एक-दो दिन में पैसो का इंतजाम करके यह गाडी आपसे ले लूंगा। बस साहब थोड़ा समय दीजिए। मैंने औपचारिकता में केवल okay बोलकर फ़ोन रख दिया। यह एक अनजान कॉल था, जिसे मैं पर्सनली नहीं जानता था। इनकी बातों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया।
काफी सोच विचार करने के बाद मैंने वापस उन्हें कॉल बैक किया और कहा – आप अपना फ़ोन मत बेचिये। कल सुबह केवल 27000 रुपये में ही आप स्कूटी ले जाये। मैं 27 हजार रुपये में स्कूटी देने का वादा उनसे कर चूका था। हालाँकि मेरे पास पहले से ही 33 हजार रुपये का ऑफर था। ( Scooty aur insaniyat ki kahani )
शायद उन्हें इसकी बहुत ज्यादा जरूरत थी। मैंने प्रताप जी के बातों से महसूस किया कि उनकी आर्थिक स्थिति नाजुक है। वे अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए मेहनत कर रहे है। मैंने एक अनजान व्यक्ति को 27 हजार में स्कूटी देने का वादा किया। हालाँकि यह नुकसान मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता है।
हमारे घर में हर सुख-सुविधा है, जो हमें चाहिए होती है। जरा सोचिये उस घर में कितनी खुशी का माहौल हुआ होगा, जब कल उनके घर में स्कूटी आ रही होगी। 27 हजार में मुझे ज्यादा नुकसान भी नहीं हो रहा था। भगवान ने हमें पहले से ही बहुत कुछ दिया है। इस सौदे से मुझे भी खुशी हो रही थी। मैं एक जरुरतमंद की सहायता कर रहा हूँ।
अगली सुबह 4-5 बार प्रताप जी का फ़ोन आता है और कहते है – साहब कितने बजे लेने आऊ। साहब कही मैं आपका समय तो बर्बाद नहीं कर रहा हूँ। मुझे बता दीजिए साहब, मैं पक्का स्कूटी लेने आऊ। मैं बेटे को साथ में लेकर आऊ या अकेला आऊ, साहब बता दीजिये। लेकिन साहब गाडी मुझे ही दीजियेगा, किसी और को नहीं देना।
मैंने प्रताप जी से कहा कि आप अपने बेटे को साथ में लेकर आये और गाडी ले जाये। इतना कहकर मैंने फ़ोन रख दिया। लगभग 2 घण्टे बाद प्रताप जी अपने बेटे दिनेश के साथ में हमारे घर आते है। मैंने उन्हें चाय नाश्ते के लिए पूछा। फिर मैंने दोनों को चाय पानी पिलाया। प्रताप जी के चेहरें पर चिंता और आँखों में खुशी की चमक साफ साफ नजर आ रही थी।
मैंने उनके हाथों में 500, 200, 100, 50 20 रुपये के नोटों का संग्रह देखा। ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने इसके लिए कई महीनो तक सेविंग की हो या फिर कही से उधार मांग कर जमा किये हो। प्रताप जी का बीटा दिनेश बड़ी आतुरता और कृतज्ञता से स्कूटी को देख रहा था। स्कूटी और इंसानियत की कहानी
उन्हें गाडी को देखा और स्टार्ट करके एक राउंड चलकर देखा। उन्हें यह बेहद पसंद आयी। मैंने स्कूटी की चाबी और कागज उन्हें दिए। दिनेश स्कूटी पर विनम्रतापूर्वक हाथ फेर रहा था। साथ ही रुमाल निकालकर उसे साफ रहा था। प्रताप जी ने मुझे पैसे गिनने के लिए बोला। मैंने कहा – आप गिनकर ही लाये है, कोई दिक्कत नहीं है।
प्रताप जी के चेहरें पर चिंता की लकीर साफ़ साफ़ नजर आ रही थी। जिस तरह से वे पैसे जमा करके लाये थे, उससे मुझे लग रहा था कि कही पेट्रोल के पैसे होंगे या नहीं। मैंने 1000 रुपये वापिस करते हुए कहा – घर जाते समय परिवार के लिए मिठाई लेते जायेगा। एक बार के लिए उन्होंने मना कर दिया था।
लेकिन मेरे द्वारा जोर देने पर उन्होंने 1000 रुपये ले लिए। इतने पैसे में मिठाई और पेट्रोल आसानी से आ जायेंगे। मेरी यह सोच थी। ऐसे में प्रताप जी के चेहरें से मायूसी साफ साफ झलक रही थी। एक पल के लिए उनकी आंखे नम हो चुकी थी। आँखों में कृतज्ञता के आंसु लेकर उन्होंने हमसे विदा ली।
जाते जाते उन्होंने बड़ी ही आतुरता और विनम्रता से झुककर अभिवादन किया और बार बार आभार व्यक्त किया। स्कूटी ले जाते समय दोनों बहुत ही खुश नजर आ रहे थे। मैं भी इस सौदे से बेहद खुश था। इस सौदे से मुझे शिक्षा मिली कि जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए। “यह नफा नुकसान की कहानी है”
पैसा खुशियों से बड़ा नहीं होता है। यदि थोड़ा सा नुकसान उठाने पर किसी को खुशियां मिलती है, तो यह नुकसान उठा लेना चाहिए। आपको यह स्टोरी ” स्कूटी और इंसानियत की कहानी : Story of Scooty and Humanity in hindi ” कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताये। यह कहानी इंसानियत की है
इस तरह का सौदा हर इंसान नहीं कर पाता है। जिसमे इंसानियत होती है, जो दुसरो की भावनाओं को समझता हो, गरीब लोगो की फीलिंग को समझता हो, ऐसे लोग ही इस तरह का सौदा कर सकते है। यदि भगवान ने आपको सब कुछ दिया है, तो लाचार लोगो की सहायता करनी चाहिए। ( Scooty aur insaniyat ki kahani )
जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं होता है। आशा करता हूँ आपको यह कहानी “( Scooty aur insaniyat ki kahani ) स्कूटी और इंसानियत की कहानी ” अच्छी लगी होगी। यह नफा नुकसान की कहानी है, जिससे दूसरे लोगो की भावनाओं को समझने की शिक्षा मिलती है। “यह नफा नुकसान की कहानी है”
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मेरा नाम गोविन्द प्रजापत है। मैं talentkiduniya.com का फाउंडर हूँ। मुझे स्कूल के समय से ही हिंदी में लेख लिखने और अपने अनुभव को लोगो से शेयर करने में रूचि रही है। मैं इस ब्लॉग के माध्यम से अपनी नॉलेज को हिंदी में लोगो के साथ शेयर करता हूँ।
very heart touching story
brother ap bahut achcha likhte ho
thanx brother
ajkl is tarah ki insaniyat har kisi me nahi hoti hai . apne bahut achcha likha hai bhai . ap hamesha aisi hi kahani likhte rhe . hame is tarah ki motivational story ka intejar rhega
Nice story
India me aise bahut se students hai jo is trh ki situation ka samna kr rhe h
Very heart touching story
यह स्टोरी पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद