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चन्दन की खेती कैसे करे Sandalwood Cultivation Business Hindi

चन्दन की खेती कैसे करे Sandalwood Cultivation Business Hindi

चन्दन की खेती कैसे करे-Sandalwood Cultivation Business Hindi : प्राचीन समय से ही चन्दन का उपयोग विभिन्न कार्यो में होता आया है। यह एक व्यापारिक फसल है जिसके द्वारा आप आप अच्छी कमाई कर सकते है। मार्केट में चन्दन की कीमत बहुत अधिक है। इसीलिए आप इस फसल के द्वारा लाखो में कमाई कर सकते है। आज मैं आपको इस लेख में चन्दन की खेती(chandan ke ped ki kheti kaise kare), chandan ki kheti ka business kaise kare के बारे में बताऊंगा।

चन्दन का उपयोग धार्मिक कार्यो के अलावा कई तरह के कॉस्मेटिक व मेडिकल प्रोडक्ट बनाने में काम आता है। यदि आप चन्दन की खेती की योजना बना रहे है तो आप कुछ ही सालो में करोड़पति बन सकते है। चन्दन के पेड़ अपनी सुन्दर व मनमोहक सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। भारत में चन्दन का पेड़ चन्दन या श्रीगंधा के नाम से प्रसिद्ध है। आइये जानते है (chandan ke ped ki kheti kaise kare) , chandan ki kheti ka business kaise kare, चंदन की खेती कैसे करे ?Sandalwood Cultivation Business Hindi

चन्दन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

चन्दन की खेती करने के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। चन्दन के पौधे उगाने के लिए गर्म वातावरण और आर्द्र जलवायु  की आवश्यकता होती है। चंदन की खेती के लिए 500 से 600 मिमी वार्षिक वाले क्षेत्र उपयुक्त होते है। चन्दन के पौधे लगाने के लिए  12° से 35°C के बीच तापमान की आवश्यकता होती है। इस फसल की वृद्धि के लिए यह तापमान उपयुक्त होता है। चन्दन की फसल बर्फीले और रेगिस्तान वाले इलाकों को छोड़कर लगभग सभी जगहों पर की जा सकती है।  चंदन का पौधा 600 और 1050 मीटर की ऊंचाई पर आसानी उग जाता है।

चन्दन की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

चन्दन के पौधे लगाने के लिए अच्छी उपजाऊ मिट्टी का होना आवश्यक है। जिसमे जल का भराव अधिक नहीं होता हो। चन्दन की फसल के लिए काली मिट्टी, लाल बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इस प्रकार की मिट्टी में आपको अच्छी उपज प्राप्त होती है।  इसके अलावा चट्टानी मिट्टी, पथरीली मिट्टी और चूनेदार मिट्टी में भी चन्दन के पेड़ लगाए जा सकते है। परन्तु इनकी वृद्धि उतनी अच्छी नहीं होगी जितनी वृद्धि लाल बलुई दोमट मिट्टी में होगी।

चंदन के पेड़ लगाने के लिए मिट्टी का pH 6.5 से 7.5 के बीच में होना चाहिए। इसके अलावा मिट्टी में जैविक खाद होना चाहिए ताकि पौधे को पोषण अच्छे से मिले। चन्दन के पौधे लगाने से पहले मिट्टी की जाँच अवश्य करा ले। साथ ही खेत की अच्छी से जुताई करें, ताकि उसमे पानी का अधिक भराव न हो। अपने खेत को इस तरह से तैयार करे कि वर्षा का पानी खेत में न भरे और आसानी से खेत से बाहर निकल जाये।

चंदन की खेती के लिए बुवाई

अप्रैल और मई का महीना चंदन की बुवाई के लिए सबसे अच्छा होता है। चन्दन के पौधे लगाने से पहले खेत की 2 से 3 बार अच्छी तरह से जुताई कर ले। इसके बाद लगभग 2x2x2 फीट का गहरा गड्ढ़ा खोदकर उसे कुछ दिनों के लिए सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए। यदि आपके पास एक एकड़ भूमि है तो 30 से 40 सेमी की दूरी पर चंदन के बीजों को बो दें। आप एक एकड़ भूमि में लगभग 400 पेड़ लगा सकते है।

ध्यान रहे कि जिस मिट्टी में आप चन्दन के पेड़ लगा रहे है उस मिट्टी का pH 7 से 8.5 की रेंज में होना चाहिए। मानसून के समय में ये पेड़ जल्दी वृद्धि करते है। परन्तु  गर्मियों में इन्हें सिंचाई की जरूरत होती है। चंदन के पेड़ को 5 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले क्षेत्र में लगा सकते है। इसकी खेती के लिए 500 से 650 मिमी वार्षिक औसत बारिश की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा 15 से 20 साल की उम्र के पौधों से प्राप्त बीज बुवाई के लिए सबसे अच्छे होते है। नर्सरी बेड पर बुवाई से पहले इन बीजो को सुखाना चाहिए और अच्छी तरह से उपचारित करे ताकि बीज सही ढंग से अंकुरित हो सके। इसके बाद आप नर्सरी बेड पर बीज बो दे। 30 से 35 सेमी ऊंचाई के 7 से 8 महीने पुराने शाखाओं वाले पौधे रोपाई के लिए उपयुक्त होते है। चंदन की पौध लगाने के लिए आप दो प्रकार के सीड बेड्स का उपयोग कर सकते है- “धँसा हुआ”और “उठे हुए बेड”।  चंदन की खेती में जैव उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए |

चंदन की फसल की सिंचाई 

आमतौर पर वर्षा के समय में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन गर्मी के दिनों में सिंचाई की जरूरत पड़ती है। गर्मियों में हर 7 दिन में सिंचाई करते रहना चाहिए। ताकि पौधे को वृद्धि करने के लिए पोषण मिलता रहे। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध होने पर आप चंदन की फसल को पूरे साल लगा सकते है। पानी की कमी होने पर आप ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल कर सकते है। पोधो को जरूरत के हिसाब से ही पानी दे।

चंदन की खेती में खाद और उर्वरक का उपयोग

चंदन की खेती में जैविक खाद की अधिक जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन बुवाई के समय में आप इस खाद का उपयोग कर सकते है। फसल की वृद्धि के लिए जैविक और रासायनिक उर्वरकों की जरुरत पड़ती है। इस फसल में आप रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग कम करे या बिना उपयोग के खेती करे। इसके अलावा आप गोबर, बगीचे की खाद, वर्मि-कम्पोस्ट या हरी पत्तियों से बनी किसी भी खाद का उपयोग कर सकते है। चंदन की खेती में कीट और बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए नीम (गिरी, बीज और पत्ते), चित्रकमूल, धतूरा, गाय के मूत्र आदि से जैव कीटनाशक तैयार किए जाने चाहिए।

चंदन की खेती में खरपतवार नियंत्रण करना

चन्दन की अच्छी पैदावार के लिए खरपतवार को नियंत्रित करना बहुत जरुरी होता है। इसे आप खेत की जुताई करते समय भी नियंत्रित कर सकते है। जब आप चन्दन के पौध लगाते है तब शुरुआती वर्ष में सबसे अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। उसके बाद पौधे के बड़े होने पर कृषि औज़ार या हाथों से ही निराई-गुड़ाई कर सकते है। खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए रासायनिक खाद का उपयोग कम करे या बिलकुल न करे। इससे फसल की पैदावार पर असर पड़ सकता है। पेड़ के आस-पास उगने वाले पोधो हटा दे।

चंदन की खेती में कीट एवं रोग नियंत्रण

चंदन की खेती में सैंडल स्पाइक नाम का रोग चंदन के पेड़ का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इस रोग के लगने से चंदन के पेड़ की पतियाँ ऐंठकर छोटी हो जाती है। साथ ही पेड़ टेड़े-मेढ़े हो जाते हैं। इस रोग को नियंत्रित करने के लिए चंदन के पेड़ से लगभग 5 से 6 फीट की दूरी पर एक नीम का पौधा अवश्य लगाए। इससे किट-पतंगे चन्दन के पेड़ से दूर रहते है।

इसके अलावा आप रोगों और कीटों की रोकधाम के लिए नीम की गिरी, नीम के बीज और नीम के पत्तों, चित्रकमूल, धतूरा और गोमूत्र से एकल या मिश्रण के साथ जैव कीटनाशक करे। आप जैविक उत्पाद का गोबर की खाद के साथ उपयोग कर सकते है। रोग नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा जैविक फफूंदनाशी का उपयोग कर सकते हैं।

चंदन की फसल की कटाई

आमतौर पर चन्दन की बुवाई के 30 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। चंदन की कटाई के दौरान मुलायम लकड़ी को हटा दिया जाता है और फिर मजबूत लकड़ी को काट दिया जाता है जिसे मिल में पाउडर में बदल दिया जाता है। चंदन से आवश्यक तेल को पुन: आसवन और निस्पंदन द्वारा निकला जाता है।

चूँकि चंदन का पेड़ 15 साल का होने पर इसकी लकड़ी प्राप्त की जाती है। चंदन के पेड़ की जड़े बहुत खुशबूदार होती है। इसलिए इसे जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है। पेड़ की उम्र 5 साल होने पर चंदन की रसदार लकड़ी बनना शुरू हो जाती है। चंदन के पेड़ को काटने पर उसे दो भाग निकलते हैं। एक रसदार लकड़ी होती है और दूसरी सूखी लकड़ी होती है। दोनों ही लकडिय़ों का मूल्य अलग-अलग होता है। चन्दन के पेड़ की जड़ से लेकर पत्ती तक सब काम में आती है।

चंदन के पेड़ के बढ़ने में किसी भी अन्य पेड़ की तुलना में अधिक समय लगता है। इस फसल में लाभ कमाने के लिए  धैर्य होना चाहिए। यह अच्छी मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में प्रति वर्ष 5 सेंटीमीटर बढ़ता है। चंदन की वृद्धि को मिट्टी की उर्वरकता, सिंचाई प्रबंधन, कीट और रोग नियंत्रण प्रबंधन जैसे कारक प्रभावित कर सकते है।

भारत में चंदन की खेती के लिए सब्सिडी और लोन

आजकल भारत सरकार किसानों को व्यापारिक फसल करने के लिए लोन व सब्सिडी प्रदान कर रही है। देश के कई छोटे व बड़े बैंक  किसानों के लिए सब्सिडी और ऋण की सुविधा उपलब्ध करा रहे है। नाबार्ड सहित कई बैंक चंदन की व्यावसायिक खेती के लिए लोन दे रहे हैं। NMPB (राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड) भी चंदन की खेती पर सब्सिडी प्रदान कर रहा है।

बाजार में चन्दन की मांग

मार्केट में चन्दन की डिमांड बहुत अधिक है। इसीलिए समय पर इसकी आपूर्ति नहीं हो पर रही है। आपको पता ही होगा यह धार्मिक कार्यो के साथ अनेक सौंदर्य उत्पाद बनाने में काम आता है। अतः मार्केट में इसकी कीमत भी बहुत अधिक है। इसकी खपत भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी बहुत अधिक है। चाइना, अमेरिका, इंडोनेशिया,जापान, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में इसकी मांग काफी अधिक है। अभी वर्तमान में इसकी सम्पूर्ण मांग का केवल 30 % ही आपूर्ति हो रही है।

चन्दन का बाजार में भाव

वर्तमान में मैसूर की चंदन लडक़ी का भाव लगभग 26 हजार रुपए प्रति किलो है। इसके अलावा बाजार में कई कम्पनियाँ चन्दन की लडक़ी को 8 हजार से 20 हजार रुपए किलो के भाव से बेच रही है। एक चंदन के पेड़ का वजन 30 से 40 किलो तक हो सकता है। एक पेड़ की कटाई-छंटाई के बाद एक पेड़ से लगभग 2 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है।

चंदन की खेती में लागत और लाभ

चूँकि चन्दन की फसल एक एक दीर्घकालिक और अत्यधिक लाभदायक फसल है। जिसमे लाभ होना कई कारकों पर निर्भर करता है। एक एकड़ भूमि में लगभग 400 से 450 पेड़ लगाए जा सकते है। आप इन पेड़ो से लगभग 3 करोड़ रूपए कमा सकते है। चन्दन का पेड़ लगभग 12 साल में परिपक्व होता है जिससे लगभग 15-20 किलो चन्दन की लकड़ी प्राप्त की जा सकती है। अतः आप 10 -12 साल में ही चन्दन की खेती से करोड़पति बन सकते है।

एक एकड़ भूमि के लिए चन्दन की खेती की लगत पौधे की लागत, रोपण के लिए श्रम लागत, ड्रिप लागत, मिट्टी के काम और खरपतवार नियंत्रण, कीट / रोग लागत और अन्य जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। चंदन के वृक्षारोपण के लिए लगभग एक एकड़ में छह लाख रुपये खर्च होते हैं। चंदन के तने की लकड़ी की कीमत लगभग 6,000 रुपये प्रति kg है।

चन्दन की प्रजाति

पूरे विश्व में चन्दन की 16 प्रजातियाँ है। जिसमें सेंलम एल्बम प्रजातियां सबसे सुगंधित और औषधीय मानी जाती है।  इसके अलावा लाल चन्दन, सफेद चन्दन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद संडालो प्रजाति की चन्दन पाई जाती है।

चन्दन के बीज तथा पौधे कहाँ पर मिलते हैं?

आप चन्दन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीद सकते है। इसके लिए केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक (Institute of wood science & technology) संस्थान बैंगलोर में है। यहाँ से आप चंदन की पौध प्राप्त कर सकते हैं।

चन्दन की खेती के नियम

साल 2000 से पहले देश में आम लोगों को चन्दन की खेती करने के लिए व चन्दन का पेड़ काटने की अनुमति नहीं थी। सात 2000 के बाद सरकार ने चन्दन की खेती को आसान बना दिया है। अगर कोई किसान चन्दन की खेती करना चाहता है तो इसके लिए वह वन विभाग से संपर्क कर सकता है। चन्दन की खेती के लिए किसी भी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है। केवल पेड़ की कटाई के समय वन विभाग से  नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होता है जो आसानी से मिल जाता है।

आशा करता हूँ आपको चन्दन की फसल (chandan ki kheti ka business kaise kare) करने में बारे में समझ आया होगा और उम्मीद करते है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। चूँकि दोस्तों चन्दन की खेती करके आप कुछ ही सालों में करोड़पति बन सकते है। यह एक दीर्घकालीन फसल है। इसमें आपको धैर्य रखना है। अतः कमेंट करके बताये कि (chandan ke ped ki kheti kaise kare) पोस्ट आपको कैसी लगी।

FAQ

Q : चन्दन का पेड़ कैसे लगाये?
Ans : चन्दन के पेड़ लगाने के लिए एक खेत में 30 से 40 सेमी की दूरी पर चंदन के बीजों को बो दें। या चन्दन के पौध इतनी ही दुरी पर लगाए। अगर आपके पास 1 एकड़ जमीं है तो आप कम से कम 400 पेड़ लगाए।

Q : चन्दन का पेड़ कितने दिन में तैयार होता है?
Ans : 8 से 12वर्ष तक का समय लगता है।

Q : चन्दन का बीज कहाँ मिलेगा?
Ans : केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक (Institute of wood science & technology) संस्थान, जो कि बैंगलोर में है, से आप चंदन की पौध प्राप्त कर सकते हैं।

Q : चन्दन कितने प्रकार के होते हैं?
Ans : चन्दन दो प्रकार का होता है- लाल और सफेद

Q : सफेद चंदन की क्या कीमत है?
Ans : भारत में 1 kg चन्दन की लकड़ी की कीमत 10 हजार रुपए है जबकि विदेश में यह 20 से 25 हजार रुपये में बिक रहा है।

Q : चन्दन के पेड़ पर सांप क्यों रहते हैं?
Ans : दरअसल में सांप चन्दन के पेड़ की खुशबू की वजह से नहीं बल्कि खुद को ठंडा रखने के लिए ही इस पेड़ से लिपटे रहते है। सांप को चन्दन ठंडा लगता है जिसके कारण वो उससे लिप्त रहता है। चन्दन का पेड़ काफी ठंडा होता है। चूँकि सांप को ठंडी जगह पर रहना काफी पसंद होता है।

Q : लाल चन्दन का तिलक लगाने से क्या फायदा होता है?
Ans : चन्दन का तिलक लगाने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। मन-मस्तिष्क को शीतल बनाए रखने में सफेद चन्दन का तिलक अत्यंत प्रभावी होता है। जबकि लाल चन्दन के तिलक से व्यक्ति में ऊर्जा का संचार होता है। लाल चन्दन के तिलक के प्रभाव से व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ती है।

Q : चंदन का वैज्ञानिक नाम क्या है?
Ans : Santalum album (संतालम एल्बम एल)

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